विश्व पर्यावरण दिवस 2024 : महत्व और चुनौतियाँ

विश्व पर्यावरण दिवस 2024 : महत्व और चुनौतियाँ

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 ‘ भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, पर्यावरण प्रदूषण, जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता और उससे संबंधित पहल ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ विश्व पर्यावरण दिवस और जैव विविधता , संयुक्त राष्ट्र सभा, स्टॉकहोम कन्वेंशन, COP, NAP, लाइफ आंदोलन ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैंयह लेख ‘ दैनिक करंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ विश्व पर्यावरण दिवस 2024 : महत्व और चुनौतियाँ ’  से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ?

 

 

  • हाल ही में 5 जून 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की ओर जन-जागरूकता को बढ़ावा देने का उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारत के दो पर्यावरणविदों ने बाघ संरक्षण क्षेत्रों के अंदर भारत के पहले बायोस्फीयर रिजर्व की स्थापना की है, जिससे वनों की कटाई पर अंकुश लगाने और जैवविविधता की पुनर्स्थापना में सहायता मिलेगी।
  • विश्व पर्यावरण दिवस प्रतिवर्ष 5 जून को मनाया जाता है।
  • भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित राजाजी नेशनल पार्क के अंतर्गत एक टाइगर रिजर्व में, पर्यावरणविद् जय धर गुप्ता और विजय धस्माना ने एक अभिनव पहल की है। 
  • उन्होंने राजाजी राघाटी बायोस्फीयर (RRB) की स्थापना की, जो कि भारत का पहला ऐसा बायोस्फीयर है जो एक टाइगर रिजर्व के भीतर बनाया गया है।
  • यह बायोस्फीयर 35 एकड़ के निजी वन क्षेत्र पर आधारित है, जिसका मुख्य उद्देश्य शिकारियों और खनन के प्रभाव से सुरक्षित रखते हुए स्थानीय वनस्पति की दुर्लभ और विलुप्तप्राय प्रजातियों की पहचान और संरक्षण करना है। 
  • RRB के लिए चयनित भूमि पहले बंजर और अनुपजाऊ थी, लेकिन अब यह जैव विविधता का एक समृद्ध स्थान बन चुका है।
  • इसके अलावा, वे महाराष्ट्र में पुणे के पास सह्याद्री टाइगर रिजर्व के बफर जोन में कोयना नदी के ऊपर एक और बायोस्फीयर विकसित कर रहे हैं।
  • यह पहल पश्चिमी घाट के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो वन्यजीवों और उनके आवासों के संरक्षण के लिए जरूरी है।

 

विश्व पर्यावरण दिवस क्या है ? 

 

 

 

  • संयुक्त राष्ट्र सभा ने सन 1972 में विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य मानव पर्यावरण के महत्व को समझाना और इसे संरक्षित करने की दिशा में कार्य करना था। यह दिन स्टॉकहोम में आयोजित मानव पर्यावरण पर पहले सम्मेलन का भी प्रतीक है।
  • विश्व पर्यावरण दिवस (WED) हर साल एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है, जो उस समय के प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से प्रेरित होता है। 
  • 2024 में, विश्व पर्यावरण दिवस (WED) की मेजबानी सऊदी अरब द्वारा की गई है।
  • वर्ष 2024 में, विश्व पर्यावरण दिवस (WED) थीम ‘भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता’ है।
  • भारत ने 2018 में ‘प्लास्टिक प्रदूषण को हराएँ’ थीम के साथ WED के 45वें समारोह की मेजबानी की थी। 2021 में, WED समारोह ने पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक (2021-2030) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्रों को पुनर्जीवित करना है।

 

भारत में भूमि पुनरुद्धार का महत्व : 

 

भूमि पुनरुद्धार का महत्व निम्नलिखित है – 

  • पर्यावरणीय क्षति को उलटना: भूमि क्षरण, सूखा और मरुस्थलीकरण का मुकाबला करना।
  • निवेश पर उच्च प्रतिफल: निवेश किये गए प्रत्येक डॉलर से स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र से 30 अमेरिकी डॉलर तक का लाभ प्राप्त हो सकता है।
  • समुदायों को बढ़ावा देना: रोज़गार सृजन करता है, निर्धनता को कम करता है और आजीविका में सुधार करता है।
  • लचीलापन को मज़बूत करना: समुदायों को चरम मौसम की घटनाओं का बेहतर ढंग से सामना करने में सहायता करता है।
  • जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करता है: मिट्टी में कार्बन भंडारण क्षमता में वृद्धि करता है और तापमान वृद्धि की गति को धीमा करता है।
  • जैवविविधता की रक्षा: केवल 15% क्षरित भूमि को बहाल करने से अपेक्षित प्रजातियों के विलुप्त होने के महत्त्वपूर्ण हिस्से को रोका जा सकता है।

