13 Oct ताना भगत
ताना भगत
संदर्भ- हाल ही में लातेहार जिला अदालतों के बाहर हिंसक विरोध के आरोप में ताना भगत सम्प्रदाय के 30 आदिवासियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।लातेहार के एसपी अंजनी अंजन के अनुसार वे संविधान की 5वी अनुसूची की गलत व्याख्या कर रहै हैं, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि लातेहार में अदालतों के परिचालन व बाहरी लोगों के रोजगार पर रोक है।
भारत का संविधान, विश्व में अपनी विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध है। इसी विशिष्टता में एक अन्य विषय है संविधान की 5वी अनुसूची। 5वी अनुसूची भारत के 10 राज्यों के आदिवासी इलाकों में लागू की गई है।जिनमें आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमांचल प्रदेश, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उड़ीसा व तेलंगाना राज्य शामिल हैं। जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है।
संविधान की 5 वी अनुसूची-
- संविधान की 5 वी अनुसूची, भारत के अनुसूचित जनजातियों के क्षेत्र, प्रशासन का उल्लेख किया गया है।
- अनुसूचित क्षेत्र का प्रशासन, सीधे तौर पर केंद्र के अधीन आता है।
- जब भी राष्ट्रपति अपेक्षा करे, राज्यपाल को क्षेत्र के प्रशासन संबंधी रिपोर्ट राष्ट्रपति को देनी होगी।
- जिन क्षेत्रों में अनुसूचित क्षेत्र है अथवा जहाँ अनुसूचित जातियाँ हैं किंतु अनुसूचित क्षेत्र नहीं है, राष्ट्रपति के निर्देशन पर जनजातीय सलाहकार परिषद स्थापित की जाएगी। जो राज्यपाल द्वारा भेजे गए विषयों पर सलाह देगी, इसके संगठन के नियम राज्यपाल द्वारा ही बनाए जाएंगे। किंतु अधिकतर राज्यों द्वारा इस परिषद का अध्यक्ष मुख्यमंत्री को बनाकर इस परिषद की स्थिति को कमजोर कर दिया है।
- राज्यपाल केंद्र व राज्य की विधायिका द्वारा पारित किसी भी नियम को अनुसूचित क्षेत्र में निरस्त कर सकते हैं।
- राज्यपाल शांति व सुशासन के लिए भू हस्तानांतरण, भू प्रदाय व ब्याज व्यवसाय जैसे किसी भी विषय पर जनजाति सलाहकार परिषद से सलाह लेकर विनियम बना सकते हैं। राष्ट्रपति की अनुमति के बिना कोई भी विनियम लागू नहीं हो सकता।
- राष्ट्रपति किसी भी समय क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र की विशिष्ट स्थिति से हटा सकता है। तथा राज्य के राज्यपाल से परामर्श करने के बाद ही उस अनुसूचित क्षेत्र के क्षेत्र को बढ़ा सकता है।
ताना भगत सम्प्रदाय- ताना भगत सम्प्रदाय बिहार के छोटा नागपुर क्षेत्र के आदिवासी है, मूल रूप से ये उरांव या कुरूख जनजाति से संबंधित हैं। वर्तमान में यह जनजाति झारखण्ड की राजधानी रांची के मध्य व पश्चिम में स्थित है। स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख क्रांतिकारी जतरा उरांव द्वारा अंग्रेजों द्वारा लड़ाई के लिए एक आंदोलन किए जिन्हें टाना भगत नाम दिया गया। इस आंदोलन के बाद इन आदिवासियों को टाना भगत आदिवासी के नाम से भी जाना जाता है।
ताना भगत आंदोलन-
ताना भगत आंदोलन के प्रणेता जतरा उरांव थे, जतरा उरांव ने आंदोलन को दो चरणों में निष्पादित किया, प्रथम चरण में उसने तत्कालीन सामाजिक व धार्मिक कमियों को उजागर किया। द्वितीय चरण में गैर आदिवासी समुदायों के साथ असहयोग, स्वशासन की रणनीति अपनाई।
प्रथम चरण की गतिविधियाँ-
- जतरा उरांव ने प्रचार किया कि उसे धर्मेश(भगवान) के दर्शन हुए हैं, जिसने उसे आदिवासी समुदाय का नेतृत्व सौंपा है।
- भूत प्रेत, जादूटोना, बलिप्रथा, मांस भक्षण आदि अंधविश्वास का त्याग।
- जमींदारों के अंतर्गत हल चलाना छोड़ दिया, उनके अनुसार इस परिश्रम से उन्हें गरीबी से छुटकारा नहीं मिलेगा।
द्वितीय चरण की गतिविधियाँ-
- द्वितीय चरण आने तक यह आंदोलन केवल जतरा भगत का नहीं रह गया था। अब यह आंदोलन ब्रिटिश विरोधी बन गया था।
- इसमें नए धर्म का संगठन व शोसकों का विरोध किया गया।
- मांडर क्षेत्र में शिबू भगत, बभुरी गांव की देवमनियाँ, उरांव के ही हनुमान भगत घाघरा क्षेत्र के बलराम भगत ने आंदोलन की कमान संभाली उन्हें भी ताना सम्प्रदाय का उत्थानकर्ता माना जाता था।
- 1916 के अंत तक आंदोलन का विस्तार उत्तर मे पलामू जिला तक फैल गया। अब यह आंदोलन राजशाही के विरूद्ध हो गया। और राजा के समक्ष स्वशासन, राजशाही समाप्त करने, भूमि कर समाप्त और समानता स्थापित करने की मांग रखी गई।
- गांधीजी के असहयोग आंदोलन व सविनय अवज्ञा आंदोलन में ताना भगत समुदाय भी शामिल हुए।
ताना भगत आंदोलन के प्रभाव-
- आदिवासियों में अंधविश्वास के कारण आने वाली कुरीतियों का अंत।
- अभी भी उरांव में प्रत्येक घर में तिरंगे की पूजा उनके देश प्रेम को उजागर करती है।
- स्वतंत्रता के बाद 1948 में ताना भगत रैयत एग्रीकल्चरल लैण्ड रैस्टोरेसन एक्ट पारित किया गया। इस एक्ट मं अंग्रेजों द्वारा ताना भगतों की नीलाम की गई भूमि को वापस दिलाने का प्रावधान था।
स्रोत-
No Comments