20 Sep सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा संग्रहालय
सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा संग्रहालय।
संदर्भ- हजारों साल पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता को सहेजने के लिए सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा संग्रहालय हरियाणा के राखीगढ़ी में बनाया जा रहा है। हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाला खट्टर ने निर्माण संग्रहालय निर्माण कार्य की समीक्षा की तथा पुरातत्व विभाग से जल्द से जल्द खुदायी का कार्य पूर्ण करने का निर्देश दिए।
सिंधु घाटी की सभ्यता – सिंधु घाटी की सभ्यता विश्व की 4 प्रमुख सभ्यताओं में से एक है, यह सभ्यता सिंधु व सरस्वती के साथ उनकी सहायक नदियों की घाटी में विकसित हुई। अपनी कुछ विशेषताओं के कारण यह अन्य सभ्यताओं से भिन्न है-
- सुनियोजित नगर नियोजन व सुदृढ़ सुरक्षा प्राचीर
- जल निकास योजना और दीर्घकालीन जल संरक्षण व संवर्धन योजना।
- उत्कृष्ट मृद्भाण्ड, लिपि।
- उत्कृष्ट मापन प्रणाली और बाट की 16 के गुणक में व्यवस्था।
- मुद्रा प्रणाली।
राखीगढ़ी-
- हरियाणा के हिसार जिले की सरस्वती व दृषद्वती नदी के क्षेत्र में स्थित सिंधु सभ्यता के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। इसकी प्रमुख नदी घग्घर है।
- राखीगढ़ी की खोज 1969 में सूरजभान ने की थी।
- राखीगढ़ी का व्यापक उत्खनन 1997 से 1999 के मध्य अमरेन्द्र नाथ द्वारा किया गया।
- उत्खनन से ज्ञात हुआ कि राखीगढ़ी भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे बड़ी प्राचीन सभ्यताओं में से एक है।तथा सिंधु घाटी सभ्यता का चौथा सबसे बड़ा शहर है।
- राखीगढ़ी से प्राक हड़प्पा(3500-2600) ई. पू. व परिपक्व हड़प्पा(2600-1900) ई. पू. दोनों युग के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
राखीगढ़ी से प्राप्त अवशेष-
- मिट्टी के बर्तन- सिरेमिक युक्त लाल मिट्टी के अलंकृत बर्तन या मृदभांड दैसे तश्तरिया, छिद्रदार जार आदि प्राप्त हुए हैं।
- मुहरें- 5 वर्ण युक्त एक बेलनाकार मुहर, जो इनके अक्षर ज्ञान को प्रदर्शित करती है।
- मानव कंकाल- राखीगढ़ी से प्राप्त मानव कंकाल 6000 ई. पू. का माना जा रहा है। प्रो. बसन्त शिंदे के शोध के अनुसार इन कंकाल की डी एन ए रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण एशियाई लोगों का रक्त एक ही है और आर्य कहीं बाहर से नहीं आए थे। वे यहीं के मूल निवासी थे।
- इन सब के साथ राखीगढ़ी से चूड़ियाँ, कीमती पत्थर, ताँबे के उपकरण आदि प्राप्त हुए हैं।
राखीगढ़ी संग्रहालय की विशेषताएँ-
- यह संग्रहालय राखीगढ़ी को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय तौर पर नई पहचान देगा।
- संग्रहालय में एक ओपन एयर थिएटर व एक पुस्तकालय भी होगा।
- सिंधु घाटी सभ्यता की लगभग 5000 वर्ष पुरानी सभ्यता को विश्व स्तर पर नई पहचान देगा।
सिंधु घाटी सभ्यता हेतु संग्रहालय-
- पुरातात्विक संग्रहालय कालीबंगा- कालीबंगा संग्रहालय राजस्थान के हनुमानगढ़ क्षेत्र में स्थित है, जिसे विशेषतः सिंधु सभ्यता के अवशेषों के संरक्षण हेतु 1986 में स्थापित किया गया। संग्रहालय में प्रारंभ में एक दीर्घा में सतह से प्राप्त अवशेषों जैसे- हड़प्पा लिपि युक्त मुद्रा, मुद्रा छापे, तांबे के औजार, फलक पत्थर, बांट, पशु पक्षियों की मूर्तियों आदि को रखा जाता था। अब तीन अन्य दीर्घाओं का निर्माण किया जा चुका है। जिनमें राजस्थान के पुरास्थलों के चित्र, उत्खनन से प्राप्त अवशेष तथा प्राक हड़प्पाकालीन मृद्भाण्ड संरक्षित किया गया है।
- पुरातात्विक संग्रहालय लोथल – यह संग्रहालय गुजरात राज्य के लोथल में स्थित है। इस संग्रहालय की स्थापना लोथल में स्थित सभी पुरातात्विक अवशेषों के संरक्षण के लिए 1976 में की गई थी। हाल ही में लोथल के समृद्ध सामुद्रिक इतिहास का वर्णन करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर की स्थापना की घोषणा की गई है। जिससे लोथल में सिंधु काल की सामुद्रिक गतिविधियों के भी सर्वेक्षण को गति मिलेगी।
- इसके अतिरिक्त अन्य हड़प्पा स्थलों के अवशेषों को विभिन्न संग्रहालयों जैसे-कराची, लाहौर, दिल्ली, लंदन आदि में सुरक्षित रखा गया है।
स्रोत-
https://timesofindia.indiatimes.com/travel/travel-news/worlds-largest-museum-of-harappan-culture-to-be-set-up-in-haryanas-rakhigarhi-village/articleshow/94143741.cms
https://www.downtoearth.org.in/hindistory/science/research/now-ganga-to-volga-66688
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