29 Apr ड्रैगन एग / नेबुला/नीहारिका एवं सफेद बौना तारे की खोज
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 के ‘ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विषय के अंतर्गत अंतरिक्ष संबंधी मुद्दे खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के ड्रैगन एग/ नेबुला/नीहारिका और सफेद बौना तारा ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक कर्रेंट अफेयर्स’ के अंतर्गत ‘ ड्रैगन एग / नेबुला/ नीहारिका एवं सफेद बौना तारे की खोज ’ से संबंधित है।)
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में खगोलविदों को ब्रह्मांड के अध्ययन के दौरान ड्रैगन एग नामक एक नेबुला/नीहारिका और एक विशाल ग्रह द्वारा सफेद बौने तारे (WDJ0914+1914) की परिक्रमा किए जाने का अप्रत्यक्ष प्रमाण मिला है।
- विश्व भर के खगोलशास्त्री ड्रैगन एग नामक इस नेबुला/नीहारिका के विश्लेषण से हैरान हैं, जिसमें एक बाइनरी स्टार सिस्टम को आवृत्त करने वाले गैस और धूम्र मेघ शामिल हैं।
नेब्युला/ निहारिका क्या होता है ?
- निहारिका गैस और धूल का एक विशाल, विस्तृत बादल है जो पूरे ब्रह्मांड में पाया जाता है।
- नेब्युला एक अद्भुत खगोलीय संरचना है जो पूरे ब्रह्मांड में फैली हुई है। यह विभिन्न आकृतियों, आकारों और रंगों में पी जाती है, और इसमें प्रत्येक की अपनी – अपनी अनूठी विशेषताएं होती हैं।
- नेब्युला के मूल में हाइड्रोजन और हीलियम तत्व होते हैं, जो ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर होते हैं। ये गैसें कार्बन, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के साथ मिश्रित होती हैं, जो प्राचीन तारों के हृदय में बने थे। नेब्युला तारों के जन्मस्थान के रूप में कार्य करती है और धीरे-धीरे गैस और धूल को एक साथ खींचती है, जिससे घने गुच्छे बनते हैं। इन गुच्छों के कोर गरम होते हैं और अंत में परमाणु संलयन को प्रज्वलित करने के लिए पर्याप्त तापमान तक पहुंचते हैं। इस बिंदु पर एक नया तारा जन्म लेता है, जो अपने तीव्र विकिरण से आसपास की नेब्युला को रोशन करता है।
- नेब्युला तारों और आकाशगंगाओं के जीवन चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जैसे ही तारे नेब्युला के भीतर बनते हैं, वे धीरे-धीरे गैस और धूल को ख़त्म कर देते हैं और इसे अपनी परमाणु प्रतिक्रियाओं के लिए ईंधन के रूप में उपयोग करते हैं।
- पूरे ब्रह्मांड में लाखों या अरबों वर्षों में, यह सबसे विशाल तारे सुपरनोवा के रूप में विस्फोटित होते हैं।
ड्रैगन एग नेबुला क्या है ?
- ड्रैगन एग नेबुला एक रहस्यमय और अद्वितीय खगोलिक वस्तु है, जो आकाशगंगा में दिखाई देती है।
- इसकी विशेषता यह होती है कि यह दो तारों के आपस में विलय के परिणामस्वरूप बनी होती है।
- इस प्रक्रिया में ये दोनों ही तारे गुरुत्वाकर्षण बल के द्वारा एक दूसरे से आपस में बंधे होते हैं, जिसे हम बाइनरी सिस्टम कहते हैं।
ड्रैगन एग नेबुला से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं –
- निर्माण: ड्रैगन एग नेबुला का निर्माण एक विशाल, गर्म केंद्रीय तारे से निकलने वाली या उत्सर्जित होने वाले तीव्र तारकीय हवाओं के परिणामस्वरूप हुआ है।
- ड्रैगन एग नेबुला के क्षेत्रों का विवरण :
- एनजीसी 6164: यह क्षेत्र केंद्रीय तारे के आसपास के उज्जवल, अधिक सघन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है।
- एनजीसी 6165: यह क्षेत्र जटिल फिलामेंट्स और बुलबुले की एक श्रृंखला में बाहर की ओर फैला हुआ है।
- आकार: ये दोनों क्षेत्र नीहारिका के समग्र आकार को बनाने के लिए मिलकर काम करते हैं, जो ड्रैगन के अंडे जैसा दिखता है – इसलिए इसका लोकप्रिय नाम है।
