18 Oct एवियन फ्लू
एवियन फ्लू
संदर्भ- हाल ही में टिकटॉक से प्रसिद्ध हुए एमु इमैनुएल, एवियन फ्लू से बीमार हो गए हैं। फ्लोरिडा में एक फार्म के मालिक ने लिखा है कि जंगली बगुले खेत में एवियन एन्फ्लूएंजा लेके आए। जिससे कई पक्षी मारे गए। इमैनुअल भी इन्हीं पक्षियों से संक्रमित माना जा रहा है। अमेरिका और ब्रिटेन में फैलने वाली बिमारी पक्षियों के लिए घातक होती है।
एवियन एन्फ्लूएंजा
- यह एक विषाणु जनित रोग है जिसे इंफ्लूएंजा ए या टाइप ए कहा जाता है।
- क्योंकि यह विषाणु पक्षियों को अधिकांश रूप से प्रभावित करता है। इसलिए इसे बर्ड फ्लू या बर्ड इन्फ्लूएंजा कहा जाता है।
- यह मानव सहित अन्य स्तनधारी जंतुओं को भी प्रभावित कर सकता है, इस अवस्था में इसे श्लेषमिक ज्वर कहा जाता है।
- इसे जूनोटेक वायरस भी कहा जाता है क्योंकि यह आमतौर पर मनुष्यों में संक्रमित नहीं होता, लेकिन संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने पर यह रोग उत्पन्न कर सकता है।
- एंफ्लूएंजा ए, 1878 में सबसे पहले इटली के पक्षी में पाया गया था।
- इसके लक्षण सामान्यतः जुकाम जैसे होते हैं, जिसमें सांस लेने में कठिनाई होती है। मनुष्यों में इसके लक्षण श्वसन संंबंधी रोगों के साथ निमोनिया जैसी नैदानिक रोग उत्पन्न कर सकती है।
एवियन फ्लू के प्रकार
- 1918-19 में फैले एन्फ्लूएंजा को स्पैनिश फ्लू भी कहा जाता है। इस कालखण्ड में विश्वभर में 5 करोड़ लोग मारे गए थे। यह H5N1 नामक वायरस के कारण हुआ था इसलिए इसे H5N1 वायरस भी कहा जाता है।
- एवियन एन्फ्लूएंजा वायरस HA व NA प्रोटीन से मिलकर बना होता है।
- एन्फ्लूएंजा के प्रकारों में H5N1, H7N9,H7N3, H7N7, H9N2 आदि शामिल हैं जो वायरस में प्रोटीन की मात्रा को प्रदर्शित करते हैं।
- 2009 में HA व NA का एक उपप्रकार H1N1 बड़ी आबादी में फैला था। यह आमतौर पर सुअरों में होने वाली बीमारी है। इसे स्वाइन फ्लू भी कहा जाता है। इसने मानव में संक्रमण कर विश्व की एक बड़ी आबादी को रोग से प्रभावित किया।
संक्रमण-
- एवियन फ्लू, संक्रमित जंगली पक्षियों के संपर्क के माध्यम से हो सकता है।
- यह संक्रमित स्थलों मेंं सार्वजनिक उपयोग वाले स्थानों जैसे संक्रमित तालाबों से हो सकता है।
- अत्यधिक संक्रमण की परिस्थिति में यह संक्रमित पक्षियों के अण्डों में भी पाया जाता है।
- आमतौर पर यह इंसानों में कम फैलता है, पर इसके कई वैरिएंट मानवों के लिए भी खतरे का सबब बन जाते हैं।
उपाय
- आमतौर पर पोल्ट्री फार्मों में संक्रमण को रोकने के लिए संक्रमित पक्षियों को मारना पड़ता है।
- पानी को शुद्ध करने की पारंपरिक प्रथाएँ अपनाना।
- चारा भण्डारण क्षेत्रों में जंगली पक्षियों को रोकने के लिए किए गए उपाय
- फ्लू के प्रति संवेदनशील प्रजाति के क्षेत्र से जंगली पक्षियों व पशुओं की आवाजाही को रोकने के उपाय करना।
- आयात निर्यात के माध्यम से फ्लू के सुरक्षित क्षेत्रों में पहुँचने की संभावनाओं को खत्म करने के लिए कई जैव सुरक्षा उपाय किए जा सकते हैं।।
भारत में एवियन फ्लू-
- पिछले वर्षों में देश के कई राज्यों जैसे- केरल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब में एवियन फ्लू की घटनाएं देखी गई।
- भारत में सर्वप्रथम महाराष्ट्र व गुजरात में 2005 में एवियन फ्लू की घटनाएं देखी गई।
- वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन फॉर एनिमल हैल्थ ने 2017 में घोषणा की कि भारत एवियन फ्लू से मुक्त हो चुका है।
- भारत ने स्वयं को 2019 में एवियन फ्लू से मुक्त घोषित किया। हांलाकि संक्रमित रोग होने के कारण इसके कुछ मामले दर्ज किए जा सकते हैं।
- 2021 में केरल व हरियाणा में पुनः इसके मामले दर्ज किए गए, जिसमें मृत बत्तखों व मुर्गियों से फ्लू वैरिएंट मिला।
- यह फ्लू पोल्ट्री पक्षियों के अतिरिक्त कौवों व जंगली पक्षियों में देखी गई।
भारत में बचाव उपबंध- भारत में फ्लू से बचने हेतु सोशल मीडिया में कई जागरुकता अभियान चलाए गए। पशुपालन व डेयरी विभाग भी फ्लू से सुरक्षा हेतु कई जागरुकता अभियान कर रहा है। खाद्य सुरक्षा व भारतीय मानक प्राधिकरण ने फ्लू से बचने के लिए कुछ एहतियात बरतने के निर्देश दिए थे-
- आधे उबले अण्डे व अधपके मांस खाने से बचना।
- संपर्कित क्षेत्रों में पक्षियों को सीधे छूने से बचना।
- मृत पक्षियों को नंगे हाथों से छूना।
- खुदरा मांस की दुकानों को संक्रमित क्षेत्र से जीवित या मृत पशु पक्षियों को न लाने के निर्देश दिए गए।
- सफाई व कीटाणुशोधन किया गया।
पशु अधिनियम(संक्रामक रोगों की रोकथाम व नियंत्रण अधिनियम) 2009 में भारत सरकार द्वारा लागू किया गया है। यह अधिनियम पशु पक्षियों में संक्रामक रोग अनियंत्रित होने पर अन्य पशु पक्षियों की रक्षा के लिए, संक्रमित पशु पक्षियों को मारने की अनुमति देता है। जिसका प्रयोग एवियन फ्लू की घटनाओं के समय कई बार किया जा चुका है।
इसके अतिरिक्त संक्रमण से बचाव के लिए संक्रमित पशु पक्षियों से अलगाव ही सबसे कारगर उपाय साबित हो सकता है।
स्रोत
https://legislative.gov.in/sites/default/files/A2009-27.pdf
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