कतर की अदालत द्वारा आठ भारतीयों की मौत की सज़ा पर अंतरिम रोक

कतर की अदालत द्वारा आठ भारतीयों की मौत की सज़ा पर अंतरिम रोक

( यह लेख ‘ इंडियन एक्सप्रेस ’, ‘ द हिन्दू’ , ‘भारत सरकार के गृह मंत्रालय के आधिकारिक वेबसाइट’ , ‘ भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक वेबसाइट’ ,  ‘ जनसत्ता ’ ,मासिक पत्रिका ‘वर्ल्ड फोकस’ और पीआईबी ’ के सम्मिलित संपादकीय के संक्षिप्त सारांश से संबंधित है। इसमें योजना IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के विशेषकरअंतर्राष्ट्रीय संबंध , अंतर्राष्ट्रीय संगठन , भारतीय राजनीति एवं शासन व्यवस्था, भारतीय नौसेना, भारत – कतर संबंध , अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे), संयुक्त राष्ट्र (यूएन) खंड से संबंधित है। यह लेख ‘ दैनिक करंट अफेयर्स ’ के अंतर्गतकतर की अदालत द्वारा आठ भारतीयों की मौत की सज़ा पर अंतरिम रोक से संबंधित है।)

सामान्य अध्ययन : अंतर्राष्ट्रीय संबंध , भारतीय राजनीति एवं शासन व्यवस्था, भारतीय नौसेना , भारत-कतर संबंध , अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) , संयुक्त राष्ट्र (यूएन)।

चर्चा में क्यों?

कतर में मौत की सजा पाए 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को 28 दिसंबर 2023 को बड़ी राहत देते हुए भारत सरकार की अपील पर सभी आठ लोगों की मौत की सजा पर अंतरिम रोक लगा दी है भारत के विदेश मंत्रालय ने इस मामले को लेकर कतर में स्थित कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसे सुनवाई के दौरान क़तर की अदालत ने मौत की सजा को कम कर दिया है । 

 

भारत के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि –  ” विस्तृत फैसले की कॉपी का हमें (भारत को ) इंतजार है हमारी कानूनी टीम अगले कदम को लेकर आठों भारतीयों के परिवारों के संपर्क में हैं सुनवाई के दौरान क़तर में स्थित भारत के राजदूत और अधिकारी कोर्ट में मौजूद रहे थे

भारत के विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि –  “ हम आठों भारतीय लोगों के परिवार के साथ शुरुआत से खड़े रहे हैं। इस  मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए ये सही नहीं होगा कि हम इसके बारे में ज्यादा बोलेंहम इस मामले को लगातार कतर प्रशासन के सामने उठा रहे हैं और उठाते रहेंगे

 

कौन हैं ये आठ भारतीय नौसेना के पूर्व कर्मी ?


भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मी की पहचान कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी ,कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश गोपाकुमार के रूप में हुई है

इन पर आरोप क्या है?

कतर में स्थित अल दाहरा कंपनी (Al Dahra Company) (कतर की निजी सुरक्षा कंपनी ) में काम करने वाले आठों भारतीयों पर कथित तौर पर जासूसी करने का आरोप है जिसे लेकर हाल ही में कतर के एक न्यायालय ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को जासूसी के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई है। संबद्ध अधिकारियों को अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था और उन पर गोपनीय जानकारी साझा करने संबंधी आरोप लगाए गए थे

वर्तमान मामले की पृष्ठभूमि:

याचिका:

  • दोहा में अल दहरा ( कतर की निजी सुरक्षा कंपनी) के साथ कार्य कर रहे अभियुक्त अधिकारियों पर वर्ष 2022 में कतर में उनकी गिरफ्तारी के समय कथित तौर पर गोपनीय जानकारी साझा करने का आरोप लगाया गया था।
  • भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारी क़तर की जिस ‘दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज़ एंड कंसल्टेंट सर्विसेज़”, कंपनी के लिए कार्य किया था, वह इतालवी मूल की उन्नत पनडुब्बियों के उत्पादन से भी जुड़ी थी, जो अपनी गुप्त युद्ध क्षमताओं के लिए भी जानी जाती हैं।
  • ध्यान देने वाली मुख्य बातें यह है कि कतर के अधिकारियों द्वारा उन आठ भारतीय अधिकारियों के खिलाफ लगे आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया गया है।

वर्तमान मामले को लेकर पूर्व में हुई जाँच – प्रक्रिया : 

