जलवायु परिवर्तन का बच्चों पर प्रभाव

जलवायु परिवर्तन का बच्चों पर प्रभाव

जलवायु परिवर्तन का बच्चों पर प्रभाव

संदर्भ- संयुक्त राष्ट्र बाल आपातकालीन कोष ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, इस रिपोर्ट का शीर्षक उनके शेष जीवन का सबसे ठण्डा वर्ष है। 

रिपोर्ट की मुख्य बातें-

  • पहले से ही लगभग 559 मिलियन बच्चे उच्च हीटवेव आवृत्ति के संपर्क में हैं। और 624 मिलियन बच्चे हीट वेव की तीन अन्य आवृत्तियों के अंदर आते हैं।
  • 2050 तक ग्रीन हाउस उत्सर्जन को कम करने के बाद भी 2050 तक पृथ्वी के लगभग हर बच्चे द्वारा हीट वेव का अनुभव करने का अनुमान किया जा रहा है।
  • ये गर्मी की लहरें युवाओं के लिए अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करना मुश्किल बना देंगी। यह सांस की बीमारी, अस्थमा और हृदय रोगों जैसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को ढ़ा वा दे सकता है।
  • वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी के कारण लाखों बच्चे इसके संपर्क मं आ रहे हैं।
  • उत्तरी क्षेत्र के बच्चों को तापमान की गम्भीर बढ़ोतरी का सामना करना पड़ेगा। जबकि 2050 तक एशइया व अफ्रीका के लगभग 50% बच्चे निरंतर हीट वेव का सामना करेंगे।
  • अत्यधिक वायुमण्डलीय गर्मी से सूखा जैसी आपातकालीन स्थितियाँ सामने आ सकती हैं जो भोजन के साथ साथ पेयजल समस्या को भी बढ़ावा देंगी।
  • रिपोर्ट के अनुसार बच्चों का विकास रुक जाएगा और परिवारों को गम्भीर पलायन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

बच्चों को हीट वेव से बचाने के लिए प्रस्तावित सुझाव-

  • Protecting सामाजिक सेवाओं को अपनाकर बच्चों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाना।
  • Preparing- बच्चों को जलवायु परिवर्तित पर्यावरण में रहने के लिए तैयार करना।
  • Prioritizing- जलवायु वित्त व संसाधनों में बच्चों व युवाओं को प्राथमिकता देना।
  • Preventing ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भारी कमी लाकर जलवायु आपदा को रोकना।

 अन्य रिपोर्ट के तथ्य– 

साइंस पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में जन्म ले रहे बच्चे आज के वयस्कों की तुलना में जलवायु परिवर्तन से अधिक प्रभावित होंगे। यह रिपोर्ट इंटर-सेक्टोरल इंपैक्ट मॉडल इंटरकंपेरिसन प्रोजेक्ट के आँकड़ों पर आधारित है।

  • 2021 में पैदा हुए बच्चे, वर्तमान में 60 वर्ष की उम्र के व्यक्ति के जलवायु परिवर्तन,सूखा, बाढ़, वनाग्नि के अनुभवों से 3 गुना अधिक प्रभावित होंगे। तथा 7 गुना अधिक गर्मी की लहरों से प्रभावित होने की संभावना है।

पोस्टडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के अनुसार 

  • वर्तमान अपर्याप्त जलवायु नीतियों के परिदृश्य के तहत वैश्विक भूमि के 15 % क्षेत्र को प्रभावित करती है। इस सदी के अंत तक 46% अधिक हो सकती है।
  • पेरिस जलवायु समझौतों में तय की गई जलवायु नीतियों का पालन कर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को 22% तक कम किया जा सकता है।

बच्चों को हीट वेव के दुष्प्रभावों से बचाया जा सकता है?

  • जीवाश्म ईंधन के उपयोग को चरणबद्ध रूप से समाप्त करके,
  • वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सकता है।
  • अत्यधिक वृक्षारोपण।
  • छतों को हल्के रंगों का बनाना।
  • ब्लैक आउट के समय इमारतों को ब्लैक आउट के पूर्वानुमान के साथ तापमान को कम करने की तैयारी करना।
  • संसाधन रहित लोगों को हीट वेव के समय पब्लिक कूलिंग शेल्टरों में विस्थापित करना। इन सभी प्रयासों में बच्चों को प्राथमिकता देकर बचाया जा सकता है।। 

https://bit.ly/3sNX4dC (इण्डियन एक्सप्रैस)

 

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