सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (SGB) योजना

सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (SGB) योजना

 

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ सरकारी बजट, बैंकिंग क्षेत्र और एनबीएफसी ’  खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (एसजीबी) , अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, राष्ट्रीयकृत बैंक, अनुसूचित निजी बैंक, अनुसूचित विदेशी बैंक, भारत सरकार द्वारा नामित डाकघर और डिजिटल अर्थव्यवस्था ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस  टीम के सुझाव भी शामिल हैंयह लेख ‘ दैनिक करेंट,अफेयर्स ’  के अंतर्गत ‘ सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (एसजीबी) योजना ’  खंड से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ? 

 

  • हाल ही में केंद्र सरकार ने बजट 2024-25 में स्वर्ण पर आयात शुल्क को 15% से घटाकर 6% करने की घोषणा की है। 
  • केंद्र सरकार द्वारा यह कदम भारत में स्वर्ण के आयात को सस्ता और आसान बनाने के लिए उठाया गया है, जिससे बाजार में स्वर्ण की उपलब्धता और इसकी कीमतों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • इस बदलाव का उद्देश्य स्वर्ण के आयात को बढ़ावा देना और इसके कीमतों में कमी लाना है, जिससे आम नागरिक और व्यापारियों को राहत मिलेगी।
  • केंद्र सरकार इसके साथ – ही – साथ सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (SGB) के भविष्य पर अंतिम निर्णय लेने की योजना बना रही है। 

 

भारत में स्वर्ण उद्योग की स्थिति :

भारत में स्वर्ण भंडार:

  • राष्ट्रीय खनिज सूची के अनुसार, 2015 तक भारत में स्वर्ण अयस्क का कुल भंडार 501.83 मिलियन टन अनुमानित किया गया था। 
  • भारत में पाए जाने वाले कुल स्वर्ण अयस्क के प्रमुख भंडार में से बिहार में (44%) स्थित हैं, इसके बाद राजस्थान (25%), कर्नाटक (21%), पश्चिम बंगाल (3%), आंध्र प्रदेश (3%), और झारखंड (2%) में हैं। 

 

भारत में स्वर्ण उत्पादन :

  • कर्नाटक देश के कुल स्वर्ण उत्पादन में लगभग 80% का योगदान करता है। 
  • कोलार ज़िले में स्थित कोलार गोल्ड फील्ड्स (KGF) विश्व की सबसे प्राचीन और गहराई वाली स्वर्ण खदानों में से एक मानी जाती है।

 

स्वर्ण आयात :

  • भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्वर्ण उपभोक्ता है। 
  • वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का स्वर्ण आयात 30% बढ़कर 45.54 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया था।
  • हालांकि, मार्च 2024 में स्वर्ण आयात में 53.56% की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई।

 

सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (SGB) योजना परिचय :

  • सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (एसजीबी) एक प्रकार की सरकारी प्रतिभूति है, जिसका मूल्य सोने की मात्रा के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
  • यह योजना भारत सरकार द्वारा 30 अक्टूबर, 2015 को प्रारंभ की गई थी। 
  • इसका उद्देश्य निवेशकों को भौतिक सोने के बजाय एक डिजिटल और सुरक्षित विकल्प प्रदान करना है।

 

सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड योजना की मुख्य विशेषताएँ : 

 

मूल्यांकन और भुगतान :

  • एसजीबी का मूल्य ग्राम सोने की मात्रा के आधार पर निर्धारित होता है। इसका मतलब है कि बांड की कीमत सोने की मौजूदा बाजार कीमत पर आधारित होती है।
  • निवेशक बांड की निर्गम मूल्य का भुगतान करते हैं, और परिपक्वता के समय बांड की राशि सोने की मौजूदा कीमत के अनुसार चुकाई जाती है।

 

लाभ और परिपक्वता :

  • एसजीबी एक सुरक्षित और लाभकारी निवेश का विकल्प प्रदान करता है। 
  • भारत में कोई भी निवेशक बांड की अवधि समाप्त होने पर या समय-समय पर प्राप्त ब्याज के माध्यम से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
  • बांड की परिपक्वता अवधि परिपक्वता तिथि के अनुसार निर्धारित की जाती है और इसे बांड के निर्गम मूल्य के अनुसार भुनाया जाता है।

 

जारीकर्ता :

  • गोल्ड बॉण्ड, सरकारी प्रतिभूति (GS) अधिनियम, 2006 के तहत भारत सरकार के स्टॉक के रूप में जारी किये जाते हैं। 
  • एसजीबी भारत सरकार की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी किए जाते हैं, जो बांड के सुरक्षा और वैधता को सुनिश्चित करता है।

