कर्बूजिए चंडीगढ़ और अपार्टमेंटलाइजेशन

कर्बूजिए चंडीगढ़ और अपार्टमेंटलाइजेशन

कर्बूजिए चंडीगढ़ और अपार्टमेंटलाइजेशन

संदर्भ- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ के पहले चरण में आवासीय इकाइयों विखण्डन /विभाजन /द्विभाजन /अपार्टमेंटलाइजेशन पर रोक लगा दी है। और चंडीगढ़ हेरीटेज कंजर्वेशन कमेटी को अपनी की सिफारिशों को अपने साथ में ध्यान में रखने का निर्देश दिया कि उत्तरी चंडीगढ़ को अपने वर्तमान स्वरूप में संरक्षित किया जाना चाहिए।

अपार्टमेंट-

  • एक अपार्टमेंट, एक इमारत के हिस्से में आमतौर पर एक ही मंजिल पर निवास हेतु एक स्वनिहित आवास इकाई है।
  • यह सार्वजनिक आवास के रूप में, एक निजी मकान मालिक से किराए पर ली जा सकती है जिसकी आवास अवधि भी काफी भिन्न भिन्न होती है।

विवादित क्षेत्र : कर्बूजिए चंडीगढ़

  • ली कर्बूजिए द्वारा नियोजित चंडीगढ़, भारत का पहला और आधुनिक सुनियोजित नगर है। जिसे कर्बूजिए चंडीगढ़ कहा जाता है।
  • ली कर्बूजिए 1952 स 1959 तक भारत में रहे और चंडीगढ़ नगर को डिजाइन किया।
  • विश्व विरासत के रूप में यहां का न्यायालय भवन, कला वीथी व संग्रहालय, सचिवालय, राजभवन व विधानसभा, जो कि फेज 1 में स्थित हैं, संरक्षित हैं।
  • कर्बूजिए ने शहर में 7 प्रकार की सड़कों का निर्माण किया जिसे 7Vs के रूप में जाना जाता है।
  • इसके अतिरिक्त आराम वैली, राजेंद्र पार्क, बागनवालिया पार्क, जाकिर रोज गार्डन, शांति कुंच, हिबिस्कुस गार्डन, खुशबू गार्डन, बॉटनिकल गार्डन, स्मृति उपवन, टोपयरी उद्यान और सीढ़ीदार गार्डन, सुखना लेक रॉक गार्डन, गैलरी चंडीगढ़ और राजकीय संग्रहालय उसके निर्माण में शामिल हैं।

ली कर्बूज़िए-

  • ली कर्बूज़िए एक फ्रांसीसी नागरिक थे,
  • ली कर्बूज़िए एक नगर वास्तुकार व रचनाकार थे। इन्होंने विश्व के कई देशों जैसे भारत, जापान, अर्जेंटीना, फ्रांस, बेल्जियम, स्विट्जरलैण्ड, जर्मनी के लिए सुनियोजित नगरों का निर्माण किया। कर्बूसियर द्वारा बनाए गए नगरों को विश्व विरासत स्थलों के रूप में संरक्षित किया गया है।
  • भारत में चंडीगढ़ का कॉम्प्लेक्स द कैपिटोल को विश्व विरासत सूची में जोड़ा गया है।

ली कर्बूज़िए की नगर विशेषताएं

  • ली कर्बूजिए के नगर, 20 वी शताब्दी की मूलभूत आवश्यकताओ व सामाजिक चुनौतियों के लिए एक उत्कृष्ट प्रतिक्रिया थे।
  • वास्तुकला शैली, शुद्धतावाद, क्रूरतावाद व मूर्तिकला वास्तुशैली के प्रारंभ को इंगित करती है।
  • यह एक निश्चित समय में एक आदर्श वास्तुशिल्प है जो लगभग आधी शताब्दी तक सम्पूर्ण विश्व में अपनाए गए।

चंडीगढ़ का अपार्टमेंटलाइजेशन

  • 2001 में चंडीगढ़ प्रशासन ने, पंजाब की राजधानी(विकास व विनियमन) अधिनियम 1952 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए चंडीगढ़ अपार्टमेंट नियम 2001 तैयार किया गया, इसके द्वारा एकल आवासीय भवनों को एक से अधिक आवासों में विभाजित किया जा सके।
  • चंडीगढ़ के मूल ढांचे में परिवर्तन की आलोचना के कारण नियमों को अक्टूबर 2007 में एक अधिसूचना द्वारा निरस्त कर दिया गया।
  • रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका को स्वीकार करते हुए एकल आवासों को अपार्टमेंट में बदलने पर रोक लगाने के साथ चंडीगढ़ के उत्तरी क्षेत्र यानि ली कर्बूसियर के चंडीगढ़ के वर्तमान स्वरूप को संरक्षित करने के निर्देश भी दिए।
  • 2009 में चंडीगढ़ मास्टर प्लान 2031 के लिए एक समिति गठित की गई जिसमें 2001 के नियमों को फिर से शामिल किया गया।

अपार्टमेंटलाइजेशन पर रोक

स्थानीय लोगों का निर्वासन- कर्बूजिए ने शहर को दो चरणों में बनायी थी, चरण 1 में सेक्टर 1-30 तक 150000 की आबादी और चरण दो में सेक्टर 31 – 47 में सघन आबादी को बसाया जाएगा। इसके लिए लगभग 28000 स्थानीय लोगों व शरणार्थियों को जमीन से हटा दिया गया। 

हेरीटेज साइट में सघनीकरण – चंडीगढ़ मास्टर प्लान 2031 में 2001 के नियमों को जोड़ने पर 2013 में एक जाँच व सुनवाई बोर्ड का गठन किया गया। बोर्ड ने चंडीगढ़ में सघनीकरण का विरोध किया। तथा चंडीगढ़ के फेज 1 में किसी भी प्रकार के सघनीकरण के लिए चंडीगढ़ हेरीटेज कंजर्वेशन कमेटी से अनुमोदन करवाने की सिफारिश की। जिन्हें केंद्र ने स्वीकार भी कर लिया।

कानून की अवमानना और न्याय – अपार्टमेंटलाइजेशन, का क्रम जारी रहने पर इसके विरुद्ध रेजडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने याचिका दायर की, और सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 142 का प्रयोग कर पूर्ण न्याय करते हुए इसमें रोक लगा दी। 

अनुच्छेद 142-

  • इसके तहत सुप्रीम कोर्ट ऐसा आदेश या डिक्री पास कर सकती है जो किसी भी लंबित मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक हो।
  •  इस आदेश को संसद में पारित कानून की भांति पूरे देश में लागू किया जा सकता है। पूर्ण न्याय दिलाने के लिए यह आदेश संसद द्वारा पारित नियमों की भी अवहेलना कर सकता है।
  • इस कानून का प्रयोग ताजमहल की सफाई, भोपाल गैस त्रासदी जैसे मामलों में भी हो चुका है।

स्रोत

इण्डियन एक्सप्रैस

https://indiankanoon.org/doc/500307/

भारतीय संस्कृति

YojnaIAS Daily Current Affairs Hindi med 14th Jan

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