07 Jun अंतर्दृष्टि (वित्तीय समावेशन)
सिलेबस: जीएस 3 / भारतीय अर्थव्यवस्था
संदर्भ-
- हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ‘अंतरदृष्टि’ नाम से एक वित्तीय समावेशन डैशबोर्ड लॉन्च किया।
प्रमुख बिन्दु-
अंतर्दृष्टि-
- डैशबोर्ड प्रासंगिक मानकों को कैप्चर करकेवित्तीय समावेशन की प्रगति का आकलन और निगरानी करने के लिए आवश्यक मानक प्रदान करेगा।
- अंतरदृष्टि डैशबोर्ड के जरिए वित्तीय समावेशन की प्रगति का आकलन तय मानकों के अुनरूप किया जाएगा।
- डैशबोर्ड की मदद से देश में व्यापाक स्तर पर वित्तीय सेवाओं की कमी वाले क्षेत्रों का पता लगाया जा सकेगा और फिर इसके आधार पर काम किया जाएगा।
वित्तीय समावेशन-
- अर्थ: वित्तीय समावेशन समिति ने वित्तीय समावेशन को ” कमजोर वर्गों और निम्न आय वर्ग के लोगों को उनकी आवश्यकतानुसार वहाँ करने योग्य लागत पर समय से वित्तीय सेवाएँ तथा पर्याप्त ऋण उपलब्ध सुनिश्चित कराने की एक प्रक्रिया ” के रूप में परिभाषित किया है।
- वित्तीय समावेशन का मुख्य उद्देश्य उन प्रतिबंधों को दूर करना है जो वित्तीय क्षेत्र में भाग लेने से लोगों को बाहर रखते हैं और किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वित्तीय सेवाओं को उपलब्ध करना है।
- पृष्ठभूमि वित्तीय समावेशन की अवधारणा को पहली बार भारत में आधिकारिक रूप से 2005 में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पेश किया गया था।
वित्तीय समावेशन के उद्देश्य-
- 1-लोगों को संस्थागत बैंकिग व्यवस्था से जोड़ना जिससे जमा करने की प्रवृत्ती का जन्म दिया जा सके ।
- 2– लोगों को संस्थागत ऋण की प्राप्ती सुनिश्चित कराना जिससे साहूकारो पर निभर्रता को कम कर ऋणी को शोषण से बचाया जा सके ।
- 3– किसी भी प्रकार के लाभ, परिदान एवं बीमा जैसी सामाजिक सुरक्षा लाभार्थी तक प्रत्यक्ष रूप से पहुचाया जा सके ।
- 4– वित्तीय समावेशन का मुख्य उदेश्य उन प्रतिबंधों को दूर करना है जो वित्तीय क्षेत्र् में भाग लेने से लोगों को बाहर रखते है और किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वित्तीय सेवाओं को उपलब्ध करना है ।
वित्तीय समावेशन का महत्व-
- वित्तीय समावेशन आर्थिक संसाधनों की उपलब्धता को मजबूत करता है और गरीबों के बीच बचत की अवधारणा का निर्माण करता है।
- वित्तीय समावेशन समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह वंचित आबादी के समग्र आर्थिक विकास में मदद करता है।
- भारत में, गरीब और वंचित लोगों को संशोधित वित्तीय उत्पादों और सेवाओं के साथ प्रदान करके उनके उत्थान के लिए प्रभावी वित्तीय समावेशन की आवश्यकता है।
वित्तीय समावेशन प्राप्त करने में चुनौतियां-
- अपर्याप्त बुनियादी अवसंरचना (ग्रामीण हिमनलैंड के कुछ हिस्सों में, हिमालयी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में दूर दराज के क्षेत्रों में)
- ग्रामीण क्षेत्रों में खराब टेली और इंटरनेट कनेक्टिविटी,
- सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएँ,
- ग्रामीण व शहरी, अमीर व गरीब के मध्य असमानता वह डिजिटल गेप की खाई।
- प्रशासनिक व राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव।
सरकारी पहल–
प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई)-
- प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन मिशन है जो वहनीय तरीके से वित्तीय सेवाओं नामतः, बैंकिंग/बचत तथा जमा खाते, विप्रेषण, ऋण, बीमा, पेंशन तक पहुंच सुनिश्चित करता हो।
- इसे पीएम मोदी ने अगस्त 2014 में लॉन्च किया था।
पीएमजेडीवाई के तहत लाभ-
- जमा राशि पर ब्याज।
- एक लाख रुपए का दुर्घटना बीमा कवर।
- प्रधान मंत्री जन धन योजना के अंतर्गत रू0 30,000 का जीवन बीमा लाभार्थी को उसकी मृत्यु पर सामान्य शर्तों की प्रतिपूर्ति पर देय होगा
- भारत भर में धन का आसानी से निकासी।
- सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को इन खातों से लाभ अंतरण प्राप्त होगा।
- पेंशन, बीमा उत्पांदों तक पहुंच।
- प्रधान मन्त्री जन धन योजना के अन्तर्गत व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा
- छ: माह तक इन खातों के संतोषजनक परिचालन के पश्चात ओवरड्राफ्ट की सुविधा दी जाएगी। प्रति परिवार, मख्यत: परिवार की स्त्री के लिए सिर्फ एक खाते में 5,000/- रुपए तक की ओवरड्राफ्ट की सुविधा उपलब्ध है।
वित्तीय समावेशन (एफआई) सूचकांक
- वित्तीय समावेशन सूचकांक की अवधारणा एकव्यापक सूचकांक के रूप में की गई है जिसमें सरकार और क्षेत्रीय नियामकों के परामर्श से बैंकिंग, बीमा, निवेश, डाक तथा पेंशन क्षेत्र का विवरण शामिल है।
- इसे RBI द्वारा वर्ष 2021 मेंबिना किसी ‘आधार वर्ष’ के विकसित किया गया था और प्रत्येक वर्ष जुलाई में प्रकाशित किया जाता है।
भारत में अन्य वित्तीय समावेशन योजनाएं
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना,
- प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
- अटल पेंशन योजना
- वृद्धा पेंशन बीमा योजना
- अनुसूचित जातियों के लिए ऋण वृद्धि गारंटी योजना
- सुकन्या समृद्धि योजना।
स्रोत: बीएस
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