एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन और व्यक्ति की निजता की सुरक्षा

एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन और व्यक्ति की निजता की सुरक्षा

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी ।  

सामान्य अध्ययन – पेपर 3 – निजता की सुरक्षा , मौलिक अधिकार , सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर , डेटा सुरक्षा, डेटा सुरक्षा कानून, एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के लाभ और हानि। 

खबरों में क्यों ?

 

  • भारत के द्वारा पूरे देश के लिए प्रस्तावित ऑनलाइन सुरक्षा विधेयक (OSB) के अनुपालन के संदर्भ में एक ओर जहाँ व्हाट्सएप के प्रमुख ने कहा है कि – “ व्हाट्सएप भारत के ऑनलाइन सुरक्षा विधेयक (OSB) का अनुपालन नहीं करेगा, जो प्रभावी रूप से एंड-टू-एंड (E2E) एन्क्रिप्शन को प्रतिबंधित करता है ।” वहीं  Apple ने यह घोषणा की है कि-  “वह आईक्लाउड (iCloud) पर एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) द्वारा संरक्षित डेटा पॉइंट्स को 14 से 23 श्रेणियों तक और बढ़ाएगा, जिसके फलस्वरूप उपभोक्ताओं की निजता की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।”

 डेटा-ब्रीच-रिसर्च (data-breach-research) को साझा करने का मुख्य उद्देश्य :

  • हाल ही में Apple कंपनी द्वारा करवाए गए एक सर्वे – रिसर्च, जिसे डेटा-ब्रीच-रिसर्च (data-breach-research) भी कहा जाता है, के मुताबिक – भारत में वर्ष 2013 से लेकर वर्ष 2021 के दौरान डेटा ब्रीच की कुल संख्या तीन गुना से अधिक हो गई है। केवल वर्ष 2021 ई . में ही 1.1 अरब व्यक्तिगत रिकॉर्ड का डेटा सामने आया है।
  • इस एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के साथ, यदि क्लाउड में किसी तरह से भी किसी का व्यक्तिगत डेटा का उल्लंघन होता है , वैसी स्थिति में भी उपयोगकर्त्ता का डेटा पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा। कुछ  वित्त पोषित समूहों द्वारा शुरू किए गए हैकिंग हमलों से निपटने के लिए भी निजता का अधिकार और व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा की दृष्टिकोण से भी इस एन्क्रिप्शन की अतिरिक्त परत / स्तर किसी भी तरह से डेटा चोरी और अन्य सुरक्षा दृष्टिकोण से अत्यंत मूल्यवान साबित होगी।

एन्क्रिप्शन क्या है ?

  • डेटा को अनाधिकृत पहुंच या छेड़छाड़ से बचाने का एक तरीका को एन्क्रिप्शन कहा जाता है। इस प्रक्रिया में डेटा को एक गुप्त कोड में परिवर्तित करने का कार्य किया जाता है, जिसमें केवल और केवल लक्षित या इच्छित प्राप्तकर्ता ही इसे समझ सकता है। यह विभिन्न मामलों के लिए उपयोगी होता है। जैसे – आपसी ऑनलाइन संचार को सुरक्षित करना, आपस में संवेदनशील जानकारी संग्रहीत करना और अपनी डिजिटल पहचान को सत्यापित करना, आदि ।

एन्क्रिप्शन मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं –

  1. सममित और 
  2. असममित। 
  • सममित एन्क्रिप्शन डेटा को एन्क्रिप्ट और डिक्रिप्ट करने के लिए एक ही कुंजी का उपयोग करता है, जबकि असममित एन्क्रिप्शन कुंजी की एक जोड़ी का उपयोग करता है – एक सार्वजनिक और एक निजी। ध्यान देने वाली बात यह है कि किसी भी सार्वजनिक कुंजी को किसी के साथ भी साझा किया जा सकता है, लेकिनअसममित एन्क्रिप्शन में  निजी कुंजी को हमेशा गुप्त रखा जाता है ।

एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन की कार्य करने की प्रणाली : 

