05 Nov जीका वायरस
- उत्तर प्रदेश के कानपुर में जीका वायरस के एक साथ 14 मरीज मिलने से हड़कंप मच गया है| शहर में अब जीका से संक्रमित 25 मरीज हो चुके हैं|
- कोरोना वायरस महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है| वहीं भारत कोविड-19 के के साथ ही कई अन्य बीमारियों से भी लड़ रहा हैं|
- दरअसल इन दिनों जीका वायरस के कई मामले सामने रहे हैं| वहीं दिल्ली और बिहार में भी जीका वायरस के खतरे को देखते हुए अलर्ट जारी कर दिया गया है|
- इस साल की शुरुआत में सबसे पहले केरल में जीका वायरस का मामला सामने आया था| वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना, डेंगू के साथ ही जीका वायरस के मामलों ने काफी चिंता बढ़ा दी है| इन तीनों बीमारियों में अंतर कर पाना कठिन हो सकता है|
जीका वायरस
- जीका एक मच्छर से फैलने वाला वायरस है जो एडीज एजिप्टी नाम की प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलता है| विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, एडीज मच्छर आमतौर पर दिन के दौरान काटते हैं| ये वही मच्छर है जो डेंगू, चिकनगुनिया फैलाता है|
- हालांकि, ज्यादातर लोगों के लिए जीका वायरस का संक्रमण कोई गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन ये प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए खासतौर से भ्रूण के लिए खतरनाक हो सकता है|
लक्षण
- जीका वायरस के कुछ खास लक्षण नहीं है| शरीर में जीका वायरस के प्रवेश करने के तीन से 14 दिन के भीतर लक्षण दिखने लगते हैं|
- इसके लक्षण भी आमतौर पर डेंगू जैसे ही होते हैं जैसे बुखार आना, शरीर पर चकत्ते पड़ना और जोड़ों में दर्द होना|
- केरल में जीका के सबसे ज्यादा मामले देखने को मिले हैं| एक बच्चे ने इस वायरस की वजह से अपनी जान भी गंवा रखी है|
- सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल के अनुसार, जीका वायरस से मरीज की मौत होने की आशंका बहुत कम होती है| इसके साथ ही केवल गंभीर मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है| केरल में इस साल 8 जुलाई को जीका वायरस का पहला मामला सामने आया था|
- यदि कोई गर्भवती महिला इससे संक्रमित हो जाती है तो इससे उसके होने वाले बच्चे पर गंभीर असर पड़ सकता है|
- सीडीसी के अनुसार, गर्भवती महिला के संक्रमित होने से उसके पैदा होने वाले बच्चे में कोई दिमागी बीमारी हो सकती है| इसके अतिरिक्त इससे गर्भपात और मृत बच्चे के पैदा होने का भी खतरा रहता है|
इलाज
- अभी तक जीका वायरस का कोई इलाज नहीं है|
- केवल डॉक्टरी देखभाल ही ठीक हुआ जा सकता है. इसके साथ ही मच्छरों के काटने से बचकर और मच्छरों के प्रसार को रोककर ही बचने की कोशिश कर सकते हैं| वहीं, अभी तक इसकी कोई वैक्सीन भी नहीं है|
पहली बार कहाँ पाया गया:
- जीका वायरस का संक्रमण सबसे पहले अफ्रीका के पूर्वी-मध्य क्षेत्र के युगांडा के जंगल में अप्रैल 1947 में बंदरों की प्रजाति रीसस मकाक में पाया गया था|
- अध्ययन के बाद साल 1952 में इसका नाम जीका रखा, क्योंकि युगांडा के जीका फारेस्ट (जंगल) में वायरस पाया गया था|
- मनुष्य में जीका वायरस पहली बार वर्ष 1954 में दक्षिण अफ्रीका के नाइजीरिया में मिला था|
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