नवरोज उत्सव

नवरोज उत्सव

नवरोज उत्सव

संदर्भ- हाल ही में विश्व की ईरानी आबादी द्वारा नवरोज उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया गया। भारत के पारसी समुदाय द्वारा 21 मार्च से यह उत्सव मनाया जा रहा है।

नवरोज- 

  • नवरोज या नौरोज उत्सव, ईरानी नववर्ष है जो ईरानी सौर कैलेंडर के पहले महीने फॉरवर्डिन के पहली तारीख को मनाया जाता है।(ईरानी सौर कैलेंडर में 360 दिन होते हैं। शेष 5 दिनों को एक गाथा के रूप में मनाया जाता है जिसमें पूर्वजों को याद किया जाता है।)
  • उत्सव के दौरान भोजन को महत्वपूर्ण माना जाता है, भोजन व उपहारों को एक मेज में रखा जाता है तथा इसके चारों ओर परिवार के सदस्य एकत्रित हो जाते हैं। और उस समय की प्रतिक्षा करते हैं जब सूर्य भूमध्य रेखा को पार कर जाता है, ठीक उसी क्षण नवरोज यानि नववर्ष प्रारंभ हो जाता है। उत्सव 12 दिन तक मनाया जाता है। 
  • ईरान में इस भोजन की मेज को हफ्तसीन (सात एस) कहा जाता है। हफ्तसीन में सात एस से प्रारंभ होने वाले व्यंजन रखे जाते हैं- सोमक(सरसफल), शराब, शीर(दूध), सीर(लहसुन), सिरहक(सिरका), सेब, शिरनी(शक्कर से बनी टॉफी)। 

नवरोज की उत्पत्ति 

  • ईरान में नवरोज उत्सव लगभग 3000 वर्ष पूर्व मनाया जा रहा है।
  • इसकी उत्पत्ति ईरानी परंपराओं से हुई किंतु पश्चिमी एशिया, मध्य एशिया, काकेशस, काला सागर बेसिन, बाल्कन व दक्षिण एशिया में यह त्योहार मनाया जाता है।
  • नवरोज बसंत की शुरुआत के लिए बसंत विसुव के रूप में मनाया जाता है। विषुव एक ऐसी परिस्थिति है जहाँ दिन व रात दोनों बराबर होते हैं। 
  • पारसी ग्रंथों के अनुसार राजा जमशेद ने शीतकालीन मारक ठंड से मानव जाति की रक्षा की थी। जमशेद को कथानकों में आदिमानव से पशुपालक जीवन की शुरुआत करने वाला भी माना जाता है।
  • जमशेद से जुड़ी एक कथा यह भी है कि उसने स्वयं के लिए एक रत्नजड़ित सिंहासन का निर्माण करवाया, तथा उसमें सूर्य की तरह विराजमान हो गया। सिंहासन को देवदूतों ने उठाया, उस दिन को नया दिन अथवा नवरोज कहा।
  • कुर्दों के लिए नवरोज, प्रतिरोध का प्रतीक(कुर्दों के लिए तुर्की में कई प्रतिबंध थे) है। कुर्दीश इसे राष्ट्रीय पहचान के रूप में मनाते हैं। किवदंतियों के अनुसार कावा, लोहार ने अत्याचारी जुहाक की हत्या कर दी थी इसी दिन को वे नवरोज के रूप में मनाते हैं। इसके बाद सात कुर्द जनजातियों ने मध्य साम्राज्य(तुर्की, ईरान, इराक, सीरिया) का निर्माण करने के लिए डिऑक्स को नियुक्त किया, जो अपने उत्तरदायित्व में सफल रहा। कुर्द इस त्योहार के दिन स्वतंत्रता व शांति की मांग करते हैं। (आधुनिक इतिहास में कोई कुर्द देश नहीं है।)

नवरोज की अंतर्राष्ट्रीय पहचान

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा में 2010 में अंतर्राष्ट्रीय नवरोज दिवस की घोषणा की।
  • यूनेस्को ने 2016 में इसे मानवता की अमूर्त विरासत के रूप में सूचीबद्ध किया है। 

भारत में नवरोज उत्सव

  • भारत में भी पारसी समुदाय द्वारा यह त्योहार मनाया जाता है।
  • भारत में पारसी समुदाय की जनसंख्या लगभग 60 हजार है जिसमें से 40 हजार लोग इस त्योहार में प्रतिभाग करते हैं। 
  • पारसी समुदाय के अतिरिक्त भारत में बहाई समुदाय व कश्मीरी समुदाय द्वारा भी नवरोज मनाया जाता है।
  • भारत में, लोग पारसी समुदाय के पूजा स्थल अग्नि मंदिर, पर जाते हैं, अपने घरों को सजाते हैं, व्यंजन तैयार करते हैं, और दिन के दौरान सूर्य की गति के आधार पर अनुष्ठान करते हैं।
  • भारत में यह उत्सव सामुदायिक एकता का प्रतीक है।

भारत में पारसी समुदाय का इतिहास

  • ईरान में धार्मिक उत्पीड़न के बाद पारसी लगभग 936 ई. में भारत पहुँचे। 
  • 17वी शताब्दी के ग्रंथ किस्सा-ए- संजन के अनुसार गुजरात के हिंदू राजा जादव राणा के दरबार में ईरानियों ने शरण ली थी। ईरान के पारस प्रांत के नाम पर ये भारत में पारसी कहलाए। 
  • पारसियों ने पवित्र अग्नि को बचाने के लिए गुजरात के उदवाड़ा में एक अग्नि मंदिर की स्थापना की थी। 
  • अंग्रेजों के आगमन के समय पारसी, सूरत में रहते थे। सूरत में अंग्रेजों ने अपना पहला कारखाना स्थापित किया। अंग्रेजों के भारत में प्रभुत्व जमाने से पूर्व ही पारसियों ने अपनी महत्ता दोनों पक्षों में साबित की और वे अंग्रेजी भाषा सीखकर अनुवादक का कार्य करने लगे। 
  • भारतीयों में समुद्र पार जाकर धर्म से बहिस्कृत होने की किवदंती थी, पारसियों में इस प्रकार की कोई प्रथा नहीं थी उन्होंने इस अवसर का लाभ उठाते हुए चीन से व्यापार करना प्रारंभ किया। 
  • 19वी शताब्दी के भारत के प्रमुख व्यापारियों में जमशेदजी जीजीभाई अग्रणी थे। वे महारानी विक्टोरिया के काल में बैरोनेट(उपसामन्त) का खिताब पाने वाले पहले व्यक्ति थे।
  • भारतीय नवजागरण के दौर में दादाभाई नौरोजी ने भारत में शिक्षा का प्रचार प्रसार करने के साथ समाज सुधारक के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ी। 
  • इनके अतिरिक्त होमी जहाँगीर भाभा, फील्ड मार्शल सैम मानिकशाह, रतन नवल टाटा, डॉ साइरस पूनावाला आदि भारत के प्रसिद्ध पारसी समुदाय के व्यक्तित्व हैं।
  • भारत में पारसी समुदाय की जनसंख्या वृद्धि के लिए जियो पारसी योजना प्रारंभ की।

स्रोत

Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 27th March 2023

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