08 Jan चिल्का झील
- चिल्का झील में किए गए जल पक्षी स्थिति सर्वेक्षण-2022 के अनुसार आर्द्रभूमि पर निर्भर लगभग 11 लाख जलपक्षी और अन्य प्रजातियाँ इस झील की ओर आ गईं।
- चिल्का झील भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित खारे पानी की सबसे बड़ी झील है और सर्दियों के मौसम में पक्षियों के आगमन का सबसे बड़ा स्थान है।
चिल्का झील के बारे में:
- चिल्का एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा लैगून है।
- यह सर्दियों के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवासी पक्षियों का सबसे बड़ा आकर्षण होने के अलावा, पौधों और जानवरों की कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
- वर्ष 1981 में, चिल्का झील को रामसर सम्मेलन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व की पहली भारतीय आर्द्रभूमि नामित किया गया था।
- चिल्का में प्रमुख आकर्षण इरावदी डॉल्फ़िन हैं जिन्हें अक्सर सतपाड़ा द्वीप के पास देखा जाता है।
- लैगून क्षेत्र लगभग 16 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैले नलबाना द्वीप (रीडस का जंगल) को वर्ष 1987 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था।
- कालीजई मंदिर- यह मंदिर चिल्का झील में एक द्वीप पर स्थित है।
- चिल्का झील कैस्पियन सागर, बैकाल झील, अरल सागर, रूस के सुदूर भागों, मंगोलिया के किर्गिज़ मैदान, मध्य और दक्षिण पूर्व एशिया, लद्दाख और हिमालय से हजारों मील की दूरी पर प्रवास करने वाले पक्षियों की मेजबानी करती है।
- यहां के विशाल मिट्टी के मैदान और प्रचुर मात्रा में मछली के भंडार पक्षियों के लिए उपयुक्त हैं।
भारत में प्रवासी प्रजातियां:
- भारत कई प्रवासी जानवरों और पक्षियों का अस्थायी निवास है।
- इनमें अमूर फाल्कन्स, बार-हेडेड गीज़, ब्लैक-नेकड क्रेन्स, मरीन टर्टल, डगोंग्स और हंपबैक व्हेल आदि शामिल हैं।
- भारत ने मध्य एशियाई फ्लाईवे के तहत प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना भी शुरू की है क्योंकि भारत प्रवासी प्रजातियों पर सम्मेलन (CMS) का एक पक्षकार है।
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