12 Dec जम्मू और कश्मीर आरक्षण ( संशोधन ) एवं पुनर्गठन विधेयक 2023
( यह लेख ‘ द हिन्दू के एडिटोरियल , इंडियन एक्सप्रेस के एडिटोरियल और प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो के लेख के सम्मिलित सार से संबंधित है | इसमें योजना आईएएस टीम के इनपुट भी शामिल है | यह लेख यू. पी. एस. सी . सिविल सर्विसेस मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन पेपर – 2 शासन एवं राजव्यवस्था और सामाजिक न्याय खंड से संबंधित है | )
चर्चा में क्यों ?
26 जुलाई, 2023 को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) एवं पुनर्गठन विधेयक 2023, लोकसभा में पेश किया गया था। यह जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन करता है। यह अधिनियम में अनुसूचित जाति के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान शामिल है। अनुसूचित जातियाँ, अनुसूचित जनजातियाँ और अन्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग इस विधेयक की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं |
जम्मू और कश्मीर आरक्षण ( संशोधन ) विधेयक 2023 में निम्नलिखित प्रावधान शामिल है –
- सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग: इस अधिनियम के तहत सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों में निम्नलिखित जातियाँ या वर्ग शामिल हैं-
- (i) केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर द्वारा सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े घोषित किए गए गांवों में रहने वाले लोग
- (ii) वास्तविक नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा के आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोग, और
- (iii) कमजोर और वंचित वर्ग (सामाजिक जातियाँ), जैसा कि अधिसूचित किया गया है। सरकार एक आयोग की सिफारिशों पर कमजोर और वंचित वर्गों की श्रेणी में शामिल या बहिष्करण कर सकती है। यह विधेयक केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर द्वारा घोषित कमजोर और वंचित वर्गों को अन्य पिछड़े वर्गों से प्रतिस्थापित / विलोपित करता है। इस अधिनियम से / में कमजोर और वंचित वर्गों की परिभाषा हटा दी गई है।
जम्मू और कश्मीर आरक्षण ( संशोधन ) एवं पुनर्गठन विधेयक 2023 को प्रस्तुत करने एवं पास होने की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि :
गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर आरक्षण ( संशोधन ) एवं पुनर्गठन विधेयक 2023 को लोकसभा में 26 जुलाई 2023 को प्रस्तुत / पेश किया गया |
- जम्मू और कश्मीर आरक्षण ( संशोधन ) एवं पुनर्गठन विधेयक 2023 लोकसभा में 06 दिसम्बर 2023 को पास हो गया |
- जम्मू और कश्मीर आरक्षण ( संशोधन ) एवं पुनर्गठन विधेयक 2023 राज्यसभा में 11 दिसम्बर 2023 को पास हो गया |
- यह विधेयक उन लोगों के प्रतिनिधित्व से संबंधित है जिनका अस्तित्व अपने ही देश में शरणार्थी के रूप में है। इसके साथ ही यह विधेयक जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से विस्थापित हुए लोगों के लिए एक सीट को आरक्षित करता है
- अनुच्छेद 370 की समाप्ति या निरसन से पूर्व, जम्मू-कश्मीर में लोकसभा तथा विधानसभा सीटों के परिसीमन को लेकर अलग-अलग नियम थे।
- मार्च 2020 में एक परिसीमन आयोग का गठन किया गया था जो अनुच्छेद 370 के निरसन और इस क्षेत्र को केंद्रशासित प्रदेश के रूप में बदले जाने के बाद किया गया था |
- परिसीमन आयोग का कार्य न केवल जम्मू-कश्मीर की सीटों, बल्कि असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश एवं नागालैंड की निर्वाचन सीटों का भी परिसीमन करना था तथा इस कार्य को पूरा करने के लिए एक वर्ष की समयसीमा तय की गई थी।
