19 May एल्डरमैन विवाद
एल्डरमैन विवाद
संदर्भ- सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि लेफ्टिनेंट-गवर्नर (एलजी) को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में एल्डरमैन नामित करने की शक्ति देने का मतलब यह होगा कि वह “लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित” नागरिक निकाय को प्रभावी रूप से अस्थिर कर सकता है।
विवाद –
- दिल्ली नगर निगम ने दिल्ली में एल्डरमैन नियुक्त करने की सिफारिश की थी जिसका आम आदमी पार्टी द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा है। आप पार्टी के अनुसार भाजपा सरकार ऐसे सदस्यों को एल्डरमैन के लिए नियुक्त कर रही है, जिन्हें नगर निगम मामलों का कोई विशेष ज्ञान नहीं है। और यह भारत के संविधान के अनुसार भी वैध नहीं है।
- नियुक्ति से संबंधित नामांकन फाइलें शहरी विकास विभाग के माध्यम से भेजी जाती हैं, लेकिन नगर निगम आयुक्त द्वारा यह रिपोर्ट सीधे लेफ्टिनेंट गवर्नर को भेज दी गई, जिसका विऱोध हो रहा है।
- एलजी द्वारा राज्य स्तरीय मंत्री परिषद की सलाह को महत्व नहीं दिया गया।
एल्डरमैन –
-
- एल्डरमैन का शाब्दिक अर्थ किसी बड़े व्यक्ति से है। यहां बड़े व्यक्ति से आशय अनुभवी व्यक्ति से है।
- एक एल्डरमैन अंग्रेजी कानून में स्थापित न्यायालयों में एक नगरपालिका विधानसभा या परिषद का सदस्य होता है।
- विभिन्न देशों के संविधान में इस शब्द का प्रयोग अलग अलग रूप से हुआ है। जबकि इसका प्रारंभ सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में हुआ था।
- दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 1957 की धारा 3 के अनुसार दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा 25 वर्ष से अधिक आयु वाले दस लोगों को दिल्ली के उपराज्यपाल(एलजी) द्वारा एल्डरमैन के रूप में नियुक्त किया जाता है।
- यह महत्वपूर्ण व विवेकाधीन निर्णय लेने में सदन की सहायता करते हैं।
- स्थायी समितियों के चुनाव में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
- वित्तीय मामलों में भी इनका हस्तक्षेप रहता है।
- एल्डरमैन की सीमाएं- मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव में वोट देने का अधिकार नहीं है।
स्थानीय नगरीय प्रशासन
1992 में संविधान के 74वे संविधान संशोधन द्वारा नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया। इसके अंतर्गत तीन श्रेणियों को जोड़ा गया- नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायत।
नगर निगम – शहरी क्षेत्र में सर्वाधिक आबादी वाले शहरों को नगर निगम के अंतर्गत व्यवस्थित किया जाता है। जैसे- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता. बंगलुरु आदि। यहां की जनसंख्या 5 लाख से अधिक होती है।
नगरपालिका – किसी नगर निकाय की निगमित प्रशासनिक इकाई होती है जिसे स्थानीय प्रशासन व प्रबंधन के अधिकार होते हैं। यह निकाय नगर निगम से बड़ी व नगरपालिका परिषद से छोटी संस्था है। इसकी जनसंख्या 1लाख से 5 लाख तक हो सकती है।
नगर पंचायत – नगरीय प्रशासन में सबसे छोटी श्रेणी नगर पंचायत की होती है जो ग्रामीण से शहरी आबादी में तब्दील हुई है। इसकी आबादी शहरी निकाय में कम से कम 30 हजार व अधिक से अधिक 1 लाख हो सकती है।
दिल्ली नगर निकाय से संबंधित कानूनी प्रावधान-
- संविधान के 239AA में दिल्ली के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
- राज्य या समवर्ती सूची के शेष मामलों में कानून बनाने का अधिकार भी एनसीटी के पास है। दिल्ली के कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी एलजी के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत आती है।
- नियुक्ति के संदर्भ में एलजी, राज्य के मंत्रीपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करता है।
- सीमाएं-अनुच्छेद 239AA विशेष रूप से भूमि, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था को दिल्ली सरकार की विधायी शक्तियों के दायरे से बाहर करता है। अदालत ने स्वीकार किया कि इन तीन मुद्दों में “सेवाओं” के साथ कुछ ओवरलैप भी हो सकते हैं
स्रोत-
No Comments