चावल के निर्यात पर प्रतिबंध

चावल के निर्यात पर प्रतिबंध

चावल के निर्यात पर प्रतिबंध

सरकार ने चावल के कम उत्पादन के चलते 9 सितम्बर 2022 से चावल के निर्यात की मात्रा को नियंत्रित करने का प्रयास किया है। इसमें चावल की किस्म के अनुसार निर्यात को प्रतिबंधित व निर्यात शुल्क में बढ़ोतरी की गई है।

निर्यात में प्रतिबंध- भारत में चावल की आवश्यकता व उत्पादन को देखते हुए भारत सरकार ने चावल के निर्यात पर कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं-

  • टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध
  • गैर बासमती चावल पर 20 फीसदी का निर्यात शुल्क,
  • उबले, बासमती चावल व सैला चावल पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।

प्रतिबंध के कारण-

चावल के उत्पादन में कमी     

  • सूखा-विशेषज्ञों के अनुसार 25% से कम बारिश होने की स्थिति को सूखा कहा जाता है।भारत के अधिकतर क्षेत्र, वर्षा आधारित कृषि पर आधारित हैं।  इस वर्ष सूखे से प्रभावित 4 राज्यों में 25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई नहीं हो पाई। खरीफ की फसल के लिए समय पर बारिश न होने के कारण धान की बुआई क्षेत्र में 5.62% की कमी के साथ रकाब मात्र 383.99 लाख हेक्टेयर रह गया है।
  • बौनेपन का रोग- पंजाब, हरियाणा और उत्तराखण्ड में धान के पौंधों में बौनेपन के रोग की समस्या के कारण इस वर्ष धान के उत्पादन में बारी कमी का अनुमान है।

देश में चावल की आवश्यकता में बढ़ोतरी

  • एथेनॉल के लिए चावल का इस्तेमाल- हाल ही में भारत ने 2025 तक भारत ने पेट्रॉल में 20 फीसदी एथेनॉल मिलाकर बेचने का लक्ष्य रखा है, एथेनॉल एक तरह का एल्कोहॉल है जिसे पैट्रॉल में मिलाकर ईंधन की तरह प्रयोग किया जा सकता है। इसके दो फायदे हैं-
  1. यह पर्यावरण के अनुकूल है। 
  2. महंगे तेल के आयात को कम करने में सहायक है।

      जिसकी आपूर्ति हेतु भारत में टूटे हुए चावल व गन्ने का इस्तेमाल किया जाता है। मात्र गन्ने से इसकी आपूर्ति होना संभव नहीं, अतः टूटे हुए चावल की आवश्यकता बढ़ जाती है। 

प्रतिबंध के परिणाम- 

  • चावल की कीमतों में वृद्धि पिछले खरीफ फसल वर्ष 2021-2022 की तुलना में वर्तमान वर्ष में चावल की कीमतों में वृद्धि देखी गई है। पिछले वर्ष थोक मूल्य 3041रुपये प्रति क्विंटल था जबकि इस वर्ष 3291 रुपये प्रति क्विंटल हो चुका है। इसी प्रकार चावल का खुदरा मूल्य पिछले वर्ष 35.25 रुपये प्रति किग्रा था और इस वर्ष 37.6  रुपये प्रति किग्रा. हो गया है। चावल के थोक मूल्य 8.22 फीसदी और खुदरा मूल्य 6.38 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 
  • चावल निर्यात प्रतिस्पर्धा में हानि-  विश्व के कुल चावल निर्यात में भारत कुल 40% चावल निर्यात करता है। भारत ने पिछले वर्ष 2.12 करोड़ टन चावल निर्यात किया था। वित्तीय वर्ष 2021-22 में  भारत द्वारा 38 लाख टन टूटे चावल का निर्यात किया गया था। और इस वर्ष 5 महीनों के निर्यात के बाद यह पूरी तरह से रुक गया है। इसके साथ ही गैर बासमती चावल भी 6.12 अरब डॉलर में निर्यात किया था। निर्यात शुल्क बढ़ने से प्रतिस्पर्धी देशों के लाभ आसार बढ़ जाएंगे। 

Yojna IAS daily current affairs hindi med 10th September

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