अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध : चुनौतियाँ और समाधान

अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध : चुनौतियाँ और समाधान

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र –  2 के ‘ अंतर्राष्ट्रीय संबंध, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान और सहयोग, साइबर अपराध और उनके प्रभाव ’ और सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के ‘ आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद और संगठित अपराध, काला धन, संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ, मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन, साइबर अपराध, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF), ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक करेंट अफेयर्स के अंतर्गत ‘ अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध : चुनौतियाँ और समाधानसे संबंधित है।)

 

ख़बरों में क्यों ?

 

 

 

  • हाल ही में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले संगठित अपराध के संबंध में  वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF), इंटरपोल, और ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) के प्रमुखों ने अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध से उत्पन्न होने वाले विशाल अवैध मुनाफे के खिलाफ लड़ाई को तेज करने की जरूरत पर बल दिया है। 
  • हाल ही में जारी भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नागरिकों पर भी साइबर अपराध का खतरा बढ़ रहा है, जिससे इस विषय पर वर्तमान समय में चर्चा की अत्यंत आवश्यकता और जन जागरूकता की मांग भी बढ़ गई है।
  • संगठित अपराध की गतिविधियां जैसे कि ड्रग तस्करी, मानव तस्करी, मनी लॉन्डरिंग, आतंकवाद और हथियारों का अवैध व्यापार वैश्विक अर्थव्यवस्था से प्रत्येक वर्ष कई अरब डॉलर की निकासी करती हैं। वैश्विक स्तर पर इन गतिविधियों का न केवल आर्थिक प्रणाली पर बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।
  • भारत की भौगोलिक स्थिति गोल्डन ट्रायंगल’ और ‘गोल्डन क्रेसन्ट के मध्य होने के कारण, नारकोटिक ड्रग्स के लिए एक पारगमन बिंदु के रूप में काम करती है, जिससे ड्रग दुर्व्यसन और ड्रग तस्करी की समस्या और भी बढ़ जाती है।

अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध क्या होता है ? 

 

 

 

  • अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध को उन अवैध क्रियाकलापों के रूप में समझा जा सकता है जो विभिन्न देशों में सक्रिय समूहों या नेटवर्कों द्वारा संचालित होते हैं। इनमें आमतौर पर आर्थिक या भौतिक लाभ के लिए हिंसा, भ्रष्टाचार या संबंधित कार्य शामिल होते हैं। इसके विभिन्न रूप हैं। जो निम्नलिखित है – 
  • धन शोधन (मनी लॉन्डरिंग) : यह अवैध रूप से अर्जित धन को छिपाने या उसके स्रोत को बदलने की प्रक्रिया है ताकि वह वैध धन प्रतीत हो। अपराधी इसे कानूनी व्यवसायों में निवेश करके वैध बना देते हैं।
  • नशीले पदार्थों की तस्करी : इसके अंतर्गत वैश्विक स्तर पर नशीले पदार्थों की तस्करी होता है और यह वैश्विक स्तर पर अपराधियों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय है।
  • मानव तस्करी : इसमें वैश्विक स्तर पर लोगों का उपयोग यौन शोषण या श्रम-आधारित शोषण के लिए किया जाता है।
  • प्रवासियों की तस्करी : यह लोगों को अवैध रूप से एक देश से दूसरे देश में ले जाने का व्यवसाय से संबंधित होता है, जिसमें लोगों को अवैध रूप से एक देश से दूसरे देश में ले जाने का व्यवसाय होता है। 
  • अवैध आग्नेयास्त्रों की तस्करी : इसमें अवैध आग्नेयास्त्रों की तस्करी, हथियारों और गोला-बारूद का अवैध व्यापार शामिल है।
  • प्राकृतिक संसाधनों की तस्करी : इसमें खनिज, ईंधन, वन्यजीवन और अन्य नवीकरणीय संसाधनों का व्यापार शामिल है।
  • नकली दवाएँ : इसमें अवैध रूप से नकली या अनधिकृत दवाओं की बिक्री शामिल होता है।
  • साइबर अपराध और पहचान की चोरी : इसमें निजी डेटा चुराना और धोखाधड़ी से वित्तीय लेनदेन करना शामिल है। 
  • इस तरह की तमाम आपराधिक गतिविधियाँ विश्व भर में विभिन्न देशों की सीमाओं को पार करती हैं और इस तरह के अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध अक्सर बड़े पैमाने पर विभिन्न देशों पर आर्थिक और सामाजिक रूप से अपना प्रभाव डालती हैं।

 

भारतीय नागरिकों को निशाना बनाने वाले साइबर अपराध :

 

 

  • इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) द्वारा दर्ज की गई जानकारी के अनुसार, प्रतिदिन औसतन लगभग 7,000 साइबर-संबंधी शिकायतें दर्ज की जाती हैं। 
  • यह आंकड़ा भारतीय नागरिकों को निशाना बनाने वाले साइबर अपराधों में होने वाली उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है।
  • विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों में डिजिटल गिरफ्तारी, व्यापारिक घोटाले, निवेश घोटाले और डेटिंग घोटाले शामिल हैं, जो साइबर अपराधियों की विविध रणनीतियों को उजागर करते हैं। 
  • इन घोटालों में भारतीय नागरिकों से रुपये 500 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी की गई है।
  • इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर द्वारा जारी रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि भारतीय नागरिकों को निशाना बनाने वाले लगभग 45% साइबर अपराधों की उत्पत्ति दक्षिण पूर्व एशियाई देशों विशेषकर कंबोडिया, म्याँमार और लाओस जैसे देशों से होती है।
  • इन अपराधों में मंडारिन भाषा में लिखे गए वेब एप्लिकेशनों का उपयोग होने के कारण इसका चीन से संबंध होने की संभावना को भी नकारा नहीं जा सकता है।
  • साइबर अपराधियों द्वारा भारतीयों को फंसाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करके फर्जी रोजगार के अवसर प्रदान करने, और फिर उन्हें विभिन्न साइबर घोटालों में शामिल करने की रणनीति अपनाई जाती है। 
  • इस प्रकार के घोटालों में निवेश घोटाले, पिग बचरिंग घोटाले, ट्रेडिंग एप्प घोटाले और डेटिंग घोटाले शामिल हैं, जिनमें भारतीय सिम कार्डों का उपयोग करके संवाद किया जाता है। 
  • इस तरह के साइबर अपराधों के खिलाफ जागरूकता और सुरक्षा उपायों को बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले संगठित अपराधों का प्रभाव : 

 

  • अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध का प्रभाव व्यापक और गंभीर होता है। यह न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को प्रभावित करता है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण को भी नुकसान पहुँचाता है। नकली दवाएँ, धन शोधन, अवैध वित्तीय प्रवाह, वनोन्मूलन, और अवैध हथियारों का व्यापार इसके कुछ प्रमुख उदाहरण हैं। 
  • ये गतिविधियाँ न केवल आर्थिक विकास को बाधित करती हैं, बल्कि मानवाधिकारों का उल्लंघन और सामाजिक अस्थिरता भी पैदा करती हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले इस संगठित अपराध समूहों द्वारा अपने अवैध लाभों को वैध अर्थव्यवस्था में निवेश करके और स्थानीय अपराधियों के साथ मिलकर काम करके अपनी पहुँच के साथ – ही – साथ  अपने प्रभाव को बढ़ाते हैं। 
  • इससे विभिन्न देशों में आंतरिक सुरक्षा और पुलिस व्यवस्था पर बोझ बढ़ता है और इस तरह के संगठित अपराध समूहों द्वारा मानवाधिकार मानकों को भी कमजोर और उसका हनन किया जाता है।

 

अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के अवैध लाभ को लक्षित करने का महत्व :

 

 

 

  • सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति : अवैध लाभ को लक्षित करने से आपराधिक गतिविधियों को कम किया जा सकता है, जिससे वित्तीय स्थिरता, समावेशी आर्थिक विकास, और मजबूत संस्थानों के साथ-साथ 2030 के सतत् विकास एजेंडा के लक्ष्यों को साकार करने में मदद मिलती है।
  • आपराधिक गतिविधियों का नियंत्रण : अवैध लाभ को लक्षित करने से अपराधियों के लिए अपने कार्यों को वित्तपोषित करना और उनके नेटवर्क को बनाए रखना कठिन हो जाता है।
  • अन्य अवैध गतिविधियों पर अंकुश : अवैध लाभ अक्सर अन्य अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। इन फंडों को कम करने से भविष्य में अपराधों को रोकने में मदद मिलती है।
  • विधि के शासन को बढ़ावा मिलना : अवैध रूप से अर्जित लाभ को जब्त करने से विधि के शासन को बढ़ावा मिलता है और यह संदेश जाता है कि अपराध से लाभ नहीं होता।
  • विकास लक्ष्यों को सहायता : अवैध धन को वैध उद्देश्यों के लिए पुनर्निर्देशित करने से आर्थिक विकास और विकासात्मक पहलों को समर्थन मिलता है।
  • वैश्विक सुरक्षा में वृद्धि : धन शोधन और आतंकवाद का वित्तपोषण अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए जोखिम उत्पन्न करता है। अवैध लाभ को लक्षित करने से इन जोखिमों का मुकाबला करने में मदद मिलती है।
  • सुभेद्य जनसंख्या की सुरक्षा : अवैध लाभ से वित्तपोषित आपराधिक गतिविधियाँ अक्सर सबसे कमजोर वर्गों का शोषण करती हैं। इन मुनाफों को लक्षित करके, हम इनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना : यह अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराधों और आतंकवाद के वित्तपोषण को समाप्त करने में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग को बढ़ाता है।