2024 में, मरुस्थलीकरण रोकथाम हेतु संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCCD) की 30वीं वर्षगाँठ भी मनाई जाएगी, जो इस वर्ष की थीम के महत्व को और भी बढ़ाती है।

 

पर्यावरणीय स्थिरता में भारत का योगदान : 

 

भारत ने पर्यावरणीय स्थिरता के लिए निम्नलिखित योगदान दिए हैं:

  • मिशन LiFE (Lifestyle for Environment): यह एक वैश्विक पहल है जो लोगों को सतत जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करती है।
  • राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (GIM): इसका लक्ष्य 5 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वन/वृक्ष आवरण को बढ़ाना और अन्य 5 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वन/वृक्ष आवरण की गुणवत्ता में सुधार करना है।
  • राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम (NAP): इसके तहत वर्ष 2020 तक 21.47 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वनरोपण किया गया है।
  • राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना: यह भारत की जैवविविधता की रक्षा और संवर्धन के लिए एक रणनीतिक ढांचा प्रदान करती है।
  • नगर वन योजना (शहरी वन योजना): यह शहरों और कस्बों के भीतर छोटे शहरी वन या “नगर वन” विकसित करने पर केंद्रित है।
  • स्कूल नर्सरी योजना: यह स्कूलों को अपनी नर्सरी विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  • CAMPA कोष: वनरोपण और पुनर्जनन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण की स्थापना की गई है।
  • आर्द्रभूमि संरक्षण: भारत ने जनवरी 2024 तक अपने रामसर स्थलों की संख्या को 80 तक बढ़ा दिया है, जिसमें कर्नाटक और तमिलनाडु में नए स्थल शामिल हैं। भारत की 75वीं स्वतंत्रता वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में अगस्त 2022 में 11 आर्द्रभूमियाँ शामिल की गई थीं। वेटलैंड्स ऑफ इंडिया पोर्टल वेटलैंड्स प्रबंधकों और हितधारकों के लिए ज्ञान केंद्र के रूप में कार्य करता है और बहुमूल्य जानकारी एवं संसाधन प्रदान करता है।
  • ये सभी पहल भारत की पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं और विभिन्न स्तरों पर वनरोपण, जैवविविधता संरक्षण, और आर्द्रभूमि प्रबंधन में योगदान करती हैं।

 

वन एवं वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भारत की वर्तमान स्थिति : 

 

  • वन एवं वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भारत ने पिछले 15 वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसमें शुद्ध वन क्षेत्र में वृद्धि के मामले में वह विश्व में तीसरे स्थान पर है। 
  • भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR) 2021 के अनुसार, देश का कुल वन क्षेत्र 7,13,789 वर्ग किलोमीटर है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.71% है। 
  • भारत ने प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष और प्रोजेक्ट एलीफेंट के 30 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया है , जिससे वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति भारत की  दृढ़ प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है।
  • ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम’ की शुरुआत वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने और बंजर वन भूमि के पुनरुद्धार के लिए की गई है, जो जलवायु कार्रवाई पहल में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
  • मैंग्रोव पुनरुद्धार के लिए, भारत सरकार ने तटीय राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में मैंग्रोव वनों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए विभिन्न उपाय किए हैं। 
  • राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम के तहत ‘मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों का संरक्षण एवं प्रबंधन’ नामक एक केंद्रीय क्षेत्र योजना भी लागू की गई है। 
  • केंद्रीय बजट 2023-24 में मैंग्रोव पहल (MISHTI) की घोषणा की गई, जो तटीय पर्यावास और ठोस आमदनी के लिए मैंग्रोव को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए है।
  • एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध के संदर्भ में, सरकार ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2024 के माध्यम से 2016 के प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों में संशोधन किया है, जिसमें चिह्नित एकल-उपयोग प्लास्टिक के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध शामिल है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए, जनवरी 2023 में 19,744 करोड़ रुपए के निवेश के साथ शुरू किया गया राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। 
  • इस मिशन का लक्ष्य भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाना है, जो जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को कम करेगा, अर्थव्यवस्था को कार्बन-मुक्त करेगा और वैऔर वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को गति प्रदान करेगी।

