नक्सलवाद 

नक्सलवाद 

नक्सलवाद 

संदर्भ- हाल ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा पिछले चार दशकों में पहली बार वामपंथी उग्रवाद में मरने वालों की संख्या 100 से कम हुई है।

वामपंथी विचारधारा 

वामपंथी व दक्षिणपंथी विचारधारा का प्रारंभ फ्रांसीसी क्रांति से माना जाता है जिसमें राजा के समर्थकों को दक्षिणपंथी व राजा के विरोधियों को वामपंथी कहा जाता था। तत्कालीन वामपंथी, आर्थिक व राजनीतिक समानता में विश्वास करते थे। आधुनिककाल में वामपंथी विचारधारा को समाजवादी व साम्यवादी विचारधारा भी कहा जाता है।

  • समाजवादी विचारधारा, समाज की लोकतंत्र व स्वतंत्रता पर जोर देती है, यह राजनीतिक रूप से समाज में समानता को परिलक्षित करती है।
  • साम्यवादी विचारधारा, समाज की राजनीतिक समानता पर जोर देती है, जिसके तहत वर्ग विहीन समाज होना चाहिए जहाँ वर्ग आधारित कोई असमानता न हो। आर्थिक संसाधनों का सम्पूर्ण समाज पर समान अधिकार होगा। भारत में नक्सलवाद, साम्यवाद का ही एक वर्तमान रूप है।

भारत में साम्यवाद-

  • भारत में स्वतंत्रता आंदोलन के समय दयनीय आर्थिक स्थिति की परिस्थितियों में साम्यवाद व समाजवाद जैसी विचारधाराओं का आगमन हुआ। 
  • भारत में साम्यवादी दल दो गुटों में उभरा, प्रथम जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वामपंथी दल था और लोकतंत्रीय समाजवाद में विश्वास रखता था। द्वितीय जो अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उभरा जिसे रूस का समर्थन प्राप्त था। 
  • भारतीय साम्यवादी जो अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु लोकतांत्रिक मार्ग से विलग हिंसा का मार्ग अपना रहे हैं, उन्हें नक्सलवाद कहा जाता है।

भारत में नक्सलवाद- 

  • नक्सलवाद शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के नक्सलवाड़ी गाँव से हुई है। नक्सलवाड़ी से ही चारु मजूमदार व कानू सान्याल ने 1967 में प्रशासन के विरुद्ध संघर्ष प्रारंभ किया। जो माओवादी विचारधारा से प्रेरित थे।
  • माओवादी विचारधारा, सम्पूर्ण तंत्र को हिंसात्मक तरीके से समाप्त कर नए तंत्र की स्थापना करने पर आधारित थी। इनके अनुसार शोषितों को न्याय दिलाने का यही एक मार्ग है।
  • भारत में हिंसात्मक नक्सलवाद के साथ शहरी नक्सलवाद भी एक अन्य भाग है जो अप्रत्यक्ष रूप से नक्सलियों की विचारधारा का समर्थन करता है और युवाओं को नक्सल विचारधारा के लिए प्रेरित करता है।

नक्सलवाद की उत्पत्ति के कारण

  • ऐतिहासिक कारण- नक्सलवाद के प्रारंभ के समय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रभाव था जिसमें किसानों ने क्रांतिकारी आंदोलनों में प्रमुख योगदान दिया था। स्वतंत्रता आंदोलन में किसानों ने न सिर्फ अंग्रेजों का बल्कि सभी शोषक वर्गों जैसे जमींदारों का विरोध किया था।
  • आर्थिक कारण- विकास परियोजनाओं के कारण स्थानीय लोगों के विस्थापन के कारण रोष। निर्धन जनता को भ्रष्टाचार के कारण सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता, आँकड़ों में उन्हें गरीबी रेखा से ऊपर दर्शाया जाता है। जिससे उनकी स्थिति निरंतर खराब होती गई और उन्होंने सशस्त्र विद्रोह का सहारा लिया। झारखण्ड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना आदि राज्यों में नक्सलवाद आर्थिक असमानता के कारण प्रभावित है।
  • सामाजिक कारण-  भारत में एक अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग, दीर्घकाल से शोषित होता आया जब वे मुख्य धारा में शामिल न हो पाएं तब वे हिंसा का सहारा लेते हैं।
  • अशिक्षा- मुख्य धारा में शामिल न हो पाने के कारण वे शिक्षा से भी दूर हो जाते हैं, अशिक्षा के कारण वे गणतंत्र की शक्ति व नागरिक अधिकारों के ज्ञान से वंचित रह गए, और गणतंत्र का ही विरोध करने लगे। 

भारत में नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्र

2019 तक भारत में 11 प्रदेशों (पूर्वी, मध्य व दक्षिणी प्रदेश) के 90 जिले नक्सलवाद से प्रभावित थे। इसे रैड कॉरिडोर भी कहा जाता है। नक्सली अब ग्रामीण क्षेत्रों के साथ शहरी क्षेत्रों में भी अपना प्रभाव छोड़ रहे हैं। इससे वे समस्त देश में अपना अधिकार जमाना चाहते हैं। 2021 में यह 70 जिलों में प्रभावित थे। यह आँकड़े नक्सलवादी गतिविधियों के कम होने की ओर निर्देशित करती है।

नक्सलवाद के प्रति वैधानिक प्रतिक्रिया

भारत के गैरकानूनी(रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत नक्सलवादी सभी संगठनों को आतंकवादी घोषित किया गया है।

सड़को की पहुँच- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2022 तक नक्सलवादी क्षेत्रों को सड़कों से जोड़कर मुख्य धारा में लाने का लक्ष्य रखा गया था।

रोशनी- नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आदिवासी युवाओं को रोजगार देने के लिए 2013 में रोशनी पहल की शुरुआत की गई है जिसके तहत युवाओं को कौशल आधारित प्रशिक्षण व रोजगार दिया जाएगा।

ऑपरेशन समाधान- नक्सल प्रभाव वाले क्षेत्रों में समाधानपरक रणनीति बनाकर कुशल कार्ययोजना तैयार की जाती है। जिसमें कुशल नेतृत्व, आक्रामक रणनीति, प्रशिक्षण, गुप्तचर व्यवस्था व प्रौद्योगिकी के प्रयोग से परिणामोन्मुखी कार्ययोजना बनाकर नक्सलियों के वित्तपोषण व्यवस्था को विफल करना इस ऑपरेशन का लक्ष्य है इसकी घोषणा 2018 में की गई थी।

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स्रोत

https://indianexpress.com/article/india/number-of-deaths-due-to-left-wing-extremism-came-down-under-100-in-2022-shah-8430413/

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