आयोग द्वारा निर्वाचन क्षेत्र की परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर की विधानसभा सीटों की संख्या 107 से बढाकर 114 कर देने का प्रस्ताव रखा गया है |
जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 से जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 की धारा 2 में संशोधन किया गया है।
(a). जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) तथा अन्य सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण प्रदान करता है।
(b).संशोधन विधेयक के अनुसार व्यक्तियों के एक वर्ग जिन्हें पहले “कमज़ोर और वंचित वर्ग (सामाजिक जाति)” के रूप में जाना जाता था, को अब “अन्य पिछड़ा वर्ग” के रूप में वर्णित किया जा सकता है या जाना जा सकता है।जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023:- यह विधेयक 2019 के अधिनियम में संशोधन करने तथा कश्मीरी प्रवासियों एवं POK ( पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर ) से विस्थापित व्यक्तियों को विधानसभा में प्रतिनिधित्व प्रदान करने का प्रयास करता है।
- इसमें कश्मीरी प्रवासी समुदाय से दो सदस्यों को नामित करने का प्रावधान है, जिसमें एक महिला सदस्य होगी | यह कोई जरुरी नहीं है कि कश्मीरी समुदाय से एक महिला सदस्य ही नामित होगी बल्कि विशेष परिस्थिति में दोनों की दोनों सदस्य ही महिला भी हो सकती है , और पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (PoK) से विस्थापित व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक व्यक्ति को विधानसभा में नामित करने की शक्ति उपराज्यपाल के पास होगी।
- इस विधेयक में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 107 से बढ़ाकर 114 करने का प्रस्ताव है, जिनमें से 7 अनुसूचित जाति के सदस्यों / विधायकों के लिए और 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के सदस्यों / विधायकों के लिए आरक्षित होंगी।
- इस विधेयक के अनुसार, पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर के लिये विधानसभा की 24 सीटें आरक्षित की गई हैं।
- जम्मू और कश्मीर विधानसभा में अभी तक विधानसभा की संबद्ध प्रभावी शक्ति 83 सीट तक ही है, जिसे इस संशोधन द्वारा बढ़ाकर 90 करने का प्रयास किया गया है।
( यह मानचित्र भारत सरकार के भारतीय सर्वेक्षण विभाग से लिया गया है , जो ड्रोन द्वारा किए गए मानचित्रण पर आधारित है | यह मानचित्र स्केल पर आधारित नहीं है |)
परिसीमन आयोग और उनके कार्य क्षेत्राधिकार ?
- निर्वाचन आयोग के अनुसार, परिसीमन किसी देश या विधायी निकाय वाले प्रांत में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों (विधानसभा या लोकसभा सीट) की सीमाओं/ क्षेत्रों को तय करने या दुबारा से किसी निर्वाचन क्षेत्र की सीमा रेखा या सीमा क्षेत्र तैयार करने का कार्य करता है।
- परिसीमन की कवायद एक स्वतंत्र उच्चाधिकार प्राप्त पैनल द्वारा की जाती है जिसे परिसीमन आयोग के नाम से जाना जाता है, जिसके आदेशों पर कानून प्रभावी होता है और जिसे किसी भी अदालत द्वारा उसे चुनौती नहीं दी जा सकती है या उस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है।
- सन 1952, 1962, 1972 और 2002 के अधिनियमों के आधार पर चार बार वर्ष 1952, 1963, 1973 और 2002 में परिसीमन आयोगों का गठन किया गया है।
- जनसंख्या के आकार (पिछली जनगणना को आधार मानकर) के आधार पर किसी भी निर्वाचन क्षेत्र को पुनः परिभाषित ( फिर से परिभाषित ) करने का कार्य पिछले कई वर्षों से किया जा रहा है।
- किसी निर्वाचन क्षेत्र की सीमा क्षेत्र को बदलने के आलावा इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप राज्य में सीटों की संख्या में भी बदलाव हो सकता है।