 

अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध को नियंत्रित करने की राह में प्रमुख चुनौतियाँ : 

अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध (TOC) को नियंत्रित करने में निम्नलिखित चुनौतियाँ हैं – 

  • विविध कानूनी प्रणालियाँ : विभिन्न देशों के कानूनी ढांचे में अंतर TOC से निपटने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को जटिल बनाते हैं।
  • सर्वसम्मति का अभाव : विभिन्न राष्ट्रीय हितों और प्राथमिकताओं के कारण TOC के खिलाफ रणनीतियों पर वैश्विक सहमति बनाना कठिन है।
  • UNTOC का कार्यान्वयन : अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UN Convention Against Transnational Organized Crime – UNTOC) मुख्य कानूनी उपकरण है, परंतु इसका कार्यान्वयन और आपस में सहयोग अप्रभावी है।
  • सुसंगत रणनीति का अभाव : UNODC और अन्य निकायों में एक सुसंगत रणनीति की कमी है, जो विभाजित दृष्टिकोण को अपनाते हैं।
  • शक्तिशाली राज्यों के एकपक्षीय समाधान : शक्तिशाली राज्य अक्सर अनौपचारिक और एकपक्षीय समाधान की आशा रखते हैं, जिससे विधि के शासन और मानवाधिकारों के लिए चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
  • भ्रष्टाचार का होना : अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध में भ्रष्टाचार शामिल होता है, जो वैश्विक स्तर पर कानून प्रवर्तन और शासन संरचनाओं को कमजोर करता है।
  • तकनीकी प्रगति : अपराधी अवैध गतिविधियों के लिए प्रौद्योगिकी का दोहन करते हैं और कानून प्रवर्तन से आगे रहते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध : आतंकवादी गतिविधियों को अक्सर आपराधिक कमाई से वित्तपोषित किया जाता है, जो वैश्विक स्तर पर वैश्विक मानव समुदायों के लिए एक बड़ा खतरा है और यह संघर्ष के क्षेत्रों में हिंसा और अस्थिरता को बढ़ावा देता है, जिससे इसे नियंत्रित करने के प्रयास अत्यंत कठिन और जटिल होते हैं।

 

भारत में अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध की कानूनी स्थिति : 

 

  • भारत में संगठित अपराध का इतिहास और वर्तमान स्थिति : भारत में संगठित अपराध की जड़ें गहरी हैं, और यह देश के सामाजिक और आर्थिक ढांचे में गहराई से बसा हुआ है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उन्नति ने, सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक तत्वों के साथ मिलकर, इसे और भी व्यापक बना दिया है।
  • भारत में कानूनी ढांचा : भारत में संगठित अपराध से निपटने के लिए विशेष कानूनों की कमी है। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 और नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम, 1985 जैसे मौजूदा कानून व्यक्तिगत अपराधियों पर केंद्रित हैं, न कि आपराधिक संगठनों पर केंद्रित है।
  • भारत में राज्य – स्तरीय पहल : भारत में गुजरात, कर्नाटक, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने संगठित अपराध से मुकाबला करने के लिए अपने कानून बनाए हैं। जो अभी भी भारत में संगठित अपराध को रोकने और इससे निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता : भारत ने विश्व स्तर पर संगठित अपराध को रोकने और समाप्त करने के लिए  संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स और अपराध कार्यालय (UNODC), संयुक्त राष्ट्र के भ्रष्टाचार के खिलाफ सम्मेलन (UNCAC), और संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के खिलाफ सम्मेलन (UNTOC) जैसी अंतर्राष्ट्रीय संधियों का हस्ताक्षरकर्ता है। ये संधियाँ वैश्विक स्तर पर संगठित अपराध के खिलाफ सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देती हैं।

 

अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के खिलाफ समाधान की राह :

 

 

अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के विरुद्ध समाधान की दिशा में वैश्विक स्तर पर निम्नलिखित निवारक उपाय  किए जा सकते हैं – 

