ई फार्मा से सुरक्षा

ई फार्मा से सुरक्षा

ई फार्मा से सुरक्षा

संदर्भ- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार ई फार्मा पोर्टल का दुरुपयोग भविष्य के लिए एक बड़ी चिंता है इसलिए स्वास्थ्य मंत्रालय ईफार्मा प्लेटफॉर्म को पूर्णतः बंद करने पर विचार कर रहा है। 

ई फार्मेसी की वर्तमान स्थिति- 

भारत समेत समस्त विश्व में कोविड 19 महामारी के बाद से बाजारों पर ई सेवा पोर्टलों व ई बाजारों सहित ई फार्मेसी का प्रभाव बढ़ा है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में ई फार्मेसी मार्केट 2022- 2027 के अंतराल में अपने भौतिक समकक्षों की तुलना में, उपभोक्ता समस्याओं को दूर करने और उत्कृष्ट ग्राहक समाधान प्रदान करने के एक बेहतर और अधिक व्यावहारिक रणनीति के साथ काम करने के लिए कार्य करेगा। 

2021 में, ऑनलाइन फ़ार्मेसी का बाज़ार ₹25.50 बिलियन का था। यह 2022 से 2027 तक 22.20% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) पर विस्तार करने का अनुमान रखता है, और 2027 तक इसके ₹89.47 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। 

इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार इस प्रकार की दवाओं के प्रयोग से कई प्रकार की समस्याएं व मानव विकार उत्पन्न हो सकते हैं। 

ई फार्मेसी से संबंधित समस्य़ाएं-

1.दवाओं की गुणवत्ता पर प्रभाव- 

  • इसके द्वारा ऑनलाइन या अनैतिक दवाओं की बिक्री अर्थात विक्रेता द्वारा बिना लाइसेंस के गलत दवाओं की खरीद व बिक्री में संलग्न होना, इससे गलत दवाओं की बिक्री की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। 
  • पुरानी या खराब (expiry) दवाओं के वितरण के लिए द्वार खुल जाते हैं जिसके परिणाम जनसामान्य के स्वास्थ्य को दुष्प्रभावित कर सकते हैं। 

2.दवाओं तक असीमित पहुँच- मरीज के दवाओं तक आसान पहुँच के कारण बिना चिकित्सक परामर्श के दवाओं के अंधाधुंध प्रयोग की संभावनाएं बढ़ जाती है। जिससे मानव स्वास्थ्य पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। 

3.आदत बनाने वाली दवाओं की बिक्री कुछ दवाएं स्वास्थ्य लाभ के लिए बेहद कारगर साबित होती हैं किंतु उनके उपयोग करने के तरीके में परिवर्तन करने से यह नशे का कार्य करती हैं, इन्हें आदत बनाने वाली दवाएं भी कहा जाता है।जैसे – ओपियोड, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सीएनएस) अवसादक और उत्तेजक का कार्य कर सकता है इसके साथ ही यह सांस लेने में समस्या व कब्ज का कारक हो सकता है।

4.वैधानिक रूप से अनियंत्रित ई फार्मेसी 

  • औषधि व सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम 1940 केवल औषधियों के आयात, निर्यात व वितरण को तो नियंत्रित करता है किंतु इसमें ई फार्मेसी हेतु कोई प्रावधान नहीं दिया गया था।
  • औषधि व सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम 1948 में भी ई फार्मेसी की कोई परिभाषा नहीं दी गई है। 

फार्मेसी विभाग द्वारा इलाज की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया(Standard Operating System)  का प्रयोग किया जाता है। जिसके तहत चिकित्सक द्वारा निर्देशित दवाओं को मरीज द्वारा वितरण काउंटर से प्राप्त किया जाता है। वितरण काउंटर पर फार्मेसिस्ट दवाओं को चैक कर मरीज को उपलब्ध कराता है। अगर मरीज या फार्मेसिस्ट को निर्देशित दवा के लिए कोई भ्रम है तो वह चिकित्सक से पूछ सकता है। किंतु ई फार्मेसी के प्रसार के कारण यह पद्धति परिवर्तित हुई है।

ई फार्मेसी के विनियमन के लिए प्रयास 

  • दिसंबर 2018 में आए दिल्ली हाइकोर्ट के निर्णय के अनुसार बिना लाइसेंस के दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाई गई थी। 
  • भारत के औषधि महानियंत्रक ने भारत के ऑनलाइन दवा विक्रेताओं के लिए ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया था। नोटिस के अनुसार दवाओं की ऑनलाइन बिक्री में ऐसी दवाएं शामिल थी जिन्हें बिना डॉक्टर के निर्देशन के नहीं लिया जाना चाहिए। 

केवल चिकित्सक के परामर्श पर ही प्रयोग की जा सकने वाली दवाओं का विवरण निम्नलिखित है-

  • शेड्यूल एच दवाएं- शेड्यूल एच के तहत एजिथ्रोमाइसिन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन जैसी दवाएं आती हैं। शेड्यूल एच दवाओं के लेबल पर Rx अंकित होता है और इसके इस्तेमाल को लेकर चेतावनी भी दी गई होती है।
  • शेड्यूल एच1 दवाएं – एच1 दवाओं में एंटीबायोटिक्स, एंटी-ट्यूबरकुलोसिस और साइकोट्रोपिक होता है जो नशे की आदत बनाने का कारक हो सकता है। इन दवाओं के सेवन से पूर्व चिकित्सक की सलाह अनिवार्य होती है। 
  • शेड्यूल एक्स दवाएं – शेड्यूल एक्स में नारकोटिक और साइकोट्रोपिक जैस दवाएं आती हैं। जो मानसिक विकार का कारक बन सकती है। 

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