27 Apr जल निकाय जनगणना
जल निकाय जनगणना
संदर्भ- हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भारत के जलनिकायों की जनगणना रिपोर्ट जारी की गई जो देश में झील तालाब टैंक, झील और जलाशयों का एक व्यापक डेटाबेस है। जनगणना का प्रारंभ 2018-19 से शुरु की गई थी।
जलनिकाय- जनगणना में जलनिकायों को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया गया है-
- सिंचाई या अन्य उद्देश्यों (जैसे औद्योगिक, मत्स्यपालन, घरेलू/पीने का पानी, मनोरंजन, धार्मिक, भूजल पुनर्भरण आदि)हेतु पानी के भंडारण के लिए उपयोग किए जाने वाले कुछ या बिना चिनाई वाले सभी प्राकृतिक या मानव निर्मित इकाइयों को जल निकाय कहा जाएगा।
- ये आमतौर पर विभिन्न प्रकार के होते हैं जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे टैंक, जलाशय, तालाब आदि। एक संरचना जहां बर्फ के पिघलने, धाराओं, झरनों, बारिश या आवासीय या अन्य क्षेत्रों से पानी की निकासी जमा होती है या पानी को डायवर्जन द्वारा संग्रहीत किया जाता है। एक धारा, नाला या नदी को भी जल निकाय माना जाएगा।
जलनिकाय जनगणना का उद्देश्य सभी जल निकायों के लिए उनके आकार, स्थिति, अतिक्रमण, उपयोग, भंडारण क्षमता, जल भंडार के तरीके की स्थिति आदि सहित विषय के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर जानकारी एकत्र करके एक राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित करना है।
जनगणना के निष्कर्ष
- देश में 24,24,540 जल निकायों की गणना की गई है,
- देश के कुल जलाशयों को उनकी जल धारण क्षमता के अनुसार तीन वर्गों में विभाजित किया गया। 21,39,439 जलाशयों/तालाब/झील की जानकारी एकत्रित की गई है। इन जल निकायों में से 41.4% (8,86,197) जल निकाय अपने पूर्ण भण्डारण क्षमता तक भरे हुए थे, 28.5% (6,08,879) तीन चौथाई स्तर तक जबकि शून्य/नगण्य भंडारण क्षमता वाले 6.9% (1,48,367) जल निकाय पाए गए।
- कुल उपयोगी जल निकायों में से 90.1% जल निकाय 100 लोगों की ही आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं, जबकि 1.7% जल निकाय 50,000 से अधिक लोगों की आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में 97.1% (23,55,055) जलनिकाय और केवल 2.9% (69,485) शहरी क्षेत्रों में हैं।
- 59.5% (14,42,993) जल निकाय तालाब हैं, इसके बाद टैंक (15.7%, यानी 3,81,805), जलाशय (12.1%, यानी 2,92,280), जल संरक्षण योजनाएँ / रिसाव टैंक / चेक डैम (9.3% या 2,26,217), झीलें (0.9% यानी 22,361) और अन्य (2.5% यानी 58,884)।
- पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक तालाब व जलाशय, पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक संख्या में टैंक और झीलों की सर्वाधिक उपलब्धता तमिलनाडु में है। महाराष्ट्र में सर्वाधिक जल संरक्षण योजना संबंधी जलनिकाय हैं।
महाराष्ट्र में जल संरक्षण निकाय
महाराष्ट्र में सभी जल निकायों में से, 98.9% (96,033) जल निकाय उपयोगी अवस्था में हैं, जबकि शेष 1.1% (1,029) सूखने, गाद, मरम्मत से परे नष्ट होने के कारण उपयोग में नहीं हैं। वर्तमान उपयोगिता वाले जल निकायों में से एक बड़ा हिस्सा भूजल पुनर्भरण में उपयोग किया जाता है, इसके बाद घरेलू/पीने और सिंचाई के उद्देश्य से उपयोग किया जाता है।
- महाराष्ट्र राज्य में, 574 प्राकृतिक और 96,488 मानव निर्मित जल निकाय हैं।
- 574 जल निकायों में से, 98.4% (565) ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं जबकि शेष 1.6% (9) शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं।
- 96,488 मानव निर्मित जल निकायों में से 99.3% (95,778) जल निकाय ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं और शेष 0.7% (710) शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं।
- अधिकांश मानव निर्मित जल निकायों के निर्माण की मूल लागत 5 से 10 लाख रुपये के बीच है।
- महाराष्ट्र में अत्जयधिक मात्रा में जल संरक्षण निकायों का निर्माण राज्य या जिला सिंचाई योजनाओं के लिए किया गया है। जिसमें सर्वाधिक छिद्रण टैंक या चैक डैम का निर्माण किया गया है। तथा शेष टैंक, झील और जलाशय निर्मित किए गए हैं।
भारत में जल निकायों के संवर्धन के लिए योजनाएं
बांध पुनर्वास व विकास परियोजना- भारत,बांध पुनर्वास व विकास परियोजना के लिए विश्व में चीन व अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर है। 29 अक्टूबर 2020 को भारत में बांध पुनर्वास व विकास परियोजना के दूसरे व तीसरे चरण को मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत 19 राज्य व 3 केंद्रीय एजेंसियाँ शामिल की गई हैं। जिसमें देश के 736 बड़े बांधों का पुनर्निर्माण किया जाना है। योजना के चार घटक हैं ;
- चयनित बांधों की सुरक्षा और परिचालन प्रदर्शन में स्थायी रूप से सुधार के लिए बांधों और संबंधित संपत्तियों का पुनर्वास;
- भाग लेने वाले राज्यों के साथ-साथ केंद्रीय स्तर पर बांध सुरक्षा से सम्बंधित संस्थागत व्यवस्था को मजबूत करना;
- बांधों के सतत संचालन और रखरखाव के लिए आकस्मिक राजस्व सृजन;
- बजट प्रबंधन।
अमृत सरोवर योजना- भारत में जल निकायों के संरक्षण के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 24 अप्रैल 2022 को अमृत सरोवर योजना को शुरु किया गया। यह मिशन अमृत महोत्सव के अंतर्गत एक योजना है, इसके तहत 75 सप्ताह के अंदर भारत के प्रत्येक जिले में 75 जलाशयों का निर्माण किया जाए, इस मिशन के तहत जिला प्रशासन, आम जनता, स्वतंत्रता सेनानी आदि सभी की भागीदारी को सुनिश्चित किया जाएगा।
कैच द रेन – कैच द रेन योजना 22 मार्च 2022 को देश के प्रधानमंत्री द्वारा लागू किया गया। इस योजना के तहत वर्षा के जल को संरक्षित किया जाना है।
बांध सुरक्षा अधिनियम
चीन व अमेरिका के बाद भारत में सर्वाधिक बांध हैं। भारत में 5700 बड़े बांध हैं जिनमें से 227 बांध 100 वर्ष से भी अधिक प्राचीन हैं। देश में बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 में पारित किया गया। अधिनियम संस्थागत ढांचे के चार स्तरों का प्रावधान करता है –
- बांध सुरक्षा पर राष्ट्रीय समिति (एनसीडीएस),
- राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (एनडीएसए),
- बांध सुरक्षा पर राज्य समिति (एससीडीएस)
- राज्य बांध सुरक्षा संगठन (एसडीएसओ) की स्थापना।
अधिनियम 2021 की धारा 31(1) के अनुसार, प्रत्येक निर्दिष्ट बांध के स्वामी को अपनी बांध सुरक्षा इकाई के माध्यम से हर साल मानसून से पहले और मानसून के बाद निरीक्षण करना होगा।
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