  • डार्क वेब घुसपैठ : डार्क वेब की गहराइयों में नेविगेट करने और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध द्वारा संचालित ऑनलाइन बाजारों में घुसपैठ करके महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी इकट्ठा करने हेतु विशेषज्ञ इकाइयों का विकास आवश्यक है।
  • ब्लॉकचेन फोरेंसिक्स : अवैध क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन की निगरानी के लिए ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग अनिवार्य है, जो अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के लिए मुख्य आय स्रोत बन चुका है।
  • सरकारी संस्थाओं में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए पारदर्शिता पहलों का समर्थन और प्रचार करना : सरकारी संस्थाओं में पारदर्शिता बढ़ाने और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के साथ सांठगांठ के अवसरों को कम करने के लिए पारदर्शिता पहलों का समर्थन और प्रचार करना चाहिए।
  • नागरिकों का सशक्तिकरण : नागरिकों को भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग के लिए सुरक्षित चैनलों के माध्यम से सशक्त बनाना चाहिए।
  • उन्नत अनुरेखण तकनीकों का प्रयोग : इसके तहत वैश्विक स्तर पर धन शोधन नेटवर्क की पहचान और उनके उन्मूलन के लिए उन्नत अनुरेखण तकनीकों का प्रयोग करना चाहिए।
  • विकासात्मक दृष्टिकोण को अपनाना : इसके तहत वैश्विक स्तर पर आपराधिक न्याय प्रतिक्रियाओं से परे, विकासात्मक, मानवाधिकार और सुरक्षा निहितार्थों को संबोधित करते हुए एक समग्र दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए।
  • अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध से निपटने के लिए रणनीतियों को एकीकृत करना : इसके तहत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संगठित अपराध से निपटने के लिए संघर्ष की रोकथाम, शांति संचालन और शांति निर्माण प्रयासों में अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध से निपटने के लिए रणनीतियों को एकीकृत करना चाहिए।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और राजनीतिक इच्छाशक्ति का निर्माण करना : यह समझना महत्वपूर्ण है कि कैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध और भ्रष्टाचार वैश्विक सार्वजनिक प्रणालियों को कमजोर करते हैं, और इसके विरुद्ध लड़ने के लिए बहुपक्षीय साधनों के माध्यम से प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की राजनीतिक इच्छाशक्ति का निर्माण करना चाहिए।
  • वास्तविक समय संलयन केंद्र: इसके तहत वैश्विक स्तर पर डेटा के त्वरित विश्लेषण, आपराधिक रुझानों की पहचान और संगठित अपराध पर समन्वित प्रतिक्रियाओं के लिए कानून प्रवर्तन, खुफिया एजेंसियों और निजी क्षेत्र के भागीदारों के बीच तत्काल सहयोग की सुविधा के लिए वास्तविक समय संलयन केंद्र का निर्माण करना अत्यंत आवश्यक है।
  • इस प्रकार, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के खिलाफ वैश्विक सहयोग और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है, ताकि इसके नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके और विश्व भर में शांति और स्थिरता को बढ़ावा दिया जा सके।

स्रोत –  द हिंदू एवं पीआईबी। 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले अवैध संगठित अपराधों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। ( UPSC – 2019)

  1. संयुक्त राष्ट्र के भ्रष्टाचार के खिलाफ सम्मेलन (UNCAC) अब तक का सबसे पहला सार्वभौम भ्रष्टाचार-निरोधी बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय संधियों का एक प्रमुख हस्ताक्षरकर्ता है।
  2. अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराधों के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNTOC) की एक विशिष्टता ऐसे एक विशिष्ट अध्याय का समावेशन है, जिसका लक्ष्य उन संपत्तियों को उनके वैध स्वामियों को लौटाना है, जिनसे वे अवैध तरीके से ले ली गई थीं।
  3. भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन [यूनाइटेड नेशंस कर्न्वेंशन अर्गेस्ट करप्शन (UNCAC)] का भूमि, समुद्र और वायुमार्ग से प्रवासियों की तस्करी के विरुद्ध एक प्रोटोकॉल’ होता है।
  4. अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराधों के खिलाफ मादक द्रव्य और अपराध विषयक संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों द्वारा UNCAC और UNTOC दोनों के कार्यान्वयन में सहयोग करने के लिए अधिदेशित है।

उपर्युक्त कथन / कथनों में से कौन-से कथन सही हैं?

A. केवल 1, 2 और 3

B. केवल 2, 3 और 4

C. केवल 2 और 4

D. केवल 1 और 4

उत्तर –  D

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले अवैध संगठित अपराधों के संबंध में यह चर्चा कीजिए कि भारत की भौगोलिक स्थिति संसार के दो सबसे बड़े अवैध अफीम उगाने वाले राज्यों से निकटता ने भारत की आंतरिक सुरक्षा चिताओं क्यों बढ़ा दिया है? अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराधों और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले अवैध गतिविधियों के बीच की कड़ियों को स्पष्ट करते हुए यह भी चर्चा कीजिए कि इन अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए भारत द्वारा क्या-क्या प्रतिरोधी उपाय किए जा सकते हैं? ( UPSC CSE – 2018, 2020 शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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