- इस प्रक्रिया में भारत के संविधान के अनुसार अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए विधानसभा के कुल सीटों में से अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान भी शामिल है।
आगे की राह :
- जम्मू-कश्मीर से और देश के अन्य राज्यों के किसी भी हिस्से से आतंकवाद को खत्म करने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई जीरो टेरर प्लान ( शून्य आतंकवाद नीति ) एक व्यापक रणनीति को संदर्भित और परिभाषित करता है। यह योजना पिछले तीन वर्षों से जम्मू कश्मीर में प्रभावी है और इसे वर्ष 2026 तक पूर्ण कार्यान्वयन हेतु निर्धारित किया गया है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के जम्मू – कश्मीर में निरस्त होने के बाद एवं केंद्र सरकार द्वारा जम्मू – कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने से जम्मू – कश्मीर क्षेत्र में आतंकवाद और आतंकवादी गतिविधियों में उल्लेखनीय गिरावट आई है।अब पत्थरों की जगह भारत का राष्ट्रीय ध्वज ‘ तिरंगा ‘ जम्मू – कश्मीर के हर क्षेत्र हर जिला और हर महत्वपूर्ण स्थानों पर फहराते हुए देखा जा सकता है |
- भारत सरकार की नीति – “ एक राष्ट्र – एक विधान और एक संविधान ( एक ध्वज – एक प्रधानमंत्री और एक संविधान ) “ भी भारत में अलगाववाद की नीतियों के समर्थकों और अलगावादी तत्वों की पहचान कर उस पर कानून सम्मत कार्रवाई कर या राष्ट्रद्रोह का मुक़दमा चलाकर भारत की “ एकता और अखंडता” को बनाए रखने का कार्य सुचारू रूप से करती है, क्योंकि किसी भी संघीय शासन व्यवस्था वाले देश में ‘ एक देश में एक ही संविधान ‘ कार्य करता है | भारत में भी ‘ एक देश, एक राष्ट्र ध्वज और एक ही संविधान ‘ सम्मत कानून कार्य करता है क्योंकि भारत में भी संघीय शासन प्रणाली है |
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
जम्मू – कश्मीर आरक्षण ( संशोधन ) विधेयक 2023 के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करते हुए असत्य कथन / कथनों की पहचान कीजिए |
- जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 से जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 की धारा 2 में संशोधन किया गया है।
- इस विधेयक में केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर द्वारा घोषित कमजोर और वंचित वर्गों को अन्य पिछड़े वर्गों से प्रतिस्थापित / विलोपित कर दिया गया है। इस अधिनियम से / में कमजोर और वंचित वर्गों की परिभाषा हटा दी गई है।
- सन 1952, 1962, 1972, 2002 और 2011 के अधिनियमों के आधार पर पांच बार वर्ष 1952, 1963, 1973 2002 और 2011 में परिसीमन आयोगों का गठन किया गया है।
- अनुच्छेद 370 के निरसन और इस क्षेत्र को केंद्रशासित प्रदेश के रूप में बदले जाने के बाद अगस्त 2022 में एक परिसीमन आयोग का गठन किया गया था।
कूट:
a . कथन 1 और कथन 3 सत्य कथन है |
b . कथन 2 और कथन 4 सत्य कथन है |
c . कथन 2, 3 और कथन 4 सत्य कथन है |
- कथन 3 और कथन 4 असत्य कथन है |
उत्तर – d
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
- जम्मू – कश्मीर आरक्षण ( संशोधन ) विधेयक 2023 के सन्दर्भ में यह व्याख्या कीजिए कि केंद्रशासित प्रदेश जम्मू – कश्मीर भारत के अन्य केन्द्रशासित प्रदेश दिल्ली और पुदुचेरी से किस प्रकार भिन्न है ? क्या ‘ एक ध्वज , एक प्रधानमंत्री और एक संविधान ‘ भारत की संघीय शासन व्यवस्था का अतिक्रमण करता है या विरोधाभास उत्पन्न करता है ? तर्कसंगत व्याख्या प्रस्तुत कीजिए |
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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