  • किसी भी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन पारगमन या दो उपकरणों के बीच साझा किये जा रहे डेटा में डेटा की सुरक्षा के लिए एक सुंदर लेकिन जटिल क्रिप्टोग्राफ़िक प्रणाली पर निर्भर रहता / करता है। मुख्य तत्व असममित क्रिप्टोग्राफी है, जो संचार को सुरक्षित करने के लिए सार्वजनिक और निजी – कुंजी के जोड़े का उपयोग करता है। सार्वजनिक कुंजी डेटा को एन्क्रिप्ट करती है, जबकि निजी कुंजी इसे डिक्रिप्ट करती है।
  • यह एक ऐसे संचार प्रक्रिया है जो दो उपकरणों के बीच साझा किये जा रहे डेटा को एन्क्रिप्ट करती है।
  • यह इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISPs), क्लाउड सेवा प्रदाताओं और साइबर अपराधियों जैसे तीसरे पक्षों को डेटा तक पहुँचने से रोकता है, खास तौर पर तब, जब किसी की भी व्यक्तिगत डेटा को स्थानांतरित किया जा रहा हो।

एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन में कार्य करने वाले तंत्रीय – व्यवस्था : 

  • संदेशों को एन्क्रिप्ट और डिक्रिप्ट करने के लिये उपयोग की जाने वाली क्रिप्टोग्राफिक कुंजियों को एंडपॉइंट्स पर संग्रहीत किया जाता है।
  • एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन की प्रक्रिया एक एल्गोरिथ्म का उपयोग करती है जो मानक पाठ को अपठनीय प्रारूप में बदल देती है।
  • इस प्रारूप को केवल डिक्रिप्शन कुंजियों वाले लोगों द्वारा खोला या पढ़ा जा सकता है, जो केवल एंडपॉइंट्सं पर संग्रहीत होते हैं और सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों सहित किसी भी तीसरे पक्ष के साथ साझा नहीं किया जाता है ।

एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन का आपसी संचार में उपयोगिता :

  • भारत में एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन का आमतौर पर उपयोग व्यावसायिक दस्तावेज़ों, वित्तीय विवरणों, कानूनी कार्यवाहियों और व्यक्तिगत वार्तालापों को स्थानांतरित करने के समय बहुत दिनों से किया जा रहा है।
  • किसी भी संग्रहीत डेटा तक पहुँचने के दौरान इसका उपयोग उपयोगकर्त्ताओं के प्राधिकरण को नियंत्रित करने के लिए भी किया जा सकता है।
  • उपयोगकर्ता उपभोक्ताओं के लिए आपस में होने वाले आपसी संचार को सुरक्षित करने के लिए  एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का उपयोग किया जाता है।
  • आमतौर पर किसी भी पासवर्ड को सुरक्षित करने, संग्रहीत डेटा की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए और क्लाउड स्टोरेज पर डेटा की सुरक्षा की अनंतिम सुरक्षा के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।

ब्रिटिश ऑनलाइन सुरक्षा विधेयक : 

  • ऑनलाइन सुरक्षा में सुधार के लिए,ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों पर ‘ड्यूटी ऑफ केयर के दायित्त्वों को लागू करने के लिए ऑनलाइन सुरक्षा विधेयक (OSB) एक ब्रिटिश प्रस्तावित कानून है। जिसका कार्य इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को ऑनलाइन सुरक्षा में सुधार के लिए कार्य करने के लिए बाध्य करने से प्रेरित है।
  • आतंकवाद और बाल यौन शोषण एवं दुर्व्यवहार (CSEA) सामग्री की पहचान करने एवं ऑनलाइन सुरक्षा विधेयक (OSB) का खंड 110 नियामक को अधिकांश इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को नोटिस जारी करने का अधिकार देता है, जिसमें निजी मैसेजिंग एप भी शामिल हैं, ताकि आतंकवाद और बाल यौन शोषण एवं दुर्व्यवहार (CSEA)  की जाँच कर उसे इंटरनेट प्लेटफार्मों से तत्काल हटाया जा सके। 
  • ऑनलाइन सुरक्षा विधेयक (OSB) एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को हटाने का आदेश नहीं देता है किंतु ऐसी सामग्री को चिह्नित करने के लिए किसी भी मैसेजिंग एप को सभी संदेशों को स्कैन करने की आवश्यकता होगी, जिसका अर्थ है वास्तव में एन्क्रिप्शन जैसी सुरक्षा तंत्र को तोड़ना।  
  • ऑनलाइन सुरक्षा विधेयक (OSB) को व्यक्ति की निजता और अभिव्यक्ति की आज़ादी जैसे मौलिक अधिकारों  द्वारा एक विरोधाभासी  रूप में देखा जाता है जो  राज्य या सरकारों द्वारा व्यक्ति की निजता और अभिव्यक्ति की आज़ादी जैसे मौलिक अधिकारों पर पाबंदी लगाने एवं उस पर निगरानी रखने की अनुमति देता है।