 

सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड योजना में निवेश करने की पात्रता :

एसजीबी में निवेश करने के लिए निम्नलिखित पात्रताएँ हैं

  • व्यक्तिगत निवेशक : भारत के निवासी व्यक्ति, जो व्यक्तिगत रूप से, नाबालिग बच्चे की ओर से, या किसी अन्य व्यक्ति के साथ संयुक्त रूप से बांड खरीद सकते हैं।
  • हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) : भारत में इस योजना के तहत हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) एक कानूनी इकाई के रूप में बांड में निवेश कर सकते हैं।
  • ट्रस्ट : भारत में कोई भी कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त ट्रस्ट, अपने निवेश के लिए इस योजना के तहत बांड खरीद सकते हैं।
  • शैक्षणिक संस्थान : भारत में कोई भी विश्वविद्यालय या अन्य शैक्षणिक संस्थान, जो अपनी पूंजी को सुरक्षित और लाभकारी निवेश में लगाना चाहते हैं, इस योजना में अपना निवेश कर सकता है।
  • धर्मार्थ संस्थान : कोई भी धर्मार्थ संस्थान जो सामाजिक या धार्मिक गतिविधियों के लिए धन का प्रबंधन करते हैं, वे भी एसजीबी में अपना निवेश कर सकते हैं।

 

सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड योजना में निवेश करने की प्रक्रिया :

  • एसजीबी की बिक्री केवल भारतीय में निवास करने वाली संस्थाओं और व्यक्तियों को ही की जाती है। 
  • यह योजना निवेशकों को सोने के भौतिक रूप को रखने की बजाय एक डिजिटल और सुरक्षित विकल्प प्रदान करती है, जिससे उनके निवेश को सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से प्रबंधित किया जा सकता है।

 

निवेश की न्यूनतम सीमा :

  • सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड योजना के तहत निवेश राशि की न्यूनतम सीमा एक ग्राम सोना होता है। 

 

निवेश की अधिकतम सीमा :

  • व्यक्तिगत निवेशक के लिए : प्रत्येक व्यक्तिगत निवेशक के लिए अधिकतम निवेश सीमा 4 किलोग्राम सोना है।
  • हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए : एचयूएफ के लिए इस योजना के तहत अधिकतम निवेश सीमा भी 4 किलोग्राम सोना है।
  • ट्रस्ट और सरकारी संस्थाओं के लिए : इस योजना के तहत कोई भी ट्रस्ट अथवा सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित समान संस्थाओं के लिए अधिकतम निवेश सीमा 20 किलोग्राम सोना है।
  • संयुक्त होल्डिंग के मामले में : इस योजना के तहत यदि कोई बांड संयुक्त होल्डिंग में हैं, तो 4 किलोग्राम तक की निवेश सीमा केवल प्रथम आवेदक पर लागू होगी। 

 

बांड की अवधि : 

  • इस योजना के तहत बांड की कुल अवधि 8 वर्ष की होती है। 
  • इसमें 5वें, 6वें, और 7वें वर्ष में ब्याज भुगतान की तिथि पर बाहर निकलने का विकल्प उपलब्ध होगा।

 

सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (एसजीबी) को बेचने वाली अधिकृत एजेंसियां :

इस योजना के तहत बांड को निम्नलिखित एजेंसियों के माध्यम से बेचा जाता है – 

  • राष्ट्रीयकृत बैंक
  • अनुसूचित निजी बैंक
  • अनुसूचित विदेशी बैंक
  • भारत सरकार द्वारा नामित डाकघर
  • स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल)
  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (लघु वित्त बैंकों, पेमेंट बैंकों एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर),, क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड के माध्यम से सीधे या एजेंटों के माध्यम से खरीद के लिए उपलब्ध होता हैं।

 

अन्य सुविधाएँ :

भुगतान करने का  विकल्प : 

  • इस योजना के तहत बांड के लिए भुगतान विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है। 
  • इसमें नकद भुगतान (जो कि अधिकतम 20,000 रुपये तक सीमित है), डिमांड ड्राफ्ट, चेक, या इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग के माध्यम से भी भुगतान करना शामिल है। 
  • यह विविधता निवेशकों को सुविधा प्रदान करती है, ताकि वे अपनी सुविधा के अनुसार भुगतान कर सकें।

 

निवेशकों के लिए गारंटी प्रदान करना : 