  • वर्त्तमान इस मामले को लेकर वर्ष 2023 के मार्च और जून में दो- दो बार जाँच प्रक्रिया पूरी की गई और भी हुए हैं। जबकि इन आरोपी बंदियों को कई मौकों पर कांसुलर एक्सेस (Consular Access) भी प्रदान किया गया था, भारतीय और कतर दोनों ही देशों के अधिकारियों ने मामले की संवेदनशीलता का हवाला देते हुए इस मामले की गोपनीयता को बरक़रार बनाए रखा हुआ था।

वर्तमान मामले में भारत सरकार द्वारा दी गई प्रतिक्रिया:

  • आरोपी भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारीयों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार  सभी संभावित कानूनी विकल्प तलाश रहा है, साथ – ही साथ भारत ने अपने नागरिकों को दी गई मौत की सज़ा पर चिंता भी व्यक्त की थी।
  • क़तर में हिरासत में लिए गए आठ भारतीय पूर्व नौसैनिक अधिकारियों को कांसुलर तथा कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए विदेश मंत्रालय (MEA) ने अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है , और साथ – ही – साथ विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस मामले से जुड़े सभी बड़े महत्त्व से अवगत कराया है।

कूटनीतिक निहितार्थ:

  • एक ओर जहाँ बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी आर्थिक एवं राजनयिक संबंधों को बढ़ावा देने में योगदान करते हैं, वहीं यह निर्णय संभावित रूप से भारत और कतर के बीच संबंधों में तनाव उत्पन्न कर सकता है ।कतर में सात लाख से अधिक प्रवासी भारतीय आबादी निवास करती हैं जिससे भारत सरकार पर इस बात का दबाव बढ़ जाता है कि वहाँ की जेलों में बंद कैदियों की जान बचाने हेतु उच्चतम स्तर की कार्रवाई की जाए।
  • कतर में उन प्रवासी भारतीयों को उनकी ईमानदारी, कड़ी मेहनत, तकनीकी विशेषज्ञता और कानून का पालन करने वाले स्वभाव के लिए जाना जाता है और बहुत ही भी सम्मान दिया जाता है, क्योंकि वे प्रवासी भारतीय क़तर में  रोजगार के अलग-अलग क्षेत्रों में अपना योगदान दे रहे हैं।
  • भारतीय प्रवासी समुदाय द्वारा कतर से भारत को भेजी जाने वाली धनराशि प्रति वर्ष लगभग 750 मिलियन डॉलर होने का अनुमान है।
  • वर्तमान मामला भारत-कतर संबंधों में पहले बड़े संकट का प्रतिनिधित्व करता है, जो आमतौर पर अभी तक स्थिर रहे हैं।
  • वर्ष 2016 में भारत के प्रधानमंत्री के दोहा दौरे के साथ दोनों देशों के बीच एक – उच्च स्तरीय बैठकें भी हुई थी , जिसके बाद कतर के अमीर (Emir) के साथ भी दोनों देशों के बीच बैठकें हुईं थी ।
  • भारत को तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का एक महत्त्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता देश कतर है, जो भारत के LNG आयात के एक बड़े भाग का आपूर्तिकर्ता देश है।

भारत के पास वर्तमान में नौसेना कर्मियों की सज़ा को रोकने हेतु मौजूदा विकल्प:

राजनयिक विकल्प:

  • वर्तमान मामले में भारत मामले का समाधान तलाशने के लिए कतर सरकार के साथ सीधी कूटनीतिक वार्त्ता कर सकता है। दोनों देशों के बीच संबंधों के रणनीतिक और आर्थिक महत्त्व को देखते हुए भारत राजनयिक उत्तोलन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • मृत्युदंड को रोकने के लिए भारत सरकार अपने द्वारा राजनयिक दबाव का भी उपयोग कर सकती है।
  • दोषी कैदियों के स्थानांतरण के लिए वर्ष 2015 में भारत और कतर द्वारा हस्ताक्षरित समझौते का उपयोग करना है ताकि वे अपने गृह देश में अपनी सज़ा पूरी कर सकें। जैसी संभावनाओं पर भी भारत द्वारा विचार किया जा रहा है।
  • क़तर की अदालत द्वारा निर्णय के खिलाफ अपील दायर करना या गैर सरकारी संगठन और नागरिक समाज भी इस मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उठा सकते हैं तथा संयुक्त राष्ट्र द्वारा कतर पर  दबाव भी बनाया जा सकता है।

कानूनी विकल्प:

