दार्जिलिंग टॉयट्रेन लोगो: बौद्धिक सम्पदा

दार्जिलिंग टॉयट्रेन लोगो: बौद्धिक सम्पदा

                                                         

 

  • दार्जिलिंग टॉय ट्रेन के लोगो (Logos) को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत ने अपनी बौद्धिक सम्पदा के रूप में पंजीकरण कराया है और विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) को भेज दिया गया है|
  • अब इस लोगो (logos) का उपयोग विश्व में कहीं भी करने के लिए भारत से लिखित अनुमति लेनी होगी और जो शुल्क निर्धारित होगी वो देनी होगी|
  • इसको पंजीकृत कराने शुरुआत अगस्त 2021 में की गयी थी, इसको दर्ज करने के लिए 6 महीने का समय निर्धारित है|
  • ये लोगो 100 वर्ष से भी अधिक पुराने है|

 दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे:

  • इसका निर्माण 1879 व 1881 के बीच हुआ था जब भारत में ब्रिटिश शासन था|
  • यह पश्चिम बंगाल में स्थित है|
  • यूनेस्को ने 1999 में इसे विश्व धरोहर स्थल में घोषित किया है|

 अन्य विश्व धरोहर स्थल पर्वतीय रेलवे के:

  • तमिलनाडु के निलगिरी पर्वतीय रेलवे को 2005 में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया है|
  • हिमांचल प्रदेश के कालका-शिमला रेलवे को 2008 में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया है|

बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO):

  • यह संयुक्त राष्ट्र (UN) की ऐजेंसी है, इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है|

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