भारत में ऑनलाइन सुरक्षा विधेयक (OSB) : 

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 :

भारत सरकार द्वारा लाया गया यह अधिनियम देश में संचार के इलेक्ट्रॉनिक और वायरलेस मोड को नियंत्रित और दिशा – निर्देशित करता है यह एन्क्रिप्शन संबंधी किसी भी ठोस प्रावधान को करने या ठोस स्तर पर किसी भी सख्त नीति – निर्माण से छूट प्रदान कर देता है , जिससे उपभोक्ताओं की निजता का सवाल की दृष्टिकोण से यह अधिनियम हमें चिंतनीय बनाता और यह भारत में सूचना एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक ठोस दिशा – निर्देश बनाने की मांग भी करता है।

डिजिटल मीडिया आचार संहिता – नियम, 2021 : 

  • जिसे आमतौर पर ट्रेसेबिलिटी कहा जाता है के माध्यम से भारत सरकार ने भारत में पाँच मिलियन से अधिक उपयोगकर्त्ताओं वाले मैसेजिंग प्लेटफॉर्मों के लिये संदेश के ‘ पहले प्रवर्तक की पहचान को सक्षम करना’ अनिवार्य कर दिया है। भारत सरकार ने यह अनिवार्यता सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के माध्यम से किया है।
  • यह सर्वप्रथम संदेश भेजने वाले वाले व्यक्ति के बारे में है जिसने किसी संदेश को कितनी बार भेजा है और वह उसे कई बार अग्रेषित किया है’ यह जानकारी भी इस आचार संहिता नियम में निहित है।
  • भारत में व्हाट्सएप की प्रवेश दर 97% से अधिक है, जबकि यूनाइटेड किंगडम में यह लगभग 75% है। क्योंकि भारत में 487.5 मिलियन व्हाट्सएप उपयोगकर्त्ता हैं जहाँ मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर 22% अर्थात् 2.24 बिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्त्ता उपभोक्ता शामिल हैं

एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन से होने वाले लाभ (E2EE) :

एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन आपसी संप्रेषण में सुरक्षा प्रदान करने में सहायक : 

  • एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन आपसी संप्रेषण में सुरक्षा प्रदान करने में सहायक होता है क्योंकि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन सार्वजनिक कुंजी क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करता है, जो एंडपॉइंट उपकरणों पर निजी कुंजी संग्रहीत करता है। संदेशों को केवल इन कुंजियों का उपयोग करके डिक्रिप्ट किया जा सकता है, इसलिये केवल एंडपॉइंट डिवाइस तक पहुँच रखने वाले लोग ही संदेश को पढ़ने में सक्षम होते हैं।

तृतीय पक्ष से सुरक्षित रखने में मददगार : 

  • एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) यह भी सुनिश्चित करने का कार्य करता है कि उपभोक्ता या उपयोगकर्त्ता इंटरनेट डेटा सेवा प्रदाताओं, क्लाउड स्टोरेज प्रदाताओं और एन्क्रिप्टेड डेटा को प्रबंधित करने वाली कंपनियों सहित अनुचित पार्टियों से सुरक्षित रहें या उन्हें सुरक्षित रखने का कार्य करता है।

यह किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से मुक्त होता है :

  • डिक्रिप्शन कुंजी को E2EE के साथ प्रदान करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह प्राप्तकर्ता के पास पहले से ही मौज़ूद होती है।
  • यदि सार्वजनिक कुंजी के साथ एन्क्रिप्ट किया गया किसी संदेश भेजे जाने के दौरान किसी प्रकार की छेड़छाड़ की जाती है, तो प्राप्तकर्त्ता इसे डिक्रिप्ट नहीं कर पाएगा छेड़छाड़ की गई सामग्री तक पहुँच की सुविधा भी नहीं रहेगी।

अपठनीय और सरकारी नियमों के अनुपालन को बाध्य :

  • यह कई उद्योग विनियामक कानूनों / शर्तों या अनुपालन कानूनों से बँधे होते हैं, जिनके लिए  एन्क्रिप्शन – स्तर की डेटा सुरक्षा की प्राथमिक आवश्यकता होती है। अतः  एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) डेटा को अपठनीय बनाकर उसे सुरक्षित रखने में संगठनों की मदद कर सकता है।

एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) से होने वाली हानि:

यह समापन बिंदुओं को परिभाषित करने में अत्यंत जटिल होता है :

