10 May कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म CBAM
कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म
संदर्भ- हाल ही में यूरोपीय संघ, उन उत्पादों के आयात पर कार्बन टैक्स लगाने के लिए एक रूपरेखा पेश करने का प्रस्ताव कर रहा है। यूरोपीय संघ के अनुसार CBAM यह सुनिश्चित करेगा कि उसके जलवायु उद्देश्यों को कार्बन-गहन आयात और स्पर क्लीनर से कम नहीं आंका जाए।
कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म CBAM-
- कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म, यूरोपीय संघ द्वारा प्रस्तावित नीति है।
- इसके तहत कार्बन उत्सर्जन वाले पदार्थों के आयात पर कार्बन उत्सर्जन कर निर्धारित किया जाता है, जिसे कार्बन कर भी कहा जाता है।
- कार्बन कर ईंधन में कार्बन तत्वों (मुख्यत: कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस) पर लगाया जाने वाला कर है, जिनके जलने पर कार्बन का उत्सर्जन होता है। यह कर प्रति टन कोयला, प्रति बैरल तेल या प्रति मिलियन क्यूबिक फीट गैस की दर से लागू होगा। यह राशि कार्बन तत्वों पर लागू करों के समकक्ष समायोजित होगी।
- इसके साथ ही जिन देशों ने कार्बन नीतियों को देश में निर्धारित नहीं किया या कार्बन नीतियों का यूरोपीय संघ से कम कठोरता से पालन किया जा रहा है, उन देशों में जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने हेतु यह टैक्स लगाया जा रहा है।
- इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन को कम करने के साथ हरित प्रौद्योगिकी के आधार पर उत्पादन करने वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देता है।
कार्बन कर का वैश्विक स्तर पर प्रभाव
- इस कर के निर्धारण से देश, अपने स्तर पर कार्बन उत्सर्जित करने वाले पदार्थों का उत्पादन कम करने का प्रयास करेंगे, और इन उत्पादों के विकल्प ढूंढने के लिए अनुसंधान व नवाचार को बढ़ावा देंगे।
- इस कर को लागू करने का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करना है।
- यदि सभी देश इसके लिए प्रयास करें तो यह वैश्विक तापमान को नियंत्रित करने का एक कारगर उपाय सिद्ध हो सकता है।
- इस प्रयोग के माध्यम से उन देशों पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा जो देश कार्बन उत्सर्जन मे योगदान नहीं देते या कम योगदान देते हैं।
- कार्बन कर से प्राप्त राजस्व का प्रयोग स्वच्छ प्रौद्योगिकी के लिए किया जा सकेगा। अतः यह अवधारणा कार्बन प्रौद्योगिकी को हतोत्साहित कर ग्रीन प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित कर सकती है।
- सीबीएएम का बहुत अधिक प्रभाव खनिज संसाधनों पर निर्भर गरीब देशों पर पड़ सकता है।
कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म का भारत पर प्रभाव
- भारत ने कार्बन सब्सिडी व्यवस्था को कार्बन कर में परिवर्तित करते हुए जीवाश्म ईंधनों पर कर बढ़ा दिया है।
- इसका यूरोपीय संघ में भारतीय धातु (लौह अयस्क, इस्पात व एल्युमीनियम) और इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात पर प्रभाव पड़ सकता है।
- यूरोपीय संघ द्वारा लगाया कार्बन कर, भारत के निर्यातित उत्पादों की लागत को बढ़ा सकता है इसके साथ ही यूरोपीय संघ में भारत के उत्पादों की प्रतिस्पर्धा को कम कर सकता है।
- भारत एक विकासशील देश है जिसका विदेशी व्यापार प्रभावित होने पर इसकी अर्थव्यवस्था पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ सकता है, जिस कारण भारत और यूरोपीय संघ के व्यापारिक रिश्ते खराब हो सकते हैं।
चुनौतियां
- कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म की प्रक्रिया कठिन हो सकती है, इसके द्वारा कार्बन उत्सर्जन की माप के आधार पर कर निर्धारित करना एक चुनौति है। जिस पर विविध देशों के साथ विवाद उत्पन्न हो सकता है।
- विकासशील देशों में कम आय वाले व्यक्तियों पर इस कर का बोझ बढ़ सकता है।
- भारत जैसे विकासशील देशों द्वारा कार्बन उत्सर्जन को पूर्णतः समाप्त करना संभव नहीं होता, इस प्रकार के आयात कर के द्वारा देशों के उद्योगों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
- हानि से बचने के लिए उद्योग या व्यवसाय कार्बन उत्सर्जन की माप को कम करने के उपाय खोज सकते हैं, जिससे कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म को सही प्रकार से लागू कर पाना चुनौतिपूर्ण हो सकता है।
आगे की राह-
- इसके लिए भारत को कार्बन उत्सर्जन वाले उत्पादों के विकल्प तलाशने होंगे, जो समान बजट में उपलब्ध हो सकें।
- बेहतर विकल्प के लिए देश को अनुसंधान व प्रौद्योगिकी में निवेश कर विज्ञान व प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
- कार्बन माप के आधार पर कर के संबंध में विविध विवाद, प्रशासनिक लागत आदि उचित प्रकार से विशेषज्ञों व विविध देशों के साथ विचार कर लागू किया जा सकता है।
- देश में भारतीय अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म की कार्बन कर प्रक्रिया को लागू किया जा सकता है।
- वर्तमान में जी20 देशों का नेतृत्व करते हुए भारत कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए देशों को प्रोत्साहित कर सकता है।
स्रोत
Yojna daily current affairs hindi med 10 May 2023
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