टिपरालैण्ड की मांग

टिपरालैण्ड की मांग

टिपरालैण्ड की मांग 

टिपरा मोथा के प्रमुख प्रद्योत देबबर्मा ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने “त्रिपुरा के स्वदेशी लोगों के लिए संवैधानिक समाधान” के लिए प्रक्रिया शुरू की थी और कहा कि केंद्र इस प्रक्रिया के लिए एक वार्ताकार नियुक्त करेगें। देबबर्मा ने राज्य में आदिवासियों की “वास्तविक समस्याओं को समझने” के लिए शाह को धन्यवाद दिया।

वार्ताकार की भूमिका- 

  • वार्ताकार, एक व्यक्ति या एक संगठन जो किसी अन्य व्यक्ति या संगठन से बात करता है जब वह किसी और के लिए कार्य करता है।
  • वार्ताकार के माध्यम से एक संवैधानिक समाधान कया जा सकेगा।

टिपरालैण्ड की मांग के कारण- 

  • आदिवासी जनजाति की संस्कृति का संरक्षण से संबंधित समस्या।
  • पूर्वाग्रह और भेदभाव की समस्या।
  • अलगाववाद की समस्या।

टिपरालैण्ड- 

  • त्रिपुरा राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में त्रिपुरा के मूलनिवासियों के लिए एक प्रस्तावित राज्य का नाम है।
  • टिपरा राज्य का एक विशिष्ट इतिहास है, इस भूमि का इतिहास प्रागैतिहासिक काल तक का बताया जाता है जबकि टिप्रा राज्य के इतिहास के ज्ञात साक्ष्य 13वी शताब्दी के प्राप्त हुए हैं।
  • टिपरा  रियासत का भारतीय संघ में विलय 1949 में हुआ। इससे पूर्व य़ह माणिक्य राजवंश द्वारा शासित एक राज्य था। 
  • 19वी सदी से त्रिपुरा के राजाओं ने गैर आदिवासी बंगालियों को त्रिपुरा में बसने व कृषि करने के लिए प्रोत्साहित किया था। रत्नमाणिक्य ने सर्वप्रथम 4000 बंगालियों को त्रिपुरा के 4 स्थानों पर बसाया।
  • इसके बाद से गैर आदिवासी समाज का लगातार (बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के समय बंगाली हिंदुओं का प्रवासन मिजोरम से ब्रू रियांग परिवारों को शरण) यहां प्रवासन शुरु हुआ। जिससे मूल निवासियों की आबादी कुल आबादी की तुलना में कम होती गई।
  • त्रिपुरा में 19 अधिसूचित अनुसूचित जनजातियों में, त्रिपुरियाँ (उर्फ टिपरा और टिपरास) सबसे बड़ी हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में कम से कम 5.92 लाख त्रिपुरी हैं, इसके बाद ब्रू रियांग (1.88 लाख) और जमातिया (83,000) हैं।

 टिपरा अलगाववादी के रूप में- 

  • टिपरा राजाओं की नीतियों के कारण टिपरा निवासी त्रिपुरा में अल्पसंख्यक समुदाय बन गए। जिससे आदिवासी आंदोलन को प्रोत्साहित किया।
  • 1978 में मिजो अलगाववादियों के समर्थन से गठित त्रिपुरा राष्ट्रीय स्वयं सेवकों के अंतर्गत त्रिपुरा हिंसक गतिविधियों का केंद्र बन गए।
  • 1988 में त्रिपुरा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने उग्रवाद का मार्ग छोड़कर राजनीतिक दल के रूप में कार्य करना प्रारंभ किया। 
  • त्रिपुरा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बाद नेशनल लिबरेशन फोर्स ऑफ त्रिपुरा व ऑल त्रिपुरा टाइगर्स फोर्स उग्रवाद की गतिविधियों में संलग्न हो गए।
  • 2013 में तेलंगाना के घटना के बाद इण्डिजिनस पीपुल्स फ्रंट(नेशनल लिबरेशन फोर्स ऑफ त्रिपुरा द्वारा समर्थित) द्वारा  टिपरालैण्ड को अलग राज्य बनाने की मांग पर जोर दिया जा रहा है। 
  • ग्रेटर टिपरालैण्ड’ एक ऐसी स्थिति की परिकल्पना करता है जिसमें संपूर्ण त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएडीसी) क्षेत्र एक अलग राज्य होगा। यह त्रिपुरा के बाहर रहने वाले त्रिपुरियों और अन्य आदिवासी समुदायों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए समर्पित निकायों का भी प्रस्ताव करता है।
  • त्रिपुरा के राजनीतिक दलों की मांग है कि केंद्र संविधान के अनुच्छेद 2 और 3 के तहत इसे अलग राज्य बनाए।

अनुच्छेद 2 और 3

अनुच्छेद 2 के अनुसार संसद स्वविवेक से ऐसे नियमों व शर्तों का प्रयोग कर नए राज्यों की स्थापना कर सकेगी।

अनुच्छेद 3 के अनुसार संसद विधि द्वारा – 

  • किसी राज्य में से उसका राज्य क्षेत्र अलग करके अथवा दो या दो से अधिक राज्यों को अलग करके अथवा दो या दो से अधिक राज्यों के भागों को मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकेगी।
  • किसी राज्य के क्षेत्र को घटा या बढ़ा सकती है।
  • किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन कर सकती है।
  • राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकती है।

टिपरा आदिवासियों के लिए सरकार के प्रयास

  • 1979 में सरकार ने त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र के लिए त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद अधिनियम पारित किया। 
  • आदिवासी अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए संविधान की छठी अनुसूची में त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद को शक्तियाँ प्रदान की गई है। TTADC, जिसके पास विधायी और कार्यकारी शक्तियाँ हैं, राज्य के भौगोलिक क्षेत्र के लगभग दो-तिहाई को कवर करता है। परिषद में 30 सदस्य होते हैं जिनमें से 28 निर्वाचित होते हैं जबकि दो राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। 
  • मिजोरम से त्रिपुरा में शरण लिए ब्रू रियांग परिवारों को वापस मिजोरम अथवा त्रिपुरा में स्थायी रूप से बसाने व उनके विकास हेतु केंद्र सरकार ने ब्रू रियांग समझौता किया है।
  • त्रिपुरा की 60 विधानसभा सीटों में 20 राज्य की अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।

स्रोत

Yojna IAS Daily current affairs hindi med 18th March 2023

Yojna IAS Daily current affairs hindi med 18 March 2023

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