इण्टरनेट शटडाउन

इण्टरनेट शटडाउन

इण्टरनेट शटडाउन

संदर्भ- हाल ही में भारत के भरतपुर राजस्थान में भ्रामक वीडियो व अन्य सामग्री के प्रसारण को रोकने के लिए इण्टरनेट शटडाउन लागू किया गया। 

एक्सेस नाउ व कीप इट ऑन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत ने 2022 में 84 शट डाउन लागू किए थे, और लगातार 5वे साल इण्टरनेट बंद करने का आदेश जारी करने वाले देशों की सूची में शीर्ष पर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार जम्मू कश्मीर में  49 बार इण्टरनेट बंद कर दिया गया, जो सभी राज्यों में किए जाने वाले इण्टरनेट बंद की कार्यवाही में सर्वाधिक है। इसी प्रकार राजस्थान में 12 बार इण्टरनेट बंद किया गया। 

भारत में इण्टरनेट शटडाउन के संवैधानिक प्रावधान

दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017

  • इसके तहत टेलीकॉम सेवा व इण्टरनेट का सस्पेंशन किया जाता है। 
  • यह नियम भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 के अंतर्गत अधिसूचित किए गए हैं। 
  • इसके तहत सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति में किसी क्षेत्र के इण्टरनेट को बंद किया जा सकता है।
  • 1885 के तहत केंद्र सरकार के पास अधिकार है कि वह देश के इण्टरनेट को रेगुलेट या बंद कर सकता है।
  • इसके साथ ही टेलीकम्यूनिकेशन विभाग भी सार्वजनिक सुरक्षा व आपातकाल के समय इण्टरनेट का अस्थाय़ी निलंबन कर सकता है।

दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973- 

  • भारत के आपराधिक कानून के क्रियान्वयन के लिए निर्मित दण्ड प्रक्रिया संंहिता है। 
  • दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन अधिनियम 2017 के अस्तित्व में आने से पहले दण्ड स्वरूप धारा 144 के तहत इण्टरनेट को बंद किया जा सकता था। 

सर्वोच्च न्यायालय और ओवरसाइट कमिटी- 

2019 में जब 18 महीने तक जम्मू कश्मीर में इण्टरनेट सेवा बंद रही। इसके परिणामस्वरूप 2020 में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिए कि 2017 में जो प्रावधान किए गए थे वे पर्याप्त नहीं हैं, इण्टरनेट लोगों का मूलभूत अधिकार है और अनिश्चितकालीन इण्टरनेट बंद रखना गैर कानूनी है। जिसके बाद ओवरसाइट कमिटी ने इस विषय में कुछ सुझाव दिए जो कार्यपालिका तक सीमित थे-

  • नियमों की समीक्षा की जाए ताकि इंटरनेट शटडाउन के सभी पहलुओं को संबोधित किया जा सके, 
  • नियमों को बदलती तकनीक के अनुकूल किया जाए ताकि लोगो को कम से कम परेशानी हो, और 
  • इंटरनेट शटडाउन का आदेश देते समय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक समान दिशानिर्देश जारी किए जाएं। जैसे- राज्य सरकार पुलिसिंग या परीक्षा में नकल को रोकने के लिए इण्टरनट को बंद करने के आदेश दे सकती है।

अस्थायी निलंबन अधिनियम 2017 में आपातकाल के संदर्भ में कमिटी के सुझाव

  •  ऐसे स्पष्ट मानदंडों को संहिताबद्ध करना, जो सार्वजनिक आपातकाल और सार्वजनिक सुरक्षा के रूप में स्थापित हैं, 
  • इंटरनेट शटडाउन का महत्व तय करने के लिए एक व्यवस्था तैयार करना। 

 इण्टरनेट शटडाउन की परिस्थितियाँ

  • आपातकाल
  • भ्रामक वीडियो व अन्य सामग्री के प्रसारण पर रोक
  • परीक्षा में नकल को प्रतिबंधित करने का साधन
  • भिन्न भिन्न समाजों या क्षेत्रवाद में विवाद पर रोक
  • कानून के उल्लंघन की परिस्थिति में शांति का साधन आदि।

 इण्टरनेट शटडाउन का प्रभाव-

  • इण्टरनेट आधारित सभी व्यवसायों को आर्थिक हानि
  • मनोवैज्ञानिक प्रभाव- इण्टरनेट पर निर्भर सामाजिक जीवन से दूर होने पर मनोवैज्ञानिक रूप से कुप्रभाव व दुष्प्रभाव दोनों पड़ सकते हैं। 

भारत में इण्टरनेट शटडाउन

इण्टरनेट शटडाउन वेबसाइट के अनुसार भारत में शटडाउन के आँकड़े निम्न हैं- 

वर्ष 2015 2016 2017 2018 2019 2020 2021 2022
इण्टरनेट शटडाउन 14 31 79 134 109 132 101 75

इण्टरनेट बंद करने के सर्वाधिक केस और सर्वाधिक अवधि तक प्रतिबंधित इण्टरनेट जम्मू कश्मीर के रहे हैं। वर्तमान में इसे नियंत्रण के हथियार के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। और इण्टरनेट शटडाउन की घोषणा भी नहीं की जाती है, जिससे लोग अधिक चिंतित रहते हैं, और उनके व्यवसाय पर अधिक प्रभाव पड़ता है। 

स्रोत

इण्डियन एक्सप्रैस

https://internetshutdowns.in/

Yojna IAS daily current affairs hindi med 2 March 2023

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