मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का निर्णय बनाम वक्फ बोर्ड की संपत्ति

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का निर्णय बनाम वक्फ बोर्ड की संपत्ति

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 1 के अंतर्गत भारतीय विरासत स्थल, प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम ’ खंड से तथा सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ केंद्रीय वक्फ बोर्ड, केंद्रीय वक्फ परिषद, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप ’ और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण, वक्फ अधिनियम 1995 ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैंयह लेख ‘ दैनिक करेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का निर्णय बनाम वक्फ बोर्ड की संपत्ति ’ खंड से संबंधित है। )

 

खबरों में क्यों ?

 

  • हाल ही में, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है जिसमें बुरहानपुर में स्थित तीन प्राचीन स्मारकों, जिनमें बीबी साहिबा की मस्जिद या (बीबी की मस्जिद) भी शामिल है, को वक्फ बोर्ड की संपत्ति के रूप में मान्यता देने से इंकार कर दिया है। 
  • मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) के द्वारा दिए गए तर्क को स्वीकार करते हुए कहा कि ये स्मारक प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत संरक्षित हैं और वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं।

 

भारत के कुछ मुख्य विवादित स्थल : 

भारत के कुछ मुख्य विवादित स्थल निम्नलिखित है – 

शाह शुजा स्मारक (खरबूजा महल) :

  • यह स्मारक मुगल सम्राट शाहजहाँ के बेटे शाह शुजा की पत्नी बेगम बिलकिस का मकबरा है।
  • इसे “खरबूजा महल” के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह पत्थर से बना है और इसे मोर्टार से प्लास्टर किया गया है तथा चित्रों से सजाया गया है।

 

नादिर शाह का मकबरा :

  • यह विशाल मकबरा आठ मेहराबों पर बना है।
  • भारत में इस मकबरे को गलती से “नादिर शाह” का मकबरा बता दिया गया है। 
  • वास्तविक रूप से यह फारुकी वंश के दसवें सुल्तान मुहम्मद शाह फारुकी द्वितीय (974-84/1566-76 ई.) का मकबरा है।

 

बीबी साहिबा की मस्जिद (बीबी की मस्जिद) :

  • यह मस्जिद गुजरात के सुल्तान मुज़फ्फर शाह द्वितीय की बेटी रानी बेगम रोकैया द्वारा बनवाई गई है।
  • इसका निर्माण लगभग 1529 ई. के आस – पास पूरा करवाया गया था।
  • यह 15वीं शताब्दी के दौरान बुरहानपुर के उत्तरी भाग में घनी आबादी के कारण बनवाया गया था।

 

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India, ASI) : 

  • भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India, ASI) संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाला प्रमुख संगठन है, जो पुरातात्त्विक अनुसंधान और भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए जिम्मेदार है।
  • इसका मुख्य कार्य राष्ट्रीय महत्व के प्राचीन स्मारकों, पुरातात्त्विक स्थलों, और अवशेषों की देखभाल करना है। 
  • ASI भारत में सभी पुरातात्त्विक गतिविधियों को अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार नियंत्रित करता है, जिसमें प्राचीन स्मारक और पुरातात्त्वीय स्थल शामिल हैं। 
  • इसके अलावा, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण बहुमूल्य कलाकृतियों की देखभाल के लिए बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 का भी पालन किया जाता है। 
  • ASI की स्थापना वर्ष 1861 में पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा की गई थी, जिन्हें ‘भारतीय पुरातत्त्व के जनक’ के रूप में भी जाना जाता है।

 

भारत में राज्य/संघ शासित प्रदेश वक्फ बोर्ड : 

 

  • वक्फ अधिनियम 1995 के तहत, भारत के प्रत्येक राज्य और संघ शासित प्रदेश में एक वक्फ बोर्ड की स्थापना की गई है। 
  • वक्फ संपत्तियाँ मुस्लिम समुदाय के धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन से संबंधित होती हैं।
  • ये बोर्ड स्थानीय वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और देखरेख के लिए जिम्मेदार होते हैं। 
  • वक्फ बोर्ड का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम समुदाय की धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक भलाई को सुनिश्चित करना है। 
  • वक्फ संपत्तियाँ भारतीय इतिहास, सांस्कृतिक विरासत और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 
  • इन संगठनों का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा, प्रबंधन और विकास करना है ताकि वे समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग के लिए उपलब्ध रह सकें।

 

केंद्रीय वक्फ परिषद : 

  • केंद्रीय वक्फ परिषद, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक वैधानिक निकाय है। 
  • इसे वक्फ अधिनियम, 1954 के प्रावधानों के अनुसार 1964 में स्थापित किया गया था। 
  • इसका मुख्य उद्देश्य वक्फ बोर्डों के कामकाज से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार के सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करना है। 
  • यह परिषद विभिन्न राज्य वक्फ बोर्डों के कार्यों और उनके संचालन से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार को सलाह प्रदान करती है। 
  • केंद्रीय वक्फ परिषद का उद्देश्य वक्फ बोर्डों के कार्यों का समन्वय और निरीक्षण करना है, ताकि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन प्रभावी और पारदर्शी ढंग से किया जा सके।