- शक्तिशाली दूरबीनों से ही देख पाना संभव : एनजीसी 6164/6165 के सर्वोत्तम दृश्य को शक्तिशाली दूरबीनों से ही देखा जा सकता हैं, जैसे हबल स्पेस टेलीस्कोप या यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला के बहुत बड़े टेलीस्कोप के माध्यम से देखा जा सकता है।
- बाइनरी स्टार के युग्म : इनमें से एक में स्टार मैग्नेटिक फील्ड होता है, जबकि दूसरे में यह नहीं होता है, जो बड़े तारों के लिए यह असामान्य स्थिति होता है।
- मैग्नेटिक स्टार सूर्य से लगभग 30 गुना अधिक विशाल है, जबकि इसका साथी सूर्य से लगभग 26.5 गुना अधिक विशाल है।
- शोधकर्त्ताओं का मानना है, कि यह प्रक्रिया लगभग 4-6 मिलियन वर्ष पहले ट्रिपल तारें प्रणाली के रूप में शुरू हुई थी।
- दो इनरमोस्ट स्टार्स ( तारों ) के विलय से गैस और धूम्र अंतरिक्ष में उत्सर्जित हुआ, जिससे लगभग 7,500 वर्ष पूर्व नेबुला/नीहारिका का निर्माण हुआ है।
- इनके आपस में विलय के कारण नेबुला/नीहारिका में असामान्य रूप से बड़ी मात्रा में नाइट्रोजन उत्सर्जित होती है।
- यह नेबुला/नीहारिका पृथ्वी से लगभग 3,700 प्रकाश वर्ष दूर नोर्मा तारामंडल में स्थित है।
- एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है जो प्रकाश एक वर्ष में तय करता है । यह पृथ्वी से लगभग 5.9 ट्रिलियन मील (9.5 ट्रिलियन किमी) दूर होता है।
- उनमें से एक में चुंबकीय क्षेत्र होता है (जैसा कि हमारे सूर्य में है), जबकि उसके साथी में चुंबकीय क्षेत्र नहीं होता है।
- चुंबकीय तारा सूर्य से लगभग 30 गुना अधिक विशाल है। इसका शेष साथी सूर्य से लगभग 26.5 गुना अधिक विशाल है।
- वे एक दूसरे से पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी से सात से 60 गुना तक की दूरी पर परिक्रमा करते हैं।
सफेद बौना तारा :
- सफेद बौने तारा (WDJ0914+1914) का अप्रत्यक्ष प्रमाण हाल ही में खगोलविदों द्वारा पाया गया है।
- यह ग्रह प्रति 10 दिन में सफेद बौने तारे की एक बार परिक्रमा करता है और इसकी परिक्रमा को चिली में स्थित एक विशाल दक्षिणी यूरोपीय वेधशाला ने खोजा है।
- इस ग्रह को प्रत्यक्ष रूप से नहीं देखा जा सकता, लेकिन इसके वाष्पीकृत वातावरण में उपस्थित गैसी डिस्क (हाइड्रोजन, आक्सीजन, सल्फर) के रूप में मिले हैं। यह घटना ग्रहीय तंत्र के अद्भुत रहस्यों की जानने का एक नया प्रवेश द्वार की तरह है, जिसमें सफेद बौने तारों के अंदर भी ग्रहीय तंत्र की संभावना हो सकती है।
- सफेद बौने तारों के केंद्र में मज़बूत गुरुत्व के कारण कोर का तापमान और दबाव अत्यधिक होता है। इन तारों में हाइड्रोजन नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया पूरी तरह से खत्म हो जाती है। तारों की संलयन प्रक्रिया ऊष्मा और बाहर की ओर दबाव उत्पन्न करती है, जिससे तारों के द्रव्यमान से उत्पन्न गुरुत्व बल संतुलित होता है।
- तारों के बाह्य कवच में हाइड्रोजन से हीलियम में परिवर्तित होने से ऊर्जा विकिरण की तीव्रता कम हो जाती है और इसका रंग बदलकर लाल हो जाता है। इस अवस्था के तारों को ‘लाल दानव तारा’ (Red Giant Star) कहा जाता है।
- इस प्रक्रिया में अंततः हीलियम कार्बन में और कार्बन भारी पदार्थ, जैसे- लोहे में परिवर्तित होने लगता है।
- यदि किसी तारे का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से कम या बराबर (चंद्रशेखर सीमा) होता है तो वह लाल दानव से ‘सफेद बौना’ (White Dwarf) और अंततः ‘काला बौना’ (Black Dwarf) में परिवर्तित हो जाता है।
चंद्रशेखर सीमा (Chandrasekhar Limit ) क्या है ?
