27 Dec किलर रोबोट
- अगर आपको फिल्मों में दिलचस्पी है तो आपने सुपरस्टार रजनीकांत की फिल्म रोबोट तो देखी ही होगी, इस फिल्म में चित्ती नाम का एक रोबोट है। यह रोबोट एक अच्छे उद्देश्य के लिए बनाया गया है, लेकिन बाद में यह एक ऐसे रोबोट में बदल जाता है जो केवल विनाश और विनाश की भाषा समझता है। क्या होगा अगर फिल्म की यह कहानी असल जिंदगी में सच हो जाए?
- दरअसल, हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की पहल पर जिनेवा में किलर रोबोट पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक बैठक हुई थी| कन्वेंशन ऑन सर्टेन कन्वेंशनल वेपन्स (CCW) नाम के 125 सदस्य देशों के इस समूह की बैठक का कोई खास नतीजा नहीं निकला। बताया जा रहा है कि कुछ देशों के विरोध के चलते इस बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका|
- किलर रोबोट, दूसरे शब्दों में, लेथल ऑटोनॉमस वेपन्स सिस्टम (LAWS) कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित मशीनें या रोबोट हैं जो बिना मानवीय आदेश के खुद से हमला करने या किसी को मारने में सक्षम हैं।
- ये एक तरह के यंत्रीकृत सैनिक होते हैं, जो किसी भी तरह के खतरे को भांपने पर खुद को एक्टिव कर लेते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि यह मशीन अपने आप निर्णय कैसे ले सकती है, तो इसके लिए मैं आपको बता दूं कि रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और इमेज रिकग्निशन में दिन-ब-दिन सुधार होने से किलर रोबोट्स की सटीकता बढ़ जाती है।
- ड्रोन और किलर रोबोट दो अलग-अलग चीजें हैं। जहां मानव द्वारा दूर से ड्रोन संचालित किए जाते हैं, किलर रोबोट जीवन और मृत्यु का निर्णय पूरी तरह से इसके सेंसर, सॉफ्टवेयर और मशीन प्रक्रियाओं पर छोड़ते हैं।
- 70 से ज्यादा देश इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं| दरअसल, जिंदगी और मौत का फैसला लेने की क्षमता इंसानों की जगह मशीनों पर छोड़ देना इंसानियत के लिए खतरा माना जा रहा है|
- किसी भी प्रकार के युद्ध की स्थिति में आधुनिक तकनीक के बावजूद मानव जीवन का निर्णय मशीनों पर छोड़ देना एक विनाशकारी निर्णय है। यह न केवल नैतिक रूप से गलत है बल्कि मानवता के लिए भी खतरा है।
- एक मशीन, एक बच्चे और एक वयस्क के बीच, या दो प्रकार की महिलाओं के बीच अंतर कैसे कर सकती है जिनके हाथ में बंदूक या हाथों में झाड़ू या छड़ी है? एक मशीन यह कैसे निर्धारित करेगी कि हमलावर दुश्मन सैनिक कौन है या घायल या आत्मसमर्पण करने वाला सैनिक कौन है?
- हालांकि, जो देश इसका समर्थन कर रहे हैं, उनके अपने तर्क हैं। उनका कहना है कि किसी भी युद्ध या आपात स्थिति में अगर इंसानों की जगह किलर रोबोट का इस्तेमाल किया जाए तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती है. इसके अलावा, रोबोट इंसानों की तुलना में बहुत तेजी से निर्णय ले सकते हैं।
- इन देशों का मानना है कि रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु हमलों से प्रभावित क्षेत्रों में इन सैन्य रोबोटिक मशीनों का इस्तेमाल इंसानों की तुलना में अच्छी तरह से किया जा सकता है।
- साथ ही बारूदी सुरंगों, जवाबी हमलों और जानलेवा मिशनों पर इन किलर रोबोटों का इस्तेमाल बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।
- रिसर्च फर्म मार्केट्स एंड मार्केट्स की हालिया रिपोर्ट केअनुसार, वैश्विक सैन्य बाजार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की हिस्सेदारी 2020 में लगभग 4780 करोड़ रुपये थी, जिसके 2025 तक बढ़कर 8350 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।
- जिन देशों ने इस तकनीक में भारी निवेश किया है, वे किलर रोबोट पर प्रतिबंध का विरोध कर रहे हैं। गौरतलब है कि अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और इस्राइल जैसे देशों ने अब तक ऐसे रोबोट के विकास की होड़ में लाखों डॉलर का निवेश किया है।
- भारत की बात करें तो हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसआधारित हथियारों के संबंध में कुछ कदम उठाए गए हैं, लेकिन अभी भी रक्षा क्षेत्र में एआई के उपयोग का सटीक रोडमैप तैयार नहीं किया गया है।
- भारत ने 2019 में स्वचालित हथियार बनाने के लिए दो एजेंसियों – डिफेंस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस काउंसिल (DAIC) और डिफेंस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोजेक्ट एजेंसी (DAIPA) का गठन किया है, लेकिन अब तक इन दोनों एजेंसियों से कोई महत्वपूर्ण परिणाम नहीं मिला है।
- भारत में अब तक एआई-आधारित हथियारों का प्रोटोटाइप बनाया गया है, लेकिन सेना में शामिल किए जा सकने वाले किलर रोबोट नहीं बनाए गए हैं।
- ऐसे रोबोट के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि हत्यारे रोबोट से होने वाले खतरों की पहचान करना और उनसे निपटने के तरीके खोजना बेहद जरूरी है| अगर किलर रोबोट्स को पूरी तरह से बैन नहीं किया जा सकता है तो कम से कम इसे रेगुलेट करने के लिए नियम तो बनाए जाने चाहिए।
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