 

विवादित स्थल के बारे में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण का तर्क :  

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) ने विवादित स्थल के संबंध में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किए हैं – 

  • प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के अंतर्गत संरक्षित स्मारक : ASI का कहना है कि विवादित स्थल को प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत प्राचीन और संरक्षित स्मारक के रूप में मान्यता प्राप्त है। इस अधिनियम के तहत, उक्त स्थल पर विशेष संरक्षण और देखभाल की जाती है।
  • धारा 11 की स्थिति : अधिनियम की धारा 11 के अनुसार, इस स्मारक का संरक्षक आयुक्त (Commissioner) होता है। आयुक्त को स्मारक की उचित देखभाल और समय-समय पर निरीक्षण करने का अधिकार और जिम्मेदारी दी जाती है। 
  • धारा 14 की आवश्यकता : ASI ने तर्क किया कि जब तक धारा 14 के तहत संरक्षकता को औपचारिक रूप से छोड़ा नहीं जाता, तब तक किसी भी स्थल को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता। 
  • स्मारक की अस्थायी स्थिति : ASI ने जोर देकर कहा कि एक बार जब किसी संपत्ति को प्राचीन और संरक्षित स्मारक के रूप में घोषित कर दिया जाता है, तो उसे वक्फ संपत्ति के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है। 
  • वक्फ बोर्ड की घोषणा की वैधता : ASI ने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड द्वारा वर्ष 2013 में की गई घोषणा अवैध थी। ASI का मानना है कि एक संरक्षित स्मारक को वक्फ संपत्ति के रूप में घोषित करना नियमों और कानूनी प्रावधानों के विपरीत है। 

 

इन तमाम तर्कों के आधार पर, ASI ने विवादित स्थल की वक्फ संपत्ति के रूप में वर्गीकरण को चुनौती दी है और इसे प्राचीन और संरक्षित स्मारक के रूप में बनाए रखने की मांग की है।

 

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का निर्णय : 

  • मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया जिसमें शाह शुजा स्मारक, नादिर शाह का मकबरा और बुरहानपुर में बीबी साहिबा की मस्जिद को वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के रूप में मान्यता देने के प्रयास को अस्वीकार कर दिया है । 
  • न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ये स्थल वक्फ अधिनियम के लागू होने से पहले ही प्राचीन स्मारक घोषित किए जा चुके थे और इसीलिए इन्हें वर्तमान समय में वक्फ संपत्तियों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है।
  • मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के अनुसार, वक्फ बोर्ड द्वारा इन ऐतिहासिक स्थलों को वक्फ संपत्ति घोषित करना और याचिकाकर्ता को उन्हें छोड़ने का आदेश देना पूरी तरह से अवैध होने के साथ – ही – साथ विधिक दृष्टि/ कानूनी रूप से भी पूर्णतः अवैध है। 
  • यह निर्णय प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत प्राचीन स्मारकों की रक्षा को मजबूती प्रदान करता है और सुनिश्चित करता है कि पहले से सरकारी स्वामित्व और संरक्षण में मौजूद संपत्तियों को वक्फ संपत्तियों के रूप में पुनर्वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।
  • इस निर्णय का मुख्य निहितार्थ यह है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत इन ऐतिहासिक स्थलों की निरंतर देखभाल और संरक्षण को सुनिश्चित किया जाएगा। 
  • उच्च न्यायालय के इस निर्णय से भारत में मौजूद प्राचीन स्मारकों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की रक्षा की जा सकेगी और वक्फ बोर्ड द्वारा इन स्मारकों के अधिकार पर विवाद को भी समाप्त किया जा सकेगा।
  • इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा इन ऐतिहासिक स्थलों की निरंतर देखभाल और संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।

 

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी। 

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारतीय इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. लखनऊ स्थित रूमी दरवाज़ा और बड़ा इमामबाड़ा के निर्माण में लाल-बलुआ पत्थर एवं संगमरमर का प्रयोग हुआ है।
  2. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत ऐतिहासिक स्थलों की निरंतर देखभाल और संरक्षण किया जाता है।
  3. भारत में जब किसी संपत्ति को प्राचीन और संरक्षित स्मारक के रूप में घोषित कर दिया जाता है, तो उसे वक्फ संपत्ति के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है।
  4. केंद्रीय वक्फ परिषद, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक स्वायत्त निकाय है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 3

(b) केवल 2 और 4 

(c) केवल 2 , 3 और 4

(d) केवल 1, 2 और 3 

उत्तर: (d)

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

 

Q.1. भारत में प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण, सुरक्षा और उसके कलात्मक महत्व में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की भूमिका का उदाहरणों के साथ चर्चा करें। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

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