भारत के एथेनॉल सेक्टर में मक्के का प्रयोग

भारत के एथेनॉल सेक्टर में मक्के का प्रयोग

भारत के एथेनॉल सेक्टर में मक्के का प्रयोग

संदर्भ- हाल ही में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण, कपड़ा, वाणिज्य व उद्योग मंत्री पियूष गोयल ने एथेनॉल सेक्टर में आए सुधार को सराहा है। उनके अनुसार खाद्य व प्रसंस्करण विभाग द्वारा मक्का से एथेनॉल बनाया जा रहै है। 

एथेनॉल- 

  • यह एक प्रकार का एल्कोहल है जिसे एथिल एल्कोहॉल, ड्रिंकिंग एल्कोहॉल और बस एल्कोहॉल भी कहा जाता है।
  • इसका रासायनिक सूत्र C2H5OH है। 

एथेनॉल का  निर्माण दो विधियों से किया जा सकता है-

  1. संश्लेषण विधि- सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ एथिलीन की क्रिया कराने से एथिल हाइड्रोजन सल्फेट बनता है। इस मिश्रण के जल के साथ उबालने पर एथिल एल्कोहॉल या एथेनॉल प्राप्त होता है।
  2. किण्वीकरण विधि – किसी भी शर्करा या स्टार्च युक्त पदार्थ से एथेनॉल की प्राप्ति की जा सकती है। इसके लिए शर्करा युक्त पदार्थ में शक्कर की मात्रा के बराबर ही जल को मिश्रित किया जाता है। अनावश्यक किण्वों की वृद्धि को रोकने के लिए मिश्रण में सल्फ्यूरिक अम्ल की कुछ बूंदे मिलायी जाती हैं। तथा मिश्रण में यीस्ट मिलाकर इसे गर्म किया जाता है 40-50 घण्टों में किण्वीकरण समाप्त हो जाता है और पदार्थ में उपस्थित शर्करा की 95% मात्रा एथिल एल्कोहॉल और कार्बन डाई ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाती है।

एथेनॉल निर्माण हेतु संसाधन

  • शर्करा युक्त पदार्थ जैसे- गन्ना, ग्लूकोज, शीरा, महुआ का फूल आदि 
  • स्टार्च युक्त पदार्थ जैसे- आलू, चुकंदर, चावल, जौ, मकई आदि।)

एथेनॉल के उपयोग

उद्योगों में एथेनॉल का प्रयोग बहुतायत मात्रा में किया जाता है। इसका उपयोग साधारणतः वार्निश, पॉलिश, दवाओं काघोल, ईथर, क्लोरोफॉर्म व कृत्रिम रंग, पारदर्शक साबुन, इत्र, फल की सुंदरता आदि में किया जाता है। वर्तमान में एथेनॉल का उपयोग कई नए उद्योगों में किया जा रहा है। 2021 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एथेनॉल सम्मिश्रण के संबंध में एक रिपोर्ट जारी की।

एथेनॉल सम्मिश्रण रिपोर्ट 2021- जिसके तहत पैट्रोल में एथेनॉल सम्मिश्रण का उपयोग किया जा सकेगा। जिससे यह पैट्रोल के साथ ईंधन का कार्य करेगा। इसके द्वारा 2025 तक पैट्रोल में 20% सम्मिश्रण का रोडमैप तैयार किया गया है। रोडमैप के अनुसार निम्नलिखित लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं-

  • अखिल भारतीय इथेनॉल उत्पादन क्षमता को मौजूदा 700 से बढ़ाकर 1500 करोड़ लीटर करना
  • अप्रैल 2022 तक E10 ईंधन का चरणबद्ध रोलआउट
  • अप्रैल 2023 से E20 का चरणबद्ध रोल आउट, अप्रैल 2025 तक इसकी उपलब्धता
  • अप्रैल 2023 से E20 सामग्री- अनुरूप और ETO इंजन- ट्यून वाहनों का रोलआउट
  • अप्रैल 2025 से ई20 – ट्यून्ड इंजन वाहनों का उत्पादन
  • इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए मक्का जैसी जल बचत वाली फसलों के उपयोग को प्रोत्साहित करना,
  • गैर-खाद्य फीडस्टॉक से इथेनॉल के उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना।

भारत में एथेनॉल उत्पादन 

  • भारत में एथेनैल के निर्माण के लिए केवल शर्करा युक्त पदार्थ पर्याप्त नहीं है, अतः स्टार्च युक्त पदार्थों जैसे चावल व मक्का को इसमें शामिल किया गया है। 
  • अनाज आधारित एथेनॉल के लिए भारत अभी केवल टूटे चावल जैसे क्षतिग्रस्त खाद्यान्न का उपयोग किया जा रहा है। 2025 तक 20% एथेनॉल सम्मिश्रण को हासिल कर पाने के लिए अन्य खाद्यान्नों को भी इसमें शामिल किए जाने की आवश्कता है। 
  • विश्व स्तर पर मक्का, एथेनॉल के व्यापक निर्माण के लिए आपूर्ति का कारक है, क्योंकि इसमें पानी की खपत व लागत कम लगती है।

मक्का उत्पादन- 

  • भारत एक अनाज उत्पादक देश है और देश के अनाजों में चावल व गेहूँ के बाद भारत में सर्वाधिक मक्का का उत्पादन किया जाता है। 
  • मक्का देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन का लगभग 10% है।
  • FAO के आंकड़ों के अनुसार 2020 में भारत, मक्का का पाँचवा सबसे बड़ा उत्पादक देश था। भारत में इसका उत्पादन 28.6 मिलियन टन था। 
  • एथेनॉल में प्रयोग के साथ मक्का, मानवों के लिए खाद्यान्न, पशुओं के लिए चारा व विभिन्न उद्योगों में प्रयोग किया जा सकता है।
  • भारत मक्के का निर्यात बांग्लादेश, श्रीलंका, वियतनाम, नेपाल, मलेशिया और म्यांमार आदि देशों में करता है। 

एथेनॉल निर्माण में मक्के के प्रयोग के लाभ-

  • भारत में मक्के की कम मांग होने के कारण किसानों को उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। एथेनॉल निर्माण में मक्के का उपयोग होने से इसके मांग में वृद्धि होगी। जिससे किसानों को मक्के का उचित मूल्य मिल सकेगा और मक्का उत्पादनमें वृद्धि हो सकेगी। 
  • एथेनॉल के लक्ष्य हेतु 2021 में टूटे चावल के निर्यात को प्रतिबंधित करना पड़ा था जिस कारण विश्व व्यापार में भारत को हानि भी हुई है। मक्के के उत्पादन में वृद्धि से टूटे चावल को निर्बाध रूप से निर्यात किया जा सकेगा। 
  • इस प्रकार के ईंधन से पर्यावरण को न्यूनतम हानि होगी।
  • इसके साथ ही महंगे तेल के आयात में कमी आएगी।  

स्रोत

Yojna daily current affairs hindi med 3 May 2023

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