31 Oct गिलगित बाल्टिस्तान
गिलगित बाल्टिस्तान
संदर्भ- हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शौर्य दिवस पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख के विकास का लक्ष्य गिलगित व बाल्टिस्तान तक पहुँच के बाद और 22 फरवरी 1949 को संसद में सर्वसम्मति से पारित हुए प्रस्ताव को लागू कर पूर्ण किया जा सकेगा।
गिलगित बाल्टिस्तान-
- गिलगित बाल्टिस्तान, पाकिस्तान अधिकृत लद्दाख क्षेत्र का एक स्वायत्तशासी क्षेत्र है।
- यह कश्मीर का एक हिस्सा है, इसकी सीमाएं पश्चिम में खैबर पख्तूनख्वा, उत्तर में अफगानिस्तान के वखान कॉरिडोर, उत्तर पूर्व में चीन के शिंजिंयांग प्रांत, दक्षिण में पाकिस्तान के गुलाम कश्मीर और दक्षिण पूर्व में भारत के जम्मू कश्मीर राज्य से लगती है।
- गिलगित बाल्टिस्तान जम्मू कश्मीर रियासत का भाग था जो स्वतंत्रता के बाद भारत के हिस्से में आ गया था। वर्तमान में यह पाकिस्तान के कब्जे में है।
जम्मू कश्मीर रियासत
- 1935 में अंग्रेजों ने मुस्लिम बहुल राज्य के राजा हरि सिंह से गिलगित को लीज पर लिया था। इसलिए जम्मू कश्मीर रियासत का भाग होते हुए भी इस पर सीधे अंग्रेजों का आधिपत्य था।
- भारत की स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान ने पश्तूनी आदिवासियों के साथ 22 अक्टूबर 1947 को ऑपरेशन गुलमर्ग शुरू किया। और कश्मीर के मुजफ्फराबाद में कब्जा कर लिया।
- 24 अक्टूबर को हरि सिंह ने भारत सरकार से मदद मांगी। इंडियन डिफेंस कमेटी ने विचार कर निर्णय लिया कि कश्मीर को भारत मे विलय करने के बाद ही हरिसिंह की मदद करनी चाहिए।
- 26 अक्टूबर 1947 को हरिसिंह ने भारत के विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। भारतीय सेना ने कश्मीर घाटी में अभियान शुरु किया।
गिलगित बाल्टिस्तान का इतिहास
- विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते ही गिलगित की जनता ने विद्रोह करना शुरू कर दिया। तथा गिलगित बाल्टिस्तान के स्वतंत्र राज्य की घोषणा कर दी।
- 15 नवम्बर को विद्रोही समूह ने घोषणा की कि वह पाकिस्तान में शामिल होगा और यह क्षेत्र अंग्रेजों द्वारा अशांत आदिवासियों पर नियंत्रण के लिए बनाए कानून, फ्रंटियर क्राइम रेगुलेशन के तहत प्रचालित होगा।
- अंग्रेजों ने इस क्षेत्र में गिलगित स्काउट नामक एक छोटी सी सेना खड़ी कर दी। इसका काम गिलगित की रक्षा करना था।
- अगस्त 1947 में अंग्रेजों द्वारा गिलगित को वापस लौटाए जाने के बाद महाराजा ने अपने प्रतिनिधि घनसार सिंह को गिलगित का राज्यपाल नियुक्त किया। लेकिन ब्रिटिश मेजर अलैक्जेंडर ब्राउन ने इसका विरोध किया।
- 1 नवम्बर 1947 को मेजर ब्राउन ने घनसार सिंह को सुरक्षात्मक हिरासत में लिया। गिलगित स्काउट तब बाल्टिस्तान पर कब्जा करने के लिए चले गए जो उस समय लद्दाख का हिस्सा था। गिलगित स्काउट ने स्कार्दू, द्रास और कारगिल पर कब्जा कर लिया। लेकिन बाद में कारगिल व द्रास पर बारतीय सेना का कब्जा हो गया।
