डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ समावेशी और सतत विकास , डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत DPI और AI का एकीकरण , वित्तीय समावेशन , G 20 प्रेसीडेंसी एजेंडा , डिजिटल प्रौद्योगिकी और डिजिटल अर्थव्यवस्था , डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैंयह लेख ‘ दैनिक करेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका ’  खंड से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ? 

 

 

  • हाल ही में G20 टास्क फोर्स द्वारा जारी रिपोर्ट में भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) के क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिका पर प्रकाश डाला गया है और भारत से आग्रह किया गया है कि वह वैश्विक दक्षिण में अपने डिजिटल समाधानों का सक्रिय रूप से विस्तार करे।
  • यह टास्क फोर्स जनवरी 2023 में स्थापित किया गया था ताकि डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI)  और वित्तीय समावेशन पर भारत के G20 प्रेसीडेंसी एजेंडे की देखरेख की जा सके। 
  • इसका मुख्य उद्देश्य डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाकर उत्पादकता बढ़ाना और सरकार की डिजिटल अर्थव्यवस्था नीतियों का समर्थन करना है।

 

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) क्या होता है ?

  • डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो विभिन्न देशों के डिजिटल समावेशन को सक्षम करने में मदद करती है। 
  • यह एक साझा डिजिटल प्रणालियों के समूह के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो सुरक्षित और अंतर-संचालनीय होना चाहिए और सामाजिक स्तर पर सार्वजनिक और/या निजी सेवाओं तक समान पहुँच प्रदान करने के लिए खुले मानकों और विनिर्देशों पर बनाया जा सकता है।

 

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के प्रमुख घटक :

  1. प्रौद्योगिकी : इसमें डिजिटल प्रणालियाँ और अनुप्रयोग (जैसे सॉफ्टवेयर कोड, बिल्डिंग ब्लॉक्स, प्रोटोकॉल, मानक) शामिल हैं, जो अंतर-संचालनीय होते हैं।
  2. शासन व्यवस्था : शासन व्यवस्था DPI में लोगों का विश्वास स्थापित कर बड़े पैमाने पर उपयोगकर्त्ताओं द्वारा इसे अपनाने में सहायता करता है। इसमें हितधारक की गतिविधि को नियंत्रित करने वाले सहभागिता के नियम, क्रॉस-कटिंग और डोमेन-विशिष्ट मानक, विधि और नीतियाँ शामिल हैं।
  3. समुदाय : समुदाय की सक्रिय और समावेशी भागीदारी मूल्य सृजन को सक्षम कर सकती है। इसमें निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के अभिकर्त्ता भी शामिल होते हैं, जो नवाचार को बढ़ावा देने और मूल्य सृजन के लिए सहयोग कर सकते हैं।

 

आधारभूत DPI :

  1. पहचान : इसमें लोगों और व्यवसायों के लिए अपनी पहचान को सुरक्षित रूप से सत्यापित करने की क्षमता शामिल है। इसके साथ ही, इसमें इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर और सत्यापन योग्य क्रेडेंशियल जैसी विश्वास की पूरक सेवाएँ भी शामिल हैं।
  2. भुगतान : इसकी सहायता से लोगों, व्यवसायों, और सरकारों के बीच धन का सुगम और त्वरित अंतरण संभव है।
  3. डेटा साझाकरण : यह शासन ढाँचे के अनुसार वैयक्तिक डेटा सुरक्षा के लिए सुरक्षा उपायों की सहायता से सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में सहमति के साथ डेटा को निर्बाध रूप से साझा करने की सुविधा प्रदान करता है।

 

इस रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य : 

 

  • यह रिपोर्ट विश्वव्यापी निकाय की स्थापना की आवश्यकता को रेखांकित करता है, जो DPI पारिस्थितिकी तंत्र का उपयोग करने के लिए एक वैश्विक मानक संगठन की रूपरेखा तैयार कर सकता है। इसके साथ – ही – साथ, इस रिपोर्ट के अन्य महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित है – 
  • बहुराष्ट्रीय उपस्थिति : इस निकाय की बहुराष्ट्रीय उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। यह निकाय विभिन्न देशों के बीच वैश्विक सहयोग को सुविधाजनक बनाने में मदद कर सकता है।
  • नीतियों और रणनीतियों की तैयारी : इस निकाय को नीतियों को तैयार करने और रणनीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए विशेषज्ञता की आवश्यकता होगी।
  • DPI और AI का एकीकरण : नैतिक उपयोग और डेटा गोपनीयता सुरक्षा के साथ DPI क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के एकीकरण की जांच करने में मदद करेगा।
  • नवाचार और मापनीयता : रिपोर्ट में DPI में नवाचार और मापनीयता को बढ़ावा देने के लिये ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर और AI मॉडल का उपयोग करने का सुझाव दिया गया है, जिससे यह निजी अभिकर्त्ताओं के लिए अधिक सुलभ बन सके।
  • उपयोगकर्ता डेटा की सुरक्षा : AI-सक्षम सेवाओं में विश्वास बनाए रखने के लिये उपयोगकर्त्ता डेटा की सुरक्षा के उपाय लागू करना महत्वपूर्ण है।
  • पारदर्शिता : AI एल्गोरिदम में पूर्वाग्रहों को संबोधित करने से सभी उपयोगकर्त्ताओं के लिए  निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित होता है, AI प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने से डिजिटल सेवाओं में जनता का विश्वास हासिल करने में मदद मिलती है।

 

भारत का वैश्विक स्तर पर डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में योगदान : 

 

 

  • UPI का वैश्वीकरण : यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मिशनों के साथ मिलकर सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है। अब तक, 80 से अधिक देशों के साथ वार्ता हुई है और 30 से अधिक देशों में भागीदारी की गई है।
  • NPCI की भूमिका : भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) UPI की अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति के लिए जोर दे रहा है, जो वैश्विक स्तर पर डिजिटल वित्त के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को उजागर करता है।

 

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस एवं पीआईबी। 

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर शब्द का प्रयोग निम्नलिखित में से किस क्षेत्र के लिए किया जाता है ? ( UPSC – 2020 )

A. स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा अवसंरचना के क्षेत्र के लिए ।

B. डिजिटल सुरक्षा अवसंरचना के क्षेत्र के लिए ।

C. दूरसंचार और परिवहन अवसंरचना  के क्षेत्र के लिए ।

D. भारत में खाद्य सुरक्षा अवसंरचना के क्षेत्र के लिए ।

उत्तर – B

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना रिपोर्ट के प्रमुख तथ्यों को रेखांकित करते हुए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका पर तथ्यात्मक रूप से चर्चा कीजिए। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

 

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