- एस. चंद्रशेखर भारतीय मूल के खगोल भौतिकविद् थे,जिन्होंने सफेद बौने तारों के जीवन अवस्था के विषय में सिद्धांत प्रतिपादित किया।
- इसके अनुसार, सफेद बौने तारों के द्रव्यमान की ऊपरी सीमा सौर द्रव्यमान का 1.44 गुना है, इसको ही चंद्रशेखर सीमा कहते है।
- एस. चंद्रशेखर को वर्ष 1983 में नाभिकीय खगोल भौतिकी में डब्ल्यू. ए. फाउलर के साथ संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।
- चंद्रशेखर सीमा (Chandrasekhar Limit) एक बौने तारे (White dwarf) के अधिकतम द्रव्यमान को संदर्भित करती है। यह सीमा सौर द्रव्यमान से संबंधित है।
- चंद्रशेखर सीमा का वर्तमान मान लगभग 1.39 सौर द्रव्यमान है, जिससे दिखाया जाता है कि एक व्हाइट ड्वार्फ का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान के 1.39 गुना से अधिक नहीं हो सकता। इस द्रव्यमान से अधिक होने पर इलेक्ट्रॉन अध:पतन दबाव (Electron degeneracy pressure) इस स्तर पर नहीं रह जाता है, जिससे वह तारे को न्यूट्रॉन स्टार या ब्लैक होल में परिवर्तित होने से रोक सके।
ब्रह्मांड के अध्ययन के लिए ड्रैगन एग नेबुला या निहारिकाओं का महत्व एवं इसकी विशेषताएँ :
- ड्रैगन एग नेबुला ब्रह्मांड के अद्वितीय रूपरेखा में एक अत्यधिक महत्व रखता है।
- खगोलशास्त्री और खगोलविज्ञानी द्वारा ब्रह्मांड के अध्ययन के लिए नेबुला का अध्ययन किया जाता है और ब्रह्मांड के अपरिचित रहस्यों को इसके माध्यम से समझने की कोशिश की जाती है।
- यह नेबुला बड़े पैमाने पर होता है और इसके लेंस के माध्यम से हम सितारों, गैस, और धूल के बीच जटिल नृत्य की एक झलक देख सकते हैं।
- इसका अद्वितीय रूपरेखा ब्रह्मांड की विशालता और अनेक आश्चर्यजनक रहस्यों से हमारा परिचय करवाता है।
- खगोलशास्त्री इसे और अन्य खगोलीय पिंडों के साथ अध्ययन करके ब्रह्मांड के रहस्यों को खोलते हैं और ब्रह्मांड की मूलभूत प्रक्रियाओं के बारे में हमारी समझ का विस्तार करते हैं।
- ड्रैगन एग नेबुला ब्रह्मांड के अद्वितीय रूपरेखा के रूप में हमें ब्रह्मांड की अनगिनत चमत्कारों की याद दिलाता है।
- तारे का निर्माण : निहारिकाएं तारकीय नर्सरी के रूप में काम करती हैं, जहां टूटते हुए गैस और धूल के बादलों से नए तारे बनते हैं।
- रासायनिक संवर्धन : सुपरनोवा विस्फोट और तारकीय हवाएँ भारी तत्वों को अंतरतारकीय माध्यम में फैला देती हैं, जिससे यह तारों और ग्रह प्रणालियों की अगली पीढ़ियों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण तत्वों से समृद्ध हो जाता है।
- खगोल भौतिकी अनुसंधान : नीहारिकाएं आकाशगंगाओं के विकास, तारों के जीवन चक्र और अंतरतारकीय पदार्थ की गतिशीलता को नियंत्रित करने वाली प्रक्रियाओं में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। अवलोकन और सिमुलेशन खगोलविदों को नेबुलर संरचनाओं को आकार देने वाले भौतिक तंत्र और ब्रह्मांडीय विकास में उनकी भूमिका को समझने में मदद करते हैं।
स्रोत- द हिन्दू , इंडियन एक्सप्रेस एवं विज्ञान पत्रिका
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. ड्रैगन एग / नेबुला/ नीहारिका के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इसका निर्माण गर्म केंद्रीय तारे से निकलने वाली या उत्सर्जित होने वाले तीव्र तारकीय हवाओं के परिणामस्वरूप होता है।
- यह गैस और धूल का एक विशाल और विस्तृत बादल होता है जो ब्रह्मांड में पाया जाता है।
- नेबुला/नीहारिका में बड़ी मात्रा में नाइट्रोजन उत्सर्जित होती है।
- यह दो तारों के आपस में विलय के कारण बनती है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1, 2 और 3
B. केवल 2 , 3 और 4
C. केवल 1 , 3 और 4
D. उपर्युक्त सभी।
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. चर्चा कीजिए कि खगोल भौतिकी के हाल की खोजों और उसके निहितार्थों ने नई अवलोकन तकनीकों और आधुनिक तकनीकी नवाचारों में प्रगति ने ड्रैगन एग नेबुला या निहारिकाओं के महत्व और तारकीय विकास के बारे में ब्रह्मांड को समझने में हमारी समझ को कैसे बढ़ाया है ? तर्कसंगत उत्तर दीजिए। ( शब्द सीमा – 250 शब्द अंक – 15 )

Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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