  • इस योजना के तहत बांड की परिपक्वता के समय निवेशकों को सोने के बाजार मूल्य के साथ-साथ आवधिक ब्याज की पूरी गारंटी दी जाती है। 
  • इसका अर्थ यह है कि निवेशकों को उनके निवेश की वर्तमान सोने की कीमत के अनुरूप लाभ मिलेगा, साथ – ही -साथ निर्धारित ब्याज भी प्राप्त होगा।

 

संपार्श्विक (कोलेटरल) के रूप में उपयोग : 

  • ये बांड बैंकों, वित्तीय संस्थानों, और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा ऋण प्राप्त करने के लिए संपार्श्विक (कोलेटरल) के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। 
  • यह सुविधा बांडधारकों को अतिरिक्त वित्तीय लचीलापन प्रदान करती है।

 

स्टॉक एक्सचेंज पर व्यापार : 

  • एक बार बांड जारी होने के एक पखवाड़े के भीतर, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अधिसूचित तिथि पर ये बांड स्टॉक एक्सचेंजों पर कारोबार के लिए उपलब्ध हो जाएंगे। 
  • इससे बांडधारकों को अपने निवेश को आसानी से बिक्री के माध्यम से तरलता प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।

 

हस्तांतरण की सुविधा : 

  • सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 के प्रावधानों के तहत, इन बांडों को बेचा और हस्तांतरित किया जा सकता है। 
  • इससे बांडधारक अपने बांड को अन्य व्यक्तियों को ट्रांसफर कर सकते हैं, जिससे बांड का व्यापार और परिसंपत्ति का हस्तांतरण आसान हो जाता है।

 

ब्याज दर और कराधान की स्थिति :

  • यह योजना 2.5% की निश्चित वार्षिक ब्याज दर प्रदान करती है, जो अर्द्ध-वार्षिक रूप से देय है। 
  • गोल्ड बॉण्ड पर अर्जित ब्याज आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार कर योग्य है। 
  • इसलिए, ब्याज पर लागू कर की गणना और भुगतान करना बांडधारक की जिम्मेदारी होगी।

 

पूंजीगत लाभ पर छूट : 

  • सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (एसजीबी) के मोचन पर उत्पन्न पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन) पर किसी भी प्रकार के कर में छूट देने का प्रावधान किया गया है।
  • मोचन से तात्पर्य जारीकर्त्ता द्वारा परिपक्वता पर या उससे पहले बॉण्ड को पुनर्खरीद करने से है।
  • अतः इस योजना के तहत बांडधारक को उनके निवेश के मोचन पर प्राप्त लाभ पर कर का भुगतान नहीं करना होगा।

 

सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (एसजीबी) में निवेश के नुकसान : 

  • SGB (सोने की सरकारी बांड) भौतिक सोने की तुलना में एक दीर्घकालिक निवेश हैं और इन्हें तुरंत बेचना संभव नहीं होता है। 
  • हालांकि SGB एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध होते हैं, उनके ट्रेडिंग वॉल्यूम अपेक्षाकृत कम होते हैं, जिससे उन्हें परिपक्व होने से पहले बेचना मुश्किल हो सकता है।

 

ग्रीन बॉण्ड:

  • ग्रीन बॉण्ड कंपनियों, देशों और बहुपक्षीय संगठनों द्वारा विशेष रूप से उन परियोजनाओं को निधि देने के लिये जारी किये जाते हैं जिनका पर्यावरण या जलवायु से सकारात्मक लाभ होता है तथा निवेशकों को निश्चित आय भुगतान प्रदान करते हैं।
  • सरकार वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग 20,000 करोड़ रुपए के सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड जारी करने की योजना बना रही है।

 

स्त्रोत – पीआईबी एवं इंडियन एक्सप्रेस। 

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड योजना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. कर्नाटक देश के कुल स्वर्ण उत्पादन में लगभग 80% का योगदान करता है।
  2. यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी किए जाते हैं।
  3. इसके तहत व्यक्तिगत निवेशक के लिए अधिकतम निवेश सीमा 4 किलोग्राम सोना है।
  4. सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 के प्रावधानों के तहत, इन बांडों को बेचा और हस्तांतरित किया जा सकता है। 

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

(a) केवल 1 और 3 

(b) केवल 2 और 4 

(c ) केवल 3 और 4 

(d) 1, 2, 3 और 4 सभी। 

उत्तर – (d) 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) योजना की मुख्य विशेषताओं को रेखांकित करते हुए  सोने के आयात को कम करने के लिए इसे और अधिक प्रभावी बनाने के विभिन्न तरीकों पर चर्चा करें। (शब्द सीमा – 150 अंक – 10) 

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