 

जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत की वैश्विक स्तर पर शुरू किया गया प्रमुख पहल : 

 

  • भारत ने सर्कुलर इकोनॉमी और संसाधन दक्षता के लिए वैश्विक गठबंधन (Global Alliance for Circular Economy and Resource Efficiency- GACERE) और अंतर्राष्ट्रीय संसाधन पैनल (International Resource Panel- IRP) के साथ मिलकर काम किया है। 
  • इन मंचों के माध्यम से, भारत ने वैश्विक और न्यायसंगत चक्रीय अर्थव्यवस्था के परिवर्तन और सतत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन की वकालत की है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) की छठी सभा 31 अक्तूबर 2023 को नई दिल्ली में आयोजित हुई थी, जिसमें 116 सदस्य देश और अन्य हस्ताक्षरकर्ता देशों के मंत्री और प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
  • पर्यावरण दिवस पर, कोयला मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें कोयला और लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा खनन प्रभावित क्षेत्रों में व्यापक वृक्षारोपण के माध्यम से भूमि पुनर्प्राप्ति के प्रयासों का विवरण है। 
  • इस रिपोर्ट में “कोयला एवं लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में हरित पहल” के तहत खनन द्वारा प्रभावित भूमि को बहाल करने और पुनर्जीवित करने के प्रयासों को उजागर किया गया है।
  • यह रिपोर्ट बताती है कि कोयला क्षेत्र भूमि पुनरुद्धार के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 
  • कोयला/लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने कोयला खनन क्षेत्रों में और उसके आसपास लगभग 50,000 हेक्टेयर का हरित आवरण बनाया है, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 2.5 मिलियन टन CO2 समतुल्य कार्बन सिंक का उत्सर्जन होने का अनुमान है। 
  • इस पहल का उद्देश्य वर्ष 2030 तक 2.5 से 3.0 बिलियन टन कार्बन सिंक बनाने के भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution- NDC) लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करना है।

 

विश्व पर्यावरण दिवस और जैव विविधता के संरक्षण में आगे की राह : 

 

 

  1. शिक्षा और जागरूकता: जैव विविधता के महत्व को लोगों के बीच जागरूक करने के लिए शिक्षा का महत्व है। शिक्षा के माध्यम से लोगों को जैव विविधता के महत्व के प्रति जागरूक करना चाहिए।
  2. समुद्री और जलवायु संरक्षण: समुद्री जीवों के संरक्षण के लिए समुद्री बागवानी के अधिकारियों को नवाचारिक तरीकों का उपयोग करना चाहिए। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने और उनका संवाद करने के लिए भी जागरूकता बढ़ानी चाहिए।
  3. वन्यजीव संरक्षण: वन्यजीवों के संरक्षण के लिए नवाचारिक तरीकों का अध्ययन करना चाहिए। वन्यजीवों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना चाहिए।
  4. वृक्षारोपण और जल संरक्षण: वृक्षारोपण के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए नवाचारों की बढ़ावा देकर लोगों को जैव विविधता के महत्व के प्रति जागरूक करना होगा।

 

स्रोत: द हिंदू एवं पीआईबी।

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में कभी-कभी समाचार पत्रों में दिखने वाला ‘ अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान ’  निम्नलिखित में से किससे संबंधित है?  ( UPSC – 2019 )

A. एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक) की स्थापना करने में सदस्य राष्ट्रों द्वारा किया गया पूँजी योगदान।

B. धारणीय विकास लक्ष्यों के बारे में विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य-योजना।

C. युद्ध-प्रभावित मध्य-पूर्व के शरणार्थियों के पुनर्वास के लिये यूरोपीय देशों द्वारा दिये गए वचन।

D. जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य-योजना।

उत्तर – D

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1.”वहनीय (ऐफोर्डेबल), विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय (सस्टेनबल) विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है।” भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिए (UPSC CSE – 2018 शब्द सीमा – 250 अंक – 15)

 

Q.2. भारत में भूमि पुनर्स्थापन की प्रमुख चुनौतियों और उससे उत्पन्न होने वाले प्रमुख अवसरों की व्याख्या करते हुए यह चर्चा कीजिए की पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन पर संयुक्त राष्ट्र दशक के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नीतिगत उपाय क्या – क्या हो सकते हैं ? तर्कसंगत मत प्रस्तुत कीजिए( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )  

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