- 1 जनवरी, 1949 के भारत-पाकिस्तान युद्धविराम के बाद, अप्रैल में पाकिस्तान ने तथाकथित “आजाद जम्मू और कश्मीर” की “अनंतिम सरकार” के साथ जिन हिस्सों पर पाकिस्तानी सैनिकों का कब्जा था। अपने रक्षा और विदेशी मामलों को संभालने के लिए एक समझौता किया, इस समझौते के तहत तथाकथित “एजेके” सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान का प्रशासन भी पाकिस्तान को सौंप दिया।
गिलगित बाल्टिस्तान की वर्तमान स्थिति-
- गिलगित बाल्टिस्तान पीओके के विपरीत एक अलग संविधान रखता है। लेकिन विदेश व रक्षा मामले पाकिस्तान के अधीन रहते हैं।
- 2009 तक इस क्षेत्र को केवल उत्तरी क्षेत्र कहा जाता था।
- इसे अपना वर्तमान नाम गिलगित-बाल्टिस्तान (सशक्तिकरण और स्व-शासन) आदेश, 2009 के साथ मिला, जिसने उत्तरी क्षेत्र विधान परिषद (NALC) को विधान सभा से बदल दिया। एनएएलसी एक निर्वाचित निकाय था, लेकिन कश्मीर मामलों और उत्तरी क्षेत्रों के मंत्री, जिन्होंने इस्लामाबाद से शासन किया था, के लिए एक सलाहकार भूमिका से अधिक नहीं था। विधान सभा में में 24 सीधे निर्वाचित सदस्य और नौ मनोनीत सदस्य तय कर एक मामूली सुधार किया गया है।
- 2018 में, तत्कालीन पाकिस्तान सरकार ने विधानसभा को दी गई सीमित शक्तियों को भी केंद्रीकृत करने का एक आदेश पारित किया, जो कि चीन-पाकिस्तान के तहत सीपीईसी की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भूमि और अन्य संसाधनों पर अधिक नियंत्रण की आवश्यकता से जुड़ा हुआ है।
- 2019 में, पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने इसे निरस्त कर दिया और पाकिस्तान सरकार से इसे शासन सुधारों के साथ बदलने के लिए कहा किंतु ऐसा नहीं किया गया। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र को गिलगित बाल्टिस्तान तक बढ़ा दिया, और अगले विधान सभा चुनावों तक एक कार्यवाहक सरकार की व्यवस्था की।
- 2020 में चुनाव न होने के कारण इमरान खान सरकार ने घोषणा की कि इसे अस्थाय़ी प्रांतीय दर्जा दिया जाएगा।
भारत का रुख
- भारत के लिए जम्मू कश्मीर की समस्त पूर्वी रियासत भारत की ही है।
- पाकिस्तान की जीबी को प्रांत बनाने की घोषणा पर आपत्ति जताई गई है।
- 22 फरवरी 1949 को संसद में पारित प्रस्ताव में कहा गया था कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख के समस्त क्षेत्र भारत के अंग ही रहेंगे। तथा भारत सरकार पाकिस्तान के जबरन कब्जे वाले क्षेत्रों सहित समस्त भारत के क्षेत्रों की घटनाओं की निगरानी करती है।
गिलगित बाल्टिस्तान के स्थानीय निवासियों का रुख
- जीबी के निवासी मानसिक रूप से पाकिस्तान के अधिक निकट हैं, अतः वे पाकिस्तान में विलय होने की मांग करते आ रहै हैं ताकि उन्हें संवैधानिक अधिकार मिल सके।
- जीबी के लोगों का कश्मीरियों से कोई संबंध नहीं है।
- अधिकांश शिया निवासियों का सांप्रदायिक चरमपंथियों के प्रति गुस्सा है किंतु उनके अनुसार पाकिस्तान संघ में शामिल हो जाने के बाद यह खत्म हो जाएगा।
स्रोत
इण्डियन एक्सप्रैस- https://bit.ly/3U4jRxG
Yojna IAS Daily current affairs hindi med 31th Oct
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