23 Feb तमिल ब्राह्मी लिपि और कीलाड़ी सभ्यता
तमिल ब्राह्मी लिपि और कीलाड़ी सभ्यता
संदर्भ- तमिलनाडु के शिवगंगा जिले के कीलाड़ी के उत्खनन स्थल में तमिल ब्राह्मी लिपि युक्त कलाकृतियों की खोज की गई है। तमिलनाडु पुरातत्व विभाग के प्रभारी शिवनाथम ने कहा कि लिपि के साक्ष्यों के संरक्षण के लिए कीलाड़ी संग्रहालय में एक विशेष स्थान निर्धारित किया जाएगा।
कीलाड़ी-
- तमिलनाडु में स्थित कीलाड़ी या कीझाड़ी, संगम युगीन बस्ती के लिए जाना जाता है।
- राज्य के पुरातत्व विभाग की सिफारिश पर यहाँ उत्खनन किया जा रहा है।
- कार्बन डेटिंग तकनीक के आधार पर यह बस्ती छठी शताब्दी ईसा पूर्व की है।
- यहाँ से प्राप्त तमिल ब्राह्मी लिपि युक्त कलाकृतियों के कारण इस बस्ती को इतिहासकारों व पुरातत्विदों के द्वारा सुशिक्षित माना जाता है।
- सिंधु घाटी सभ्यता के बाद यह भारत में सबसे प्राचीन व सुशिक्षित सभ्यता है। वैगई नदी के तट पर स्थित होने के कारण इसे वैगई सभ्यता भी कहा जाता है।
वैगई नदी- वैगई तमिलनाडु की प्राचीन सभ्यता को शरण देने वाली नदी है। इसका उद्गम स्थल तेनी जिले के पश्चिमी घाट के वरुसुनाडु पहाड़ियों में है जो पाक जल संधि में विलय हो जाती है। इस नदी के तट पर तेनी, मदुरई व डिंडीगुल शहर स्थित हैं।
कीलाड़ी में प्राप्त अवशेष
- मृदभाण्ड जैसे मिट्टी के बर्तनों में की गई कलाकृतियाँ
- सोने के गहने
- जानवरों की हड्डियाँ
- टेराकोटा से बने मनुष्य व जानवरों की आकृति के चाभी वाले खिलौने
- आकृतियों में तमिल ब्राह्मी लिपि उत्कीर्ण है।
तमिल ब्राह्मी लिपि
- तमिल ब्राह्मी लिपि, दक्षिण भारत में प्रयुक्त लिपि है जो उत्तर भारत में प्रयुक्त ब्राह्मी लिपि से मिलती जुलती है।
- दक्षिण भारत में तमिल ब्राह्मी लिपि, तीसरी शताब्दी ई पू. से पहली शताब्दी ई. के काल में विकसित हुई।
- इस लिपि का ज्ञान प्राचीन शिलालेखों से प्राप्त होता है।
- मूल ब्राह्मी के अतिरिक्त तमिल ब्राह्मी में 4 अन्य स्वरों के प्रतीक दिए गए हैं। जो तमिल वर्णों का प्रतिनिधित्व कर सकें।
- तमिल ब्राह्मी के वर्ण सिंहल ब्राह्मी से मिलते जुलते हैं जो गुजरात या श्रीलंका द्वीप में प्रयुक्त की जाती थी।
- संगम काल(600-300 ई.पू.) में तमिल ब्राह्मी लिपि का प्रयोग किया जाता था।
- इस लिपि को भित्ति चित्र लिपि भी कहा जाता है। और अब तक इसे पढ़ा नहीं जा सका है।
तमिल ब्राह्मी शिलालेख-
- तमिल ब्राह्मी लिपि युक्त शिलालेख अब तक प्राचीन तमिल, बौद्ध व जैन स्थलों में पाए गए हैं।
- मिट्टी के बर्तनों में प्राप्त तमिल ब्राह्मी लिपि युक्त आकृतियों से ज्ञात होता है कि तत्कालीन कुम्हारों को भी लिपि का ज्ञान था अर्थात वे शिक्षित थे।
- भारत में तमिल ब्राह्मी लिपि के प्रमाण कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल में प्राप्त हुए हैं। जिनमें पालघाट व कोयम्बटूर के क्षेत्र में तमिल ब्राह्मी शिलालेख प्रमुखता से पाए गए हैं।
- तमिल ब्राह्मी व ब्राह्मी लिपि का मिश्रण मुख्यतः बंगाल की खाड़ी, सालिहुंडम(आंध्र प्रदेश), वड्डामानु, अमरावती, अरिकामेडु, कांचीपुरम, वल्लम, कोरकई और कीलाड़ी आदि क्षेत्रों में प्राप्त हुआ है।
तमिल ब्राह्मी लिपि का विस्तार क्षेत्र- भारत के साथ साथ लिपि का विस्तार भारत के सीमावर्ती देशों समेत समस्त एशिया में हुआ।
मध्य पूर्व एशिया- भारत के पश्चिम में स्थित क्षेत्र जिसे यूनाइटेड किंगडम ने मध्य पूर्व नाम दिया गया। यह एक धनी इतिहास वाला क्षेत्र होने के साथ तमिल ब्राह्मी लिपि की साक्ष्य स्थली होने के कारण दक्षिण भारत के साथ प्राचीन संबंधों को दर्शाता है। मध्य पूर्व के ओमान व मिस्र से तमिल ब्राह्मी लिपि युक्त ठीकरे मिले हैं। यह पहली या दूसरी शताब्दी के बताए जाते हैं।
दक्षिण पूर्वी एशिया- यह क्षेत्र, भौगोलिक रूप से भारत के पूर्व, चीन के दक्षिण व ऑस्ट्रिया के उत्तर और न्यू गिनी के पश्चिम में स्थित है। इसके थाईलैंड. कंबोडिया, वियतमान व इंडोनेशिया देसों से भारतीय लिपि तमिल ब्राह्मी लिपि युक्त शिलालेख व ठीकरे प्राप्त होते हैं। जो भारत के छठी शताब्दी ई.पू. में दक्षिण पूर्व देशों के साथ संबंध को प्रकट करते हैं।
अतः कीलाड़ी की तमिल ब्राह्मी सभ्यता या वैगई सभ्यता एक समृद्ध सभ्यता थी जिसका संबंध सांस्कृतिक व व्यापारिक संबंध भारतीय उपमहाद्वीप के परे देशों से था। तमिल ब्राह्मी लिपि, भारतीय इतिहास के उस काल को पाटती नजर आती है जब ब्रह्मी लिपि का प्रयोग कम होने लगा था और दक्षिण की अन्य लिपि का उद्भव नहीं हुआ था। ऐसे समय में तमिल ब्राह्मी लिपि भारतीय शिक्षित समाज का प्रतिनिधित्व करती नजर आती है।
स्रोत
Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 23rd Feb
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