गंगा नदी डॉल्फिन

गंगा नदी डॉल्फिन

 

  • हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा  के बचाव हेतु एक गाइडलाइन जारी की गई है। 
  • इस दस्तावेज़ को ‘टर्टल सर्वाइवल एलायंस’ तथा उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग (EFCCD) द्वारा तैयार किया गया है।
  • डॉल्फिन को भारत सरकार द्वारा 2009 में राष्ट्रीय जलीय पशु के रूप में मान्यता दी गई थी।

वैज्ञानिक नाम: प्लैटानिस्टा गैंगेटिका गैंगेटिका।

खोज: इसे आधिकारिक तौर पर वर्ष 1801 में खोजा गया था।

पर्यावास: ये नेपाल, भारत और बांग्लादेश की गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना तथा कर्णफुली-सांगू नदी प्रणालियों में रहती हैं।

  • गंगा नदी की डॉल्फिन केवल मीठे पानी में रह सकती है और वास्तव में दृष्टिहीन होती है।
  • ये अल्ट्रासोनिक ध्वनियों का उत्सर्जन करके शिकार करती हैं, जो मछली और अन्य शिकार से परावर्तित होती हैं, जिससे वे अपने दिमाग में एक छवि बना सकती हैं। इन्हें ‘सुसु’ (Susu) भी कहा जाता है।

 जनसंख्या: 

  • इसकी प्रजातियों की वैश्विक आबादी 4,000 होने का अनुमान है और लगभग 80% भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती हैं।

 महत्त्व:

  • यह संपूर्ण नदी पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का एक विश्वसनीय संकेतक है।

 खतरा:

  • बायकैच: डॉल्फिन और मानव नदी के उन क्षेत्रों को पसंद करते हैं जहाँ मछलियाँ बहुतायत में होती हैं और पानी की धारा धीमी होती है। इससे लोगों द्वारा मछलियाँ पकड़ने के दौरान गलती से डॉल्फिन का भी शिकार हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप डॉल्फिन की मृत्यु हो जाती है, जिसे बायकैच भी कहा जाता है।
  • प्रदूषण: औद्योगिक, कृषि और मानव प्रदूषण के कारण आवास क्षरण डॉल्फिन हेतु एक प्रमुख खतरा है।
  • बाँध: बाँधों के निर्माण और सिंचाई से संबंधित अन्य परियोजनाओं के कारण वे खतरों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं क्योंकि वे नए क्षेत्रों में नहीं जा सकते हैं।
  • बाँध के पास डॉल्फिन को भारी प्रदूषण, मछली पकड़ने की गतिविधियों में वृद्धि और पोत यातायात से खतरा होता है। उनके पास भोजन के विकल्प भी कम होते हैं क्योंकि बाँध प्रवास, प्रजनन चक्र तथा मछली एवं अन्य शिकार के आवास को बाधित करता है।

 संरक्षण की स्थिति:

  • भारतीय वन्यजीव (संरक्षण), अधिनियम1972: प्रथम अनुसूची 
  • प्रकृति के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ((IUCN): लुप्तप्राय
  • लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES): परिशिष्ट I (लुप्तप्राय)।
  • प्रवासी प्रजातियों पर सम्मेलन (CMS): परिशिष्ट II (प्रवासी प्रजातियाँ जिन्हें संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता है या जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से काफी लाभ होगा)।

 उठाए गए कदम:

  • प्रोजेक्ट डॉल्फिन: प्रधानमंत्री ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण 2020 में प्रोजेक्ट डॉल्फिन लॉन्च करने की सरकार की योजना की घोषणा की। यह प्रोजेक्ट टाइगर की तर्ज पर है, जिसने बाघों की आबादी को बढ़ाने में मदद की है।
  • डॉल्फिनअभयारण्य: विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण् बिहार में स्थापित किया गया है।
  • राष्ट्रीय गंगा नदी डॉल्फिन दिवस: स्वच्छ गंगा के लिये राष्ट्रीय मिशन 5 अक्तूबर को राष्ट्रीय गंगा नदी डॉल्फिन दिवस के रूप में मनाता है।
  • संरक्षण योजना: गंगा नदी डॉल्फिन 2010-2020 के लिये संरक्षण कार्य योजना, जिसने “गंगा डॉल्फिन के लिये खतरों और नदी यातायात, सिंचाई नहरों व शिकार आदि को  डॉल्फिन की आबादी में कमी हेतु उत्तरदायी माना है”।
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