  • भारत में कुछ एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) को कार्यान्वयन करने के लिए एन्क्रिप्टेड डेटा को ट्रांसमिशन के दौरान कुछ बिंदुओं पर एन्क्रिप्ट और पुनः एन्क्रिप्ट करने की अनुमति देते हैं।
  • इसमें यह संचार सर्किट के समापन बिंदुओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित और अलग – अलग करता है। यदि एंडपॉइंट्स/समापन बिंदुओं से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ की जाती है, तो एन्क्रिप्टेड डेटा जाहिर हो सकता है। अतः यह संचार सर्किट के समापन बिन्दुओं को परिभाषित करने में अत्यंत जटिल होता है।

गोपनीयता का अत्यधिक  प्रावधान : 

  • इसमें सरकार और सरकारी कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ हमेशा चिंता व्यक्त करती रहती हैं कि एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) अवैध सामग्री साझा करने वाले लोगों की रक्षा कर सकता है क्योंकि सेवा प्रदाता कानून प्रवर्तन को सामग्री तक पहुँच प्रदान करने में असमर्थ  होता हैं।

मेटाडेटा हेतु सुरक्षा का अभाव और डेटा का दुरुपयोग करने वालों के लिए सहायक :

  • किसी भी प्रकार के आपसी  संप्रेषण में संदेश एन्क्रिप्टेड होते हैं, सन्देश से संबंधित सूचना जैसे संदेश की तिथि और भेजने वाले की जानकारी आदि सभी जानकारी संदेश  भेजने के बाद भी दिखाई देता है, जिससे यह यह डेटा का किसी भी तरह से दुरुपयोग करने वालों के  लिए सहायक सिद्ध हो सकती है।

भारत में वर्तमान समय में एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) के लिए मौजूद कानूनी ढाँचा :

भारत में मौजूदा समय में एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) संबंधी  किसी भी विशिष्ट कानून का अभाव :

  • वर्त्तमान समय में भारत में एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) संबंधी कोई भी विशिष्ट कानून नहीं है। हालाँकि, बैंकिंग, वित्त और दूरसंचार उद्योगों को नियंत्रित करने वाले कई उद्योग मानदंडों में न्यूनतम एन्क्रिप्शन मानक शामिल तो हैं जिनका उपयोग आपसी लेनदेन की सुरक्षा के लिए किया जाता है, लेकिन  यह कुछ विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित है और इसकी आम उपभोक्ताओं तक आसानी से पहुँच नहीं हो पाई है ।

एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) प्रौद्योगिकियों पर प्रतिबंध :

  • वर्तमान समय में भारत में ISP और DoT के बीच लाइसेंसिंग समझौते के शर्तों के मुताबिक – उपभोक्ताओं या उपयोगकर्त्ताओं को पूर्व मंज़ूरी के बिना सममित (सिमिट्रिक) कुंजी एल्गोरिदम या तुलनीय तरीकों का उपयोग करके 40 बिट्स से बड़े एन्क्रिप्शन मानकों का उपयोग करने की अनुमति नहीं है, जबकि भारत में ही ऐसे कई अतिरिक्त नियम और अनुशंसाएँ हैं जो भारत के विशेष क्षेत्रों के लिए  40 बिट्स से अधिक एन्क्रिप्शन स्तर का उपयोग करते हैं।

निष्कर्ष : / समाधान की राह : 

 

  • भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के माध्यम से भारत सरकार व्यक्तियों के निजता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को संरक्षित करते हुए इन सोशल मैसेजिंग प्लेटफार्म को स्व – नियमन को प्रेरित करने का प्रयास करती रहती है और उपभोक्ताओं की निजता को ध्यान में रखते हुए इन मैसेजिंग प्लेटफार्मों को दिशा – निर्देशित भी करती रहती है , किन्तु फिर भी कुछ आलोचनाएँ हैं जिसको व्यक्ति के निजता के मुद्दे से संबंधित होने के कारण इस ओर सरकारी विनियमन की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट कराती रहती है। इसका समाधान ढूंढकर ही भारत को एक लोकतंत्रात्मक एवं जनकल्याणकारी राज्य की अवधारणा की पुष्टि की जा सकती है। 

मानव अधिकार समझौते का पालन नहीं करते IT नियम : 

