25 Jan अण्डमान निकोबार द्वीप समूह
संदर्भ- हाल ही में 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोष की जयंती (जिसे पराक्रम दिवस भी कहा जाता है) के अवसर पर अण्डमान व निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों को परमवीर चक्र विजेताओं का नाम दिया। जो निम्नलिखित हैं-
- नायक जदुनाथ सिंह,
- कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह,
- कैप्टन जीएस सलारिया,
- लेफ्टिनेंट कर्नल (तत्कालीन मेजर) धन सिंह थापा,
- सूबेदार जोगिंदर सिंह,
- मेजर शैतान सिंह,
- सीक्यूएमएच अब्दुल हामिद,
- लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर,
- लांस नायक अल्बर्ट एक्का,
- मेजर होशियार सिंह,
- सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल,
- फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों,
- मेजर रामास्वामी परमेश्वरन,
- नायब सूबेदार बाना सिंह,
- कैप्टन विक्रम बत्रा,
- लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे,
- सूबेदार मेजर (तत्कालीन राइफलमैन) संजय कुमार,
- और सूबेदार मेजर (ऑनरेरी कैप्टन) योगेंद्र सिंह यादव।
परमवीर चक्र, भारत का सर्वोच्च सैन्य शौर्य पुरस्कार है, जो विरोधियों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता व त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार की परंपरा 26 जनवरी 1950 से प्रारंभ की गई थी। देश के सबसे सम्माननीय पुरस्कारों में इसका स्थान दूसरा है।(सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न है) अब तक भारत के 21 वीरों को परमवीर चक्र प्रदान किया जा चुका है।
अण्डमान निकोबार द्वीप समूह,
यह बंगाल की खाड़ी के दक्षिण में हिंद महासागर में स्थित है। जो लगभग 836 द्वीपों से मिलकर बना है। अण्डमान द्वीपों (550) में लगभग 28 आबाद हैं। और निकोबार द्वीप में लगभग 22 द्वीप शामिल हैं। अण्डमान व निकोबार द्वीप को 150 किलोमीटर चौड़े 10 डिग्री चैनल द्वारा अलग किया जाता है। द्वीप समूह के दक्षिणी बिंदु का नाम, भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के नाम पर इंदिरा पाइंट रखा गया है।
अण्डमान द्वीप का नाम मलयालम शब्द हांदुमन शब्द से बना है जिसका संबंध हिंदू देवता हनुमान से लिया गया है। इसी प्रकार निकोबार भी मलयालम शब्द है जिसका अर्थ है नग्न लोगों की भूमि।
द्वीप समूहों और नाम परिवर्तन का इतिहास-
अण्डमान के पुरातात्विक साक्ष्य लगभग 2200 वर्ष पुराने हैं और इसकी भाषा, विशिष्ट संस्कृति व आनुवांशिकी से यहां का समुदाय(जनजातियाँ) मध्यपाषाणकालीन हो सकता है। अण्डमान द्वीप, ऐतिहासिक रूप से रामायणकाल से संबंधित है, रामायणकाल में इसे हण्डुकमान नाम से जाना जाता था। मध्ययुग मे यह चोलों के साम्राज्य में निहित थे।
13वी शताब्दी में मार्कोपोलो ने इस क्षेत्र का उल्लेख अंगामानियण के नाम से किया है। इसी प्रकार विदेशी यात्री फ्रियर अंडारिक ने 14 वी शताब्दी में और सीजर फ्रेडरिक ने 16वी शताब्दी में इन द्वीपों का उल्लेख किया है। 17वी शताब्दी में रॉयल इण्डियन नेवी के लेफ्टिनेंट रॉयल आर्चिबोल्ड ब्लेयर ने दक्षिणी अण्डमान के निकट छोटे से द्वीप में एक नेवल बेस बनाया। और जंगलों को साफ कर सभ्यता को बसाना प्रारंभ किया।
अंग्रेजों द्वारा इस क्षेत्र को जेल के रूप में विकसित किया गया जिसे सेलुलर जेल कहा जाता था, सेलुलर जेल में 200 राजनीतिक बंदियों का पहला जत्था 10 मार्च 1858 को आया था। इसमें कैदियों को स्वतंत्रता आंदोलन से दूर रखने के लिए रखा जाता था। 1938 में अंग्रेजों को यहाँ से सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करना पड़ा। सैलुलर जेल आज यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल सूची में शामिल है।
द्वितीय विश्व युद्ध के समय नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने जापानियों के साथ मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध आजाद हिंद फौज का गठन किया। अंग्रेजों ने नेताजी को गिरफ्तार करने का फरमान दिया तब नेताजी ने दिल्ली चलो का नारा देकर दिल्ली की ओर कूच किया और भारत की एक अस्थायी सरकार का गठन किया। जापान ने अण्डमान व निकोबार द्वीप, नेताजी की अस्थायी सरकार को दे दिए। नेताजी ने इन्हें शहीद द्वीप व स्वराज द्वीप का नाम दिया। भले ही नेताजी को उस समय हार का सामना करना पड़ा किंतु भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान व भारत की पहली अस्थायी सरकार के गठन का श्रेय नेताजी को ही जाता है।
सैलुलर जेल के प्रशासन के लिए अंग्रेज अधिकारियों के रहने का उत्तम प्रबंध रॉस आइलैण्ड में किया गया था। इसे अण्डमान का प्रशासनिक मुख्यालय भी कहा जाता था। जहाँ सुभाष चन्द्र बोस ने तिरंगा फहराया था। 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्थल का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, नील द्वीप को शहीद द्वीप और हैवलॉक द्वीप को स्वराज द्वीप घोषित किया।
स्रोत
No Comments