  • कतर की न्याय – प्रणाली के अनुसार मौत की सज़ा पाने वाले व्यक्ति कतर की कानूनी प्रणाली के तहत अपील दायर कर सकते हैं। अतः भारत का पहला कदम कतर में न्यायिक प्रणाली के अंतर्गत अपील करना है। 
  • भारत बंदियों को कानूनी प्रतिनिधित्व प्रदान करके यह सुनिश्चित कर सकता है कि अपील करने के उनके अधिकार का उचित रूप से पालन किया जाए।
  • यदि उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जाता है या अपील प्रक्रिया अव्यवस्थित है, तो भारत अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) क्षेत्राधिकार का उपयोग कर सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) एक विश्व न्यायालय के रूप में कार्य करता है जिसके पास दो प्रकार के क्षेत्राधिकार हैं । अर्थात् यह दो राज्यों के बीच उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए कानूनी विवाद (विवादास्पद मामले) के मामले में और संयुक्त राष्ट्र के अंगों तथा विशेष एजेंसियों (सलाहकार कार्यवाही) द्वारा इसे संदर्भित कानूनी प्रश्नों पर सलाहकारी राय देने के लिए भी है ।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) क्षेत्राधिकार में अब तक भारत किन – किन मामलों में शामिल था ?

  • कुलभूषण जाधव मामला (भारत बनाम पाकिस्तान)
  • भारतीय क्षेत्र पर मार्ग का अधिकार (पुर्तगाल बनाम भारत, वर्ष 1960 में समाप्त)।
  • ICAO परिषद् के क्षेत्राधिकार से संबंधित अपील (भारत बनाम पाकिस्तान, वर्ष 1972 में समाप्त)।
  • पाकिस्तानी युद्धबंदियों का मुकदमा (पाकिस्तान बनाम भारत, वर्ष 1973 में समाप्त)।
  • 10 अगस्त, 1999 की हवाई घटना (पाकिस्तान बनाम भारत, वर्ष 2000 में समाप्त )।
  • परमाणु हथियारों की होड़ को रोकने और परमाणु निरस्त्रीकरण की वार्ता से संबंधित दायित्व (मार्शल आइलैंड्स बनाम भारत, वर्ष 2016 में समाप्त)।

समस्या के समाधान की राह / आगे की राह 

  • अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और कतर में कानूनी प्रक्रिया की जटिलताओं से निपटते हुए भारत को अपने नागरिकों के कल्याण एवं उनके कानूनी अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध रहना आवश्यक है। इस दिशा में आगे का रास्ता चुनौतीपूर्ण होने की संभावना है और इसमें समय लगने एवं भारत को दृढ़ता दिखाने की जरूरत / आवश्यकता हो सकती है।
  • इस वर्तमान मामले में भी और भविष्य में भी घटित होने वाले मामले में भी भारत को इस तरह की समस्या/ मामले के सफल और उचित समाधान के लिए अपने राजनयिक प्रयासों, व्यवस्थागत  कानूनी कार्रवाइयों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के संयोजन की अत्यंत आवश्यकता हो सकती है। जिसके लिए भारत को अन्य देशों के साथ अत्यंत मधुर और अटूट कूटनीतिक संबंध बनाने की जरुरत है।

Download yojna daily current affairs hindi med 29th DEC 2023

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :  

Q.1. कतर की अदालत द्वारा जिन आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों की मौत की सज़ा पर अंतरिम रोक लगाई गई है के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

  1. कतर में स्थित अल दाहरा कंपनी में काम करने वाले आठों भारतीयों पर कथित तौर पर जासूसी करने का आरोप है
  2. इन आरोपी बंदियों को कई मौकों पर कांसुलर एक्सेस (Consular Access) भी प्रदान किया गया था।
  3. भारत इस मामले में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) क्षेत्राधिकार का उपयोग कर सकता है।
  4. ‘दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज़ एंड कंसल्टेंट सर्विसेज़’  इतालवी मूल की उन्नत पनडुब्बियों के उत्पादन से भी जुड़ी थी, जो अपनी गुप्त युद्ध क्षमताओं के लिए भी जानी जाती है।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A . केवल 1, 2 और 3

B. केवल 2, 3 और 4

C. इनमें से सभी

D. इनमें से कोई नहीं । 

उत्तर – C

मुख्य परीक्षा के लिए: 

Q.1.कतर में भारतीय पूर्व नौसेना कर्मियों की मौत की सजा पर अंतरिम रोक के संदर्भ में, भारत के समक्ष  मौजूद कानूनी विकल्पों और भारत-कतर संबंधों पर इसके प्रभाव की विवेचना कीजिए 

 

No Comments

Post A Comment