भारत के नए सूचना प्रौद्योगिकी (IT)  नियम मानव अधिकार समझौते के तहत न्तर्राष्ट्रीय  नागरिक और उनके राजनीतिक अधिकारों के नियम (ICCPR) का उल्लंघन करते हैं। ICCPR के अनुच्छेद  19 (3) में बोलने और खुद के विचार रखने की आज़ादी  होती है। जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा और जनमत या जन स्वास्थ्य और नैतिकता के लिए है। कहा जा रहा है कि नए IT नियम से ये सारी चीजें रुक रही हैं।

इससे आम यूजर्स का डाटा सरकार मैनेज करेगी: 

  • भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कानून होने के बावजूद स्पेशल मैसेंजर्स कंपनी का कहना है कि सरकार कंपनी को मॉनिटर करके तेजी से यूजर्स जनरेटेड कंटेंट को हटाया जा रहा है। इससे भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार का हनन होता है। भारत के आम नागरिकों नें इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म से कंटेंट को हटाने वाला सिस्टम तैयार किया जा रहा है। जिससे उपभोक्ताओं और कंपनी के बीच में काम करने वाले इसका गलत फायदा उठा सकते हैं।

भारत सरकार और वॉट्सऐप में विवाद का मुख्य कारण : 

  • वॉट्सऐप वाली एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) टेक्नोलॉजी को लेकर भारत सरकार और वॉट्सऐप में विवाद जारी है। पिछले महीने वॉट्सऐप ने IT नियम का विरोध किया था। आरोप लगाया था कि इससे उपभोक्ताओं  के निजता का अधिकार खतरे में है। UN शुरू से ही एंड – टू – एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) को सहयोग  करता रहा है। इनका मानना है कि यह एक प्रभावी टेक्निकल सेफगार्ड है। इससे निजता के अधिकार की सुरक्षा होती है।

भारत की एकता और अखंडता की रक्षा एवं सांप्रदायिक दंगों / हिंसाओं को रोकने के लिए सरकार डेटा लेती है : 

  • जब कोई हिंसा या भारत की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाले मैसेज वायरल होते हैं। किसी महिला को आपतिजनक स्थिति में या गलत तरीके से दिखाया जा रहा हो या बच्चों से संबंधित सेक्सुअल इश्यू की पड़ताल करनी होती है तो इसका इस्तेमाल किया जाता है। ताकि मैसेज को किसने और किस मकसद से फैलाया है इसका पता लगाया जा सके।
  • ट्रेसेब्लिटी के नियम को लेकर वॉट्सऐप और भारत सरकार में तनाव की स्थिति है। एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को यूजर्स की प्राइवेसी के लिए बनाया गया है। सरकार का तर्क है कि उन्हें सभी यूजर्स के मैसेज को पढ़ने को मिले तो वह सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वाले का आसानी से पता लगा लेंगे और भारत की एकता और अखंडता की सुरक्षा उपायों को क्रियान्वित करते हुए किसी भी तरह के सांप्रदायिक दंगों या हिंसा को रोका जा सकता है।

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

Q. 1. भारत में ऑनलाइन सुरक्षा विधेयक (OSB) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

  1. ऑनलाइन सुरक्षा में सुधार के लिए,ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों पर ‘ड्यूटी ऑफ केयर’ के दायित्त्वों को लागू करने के लिए ऑनलाइन सुरक्षा विधेयक (OSB) एक ब्रिटिश प्रस्तावित कानून है।
  2. आतंकवाद और बाल यौन शोषण एवं दुर्व्यवहार (CSEA) सामग्री की पहचान करने एवं ऑनलाइन सुरक्षा विधेयक (OSB) का खंड 110 नियामक को अधिकांश इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को नोटिस जारी करने का अधिकार देता है। 
  3. ट्रेसेबिलिटी के माध्यम से भारत सरकार ने भारत में पाँच मिलियन से अधिक उपयोगकर्त्ताओं वाले मैसेजिंग प्लेटफॉर्मों के लिये संदेश के ‘ पहले प्रवर्तक की पहचान को सक्षम करना अनिवार्य कर दिया है।
  4.  एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन चार प्रकार के होते हैं।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

(A) केवल 1, 2 और 4 

(B) केवल 2 , 3 और 4 

(C)  केवल 2 और 4 

(D) केवल 1, 2 और 3 

उत्तर – (D).

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1 भारत में मौजूद वर्तमान ऑनलाइन सुरक्षा विधेयक और व्यक्ति की निजता एवं अभिव्यक्ति का अधिकार किस तरह एक – दूसरे का विरोधभासी है ? तर्कसंगत व्याख्या कीजिए 

 

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