नजफगढ़ झील।

नजफगढ़ झील।

दिल्ली की नजफगढ़ झील को पुनर्जीवित करने की योजना, इसके आसपास जैव विविधता की रक्षा।

चर्चा मेंदिल्ली राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण (एसडब्ल्यूए) ने नजफगढ़ झील की रक्षा और कायाकल्प के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की है, दिल्ली सरकार के तहत आने वाले विभागों ने अगले एक से दो वर्षों में झील को बदलने के लिए जमीन पर काम शुरू करने के निर्देश जारी किए हैं।

नजफगढ़ झील- वर्तमान में नजफगढ़ झील, हरियाणा के खेड़की माजरा गांव के पास से दक्षिण पश्चिम दिल्ली में स्थित है। वर्तमान में यह दक्षिण पश्चिम दिल्ली व उसके आसपास के क्षेत्रों में सबसे प्रदूषित नाले के रूप में जाना जाता है। 

इतिहास में अंग्रेजों द्वारा नजफगढ़ झील से यमुना तक गहरा नाला खोदा गया। जिसे नजफगढ़ लेक एस्केप कहा गया। यह झील वर्षा ऋतु के अतिरिक्त समय में भी आर्द्र रहती है। जिस कारण इसके आसपास जलीय जीवों की उत्पत्ति स्वाभाविक है। अत्यधिक औद्योगिकीकरण व शहरीकरण के कारण दिल्ली की सबसे प्रदूषित झील हो गई है। नजफगढ़ झील दिल्ली के 19 जल निकायों में से एक है जिन्हें आर्द्रभूमि घोषित करने की योजना है।

आर्द्रभूमिऐसा भूभाग जहाँ पारितंत्र का बड़ा हिस्सा स्थाई रूप से या प्रतिवर्ष किसी मौसम में जल से संतृप्त (सचुरेटेड) हो या उसमें डूबा रहे। ऐसे क्षेत्रों में जलीय जीव व पौधों का बाहुल्य रहता है और यही आर्द्रभूमियों को परिभाषित करता है। जैवविविधता की दृष्टि से आर्द्रभूमियाँ अंत्यंत संवेदनशील होती हैं क्योंकि विशेष प्रकार की वनस्पतिव अन्य जलीय जीव ही आर्द्रभूमि पर उगने और फलने-फूलने के लिये अनुकूलित होते है।आर्द्रभूमि स्थायी रूप से जलीय और शुष्क स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र के बीच इको-टोन या संक्रमणकालीन क्षेत्र हैं। 

आर्द्रभूमि के प्रकार-आर्द्र भूमि, उस आवास में पानी, मिट्टी के प्रकार और वनस्पतियों और जीवों की लवणता के संयोजन से निर्धारित होती हैं। 

  • समुद्री (तटीय लैगून, चट्टानी तटों और प्रवाल भित्तियों सहित तटीय आर्द्रभूमि)
  • एस्टुअरीन (डेल्टा, ज्वारीय दलदल और मैंग्रोव दलदलों सहित)
  • लैकुस्ट्रिन (झीलों से जुड़ी आर्द्रभूमि)
  • नदी (नदियों और नालों के साथ आर्द्रभूमि) और
  • Palustrine (जिसका अर्थ है “दलदली” या दलदल।)

आर्द्रभूमि द्वारा प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिक सेवाएं

आंशिक रूप से आर्द्रभूमि की भौगोलिक और स्थलाकृतिक स्थिति के आधार पर, यह जो कार्य करता है वह कई पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं, मूल्यों और लाभों का समर्थन कर सकता है। आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करती हैं जैसे

  • जल भंडारण (बाढ़ नियंत्रण)
  • भूजल पुनःपूर्ति
  • तटरेखा स्थिरीकरण और तूफान संरक्षण (क्षरण नियंत्रण)
  • जल शोधन
  • जैव विविधता के जलाशय
  • परागन
  • आर्द्रभूमि उत्पाद
  • सांस्कृतिक मूल्य
  • मनोरंजन और पर्यटन
  • जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन

आर्द्रभूमि के उन्नयन के लिए किए गए प्रयास-

वैज्ञानिकों के अनुसार विश्व में सन 1900 के बाद 64% आर्द्र भूमि विलुप्त हो गई है। एशिया में इसके परिणाम और भी घातक हैं जहाँ अंतर्देशीय आर्दभूमि तटीय भूमि की अपेक्षा तेजी से घायब हो रही है, इन्हें बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं-

  • संविधान के अनुच्छेद 51(क) के खण्ड छ के अनुसार प्रत्येक भारतीय नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह नदी, झील, वन वनयजीवों की रक्षा करे।
  • 1971 में ईरान के विश्व आर्द्रभूमियों के विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय संधि हुई थी।
  • पर्यावरण अधिनियम 1986 में आर्द्रभूमि सहित पर्यावरण संरक्षण के प्रयास शामिल हैं।
  • राष्ट्रीय पर्यावरण नीति 2006 में आर्द्र भूमि के विनियामक तंत्र को स्थापित करने की मान्यता दी गई है। जो पारिस्थितिकी तंत्र के एकीकृत प्रबंधन करने में सहायक हो।
  • आर्द्रभूमि संरक्षण एवं प्रबंधन अधिनियम 2017 में आर्द्र भूमि के लिए राज्य स्तरीय निकाय की योजना बनाई गई।  

नजफगढ़ झील को आर्दभूमि अधिसूचित करने के लाभ-

  • आर्द्रभूमि अधिसूचित होने के बाद झील का एक परिभाषित क्षेत्र होगा जिससे अतिक्रमण की संभावना कम हो जाएगी।
  • इसकी सुरक्षा व स्वच्छता के लिए केंद्र से प्राप्त सहायता होगी।
  • राज्य वन एवं वन विभाग द्वारा झील के आसपास सभी जीवों का मानचित्रण किया जाएगा, प्रजातियों के घटने बढ़ने से झील की स्वच्छता की दृष्टि से स्थिति व अनुकूलन का ज्ञान होता रहेगा। 
  • नजफगढ़ झील के नाला बन चुके क्षेत्र को फिर से पूर्व स्थिति में लाने से दिल्ली में बाढ़ की स्थिति को नियंत्रित किया जा सकेगा।
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