नाथूला हिमस्खलन

नाथूला हिमस्खलन

नाथूला हिमस्खलन

स्रोत – हाल ही में सिक्किम के नाथू ला में हिमस्खलन एक आपदा का कारण बन गया है जिसमें 7 लोगों की जान चली गई। जिसमें आपदा प्रबंधन दल व पुलिस खोज दल ने 27 पर्यटकों को बचा लिया है। 

हिमस्खलन- ढलान वाले क्षेत्र से हिम या बर्फ के नीचे की कोर प्रवाहित होने या खिसकने की स्थिति को हिमस्खलन कहा जाता है। हिमस्खलन, हिमालयी क्षेत्रों में होता है, जिसके कारण यदि जनधन की हानि हो जाती है तो यह एक भयानक आपदा का रूप ले लेती है। जैसे प्रथम विश्व युद्ध में, दिसंबर 1916 में ऑस्ट्रियाई-इतालवी मोर्चे पर आल्प्स में लड़ाई के दौरान, एक ही दिन में 10,000 से अधिक सैनिक हिमस्खलन से मारे गए थे, जो तोपखाने द्वारा अस्थिर बर्फ की ढलानों पर दागे गए थे।

भारत में हिमस्खलन संवेदनशील क्षेत्र-  भारत में हिमस्खलन की घटनाएँ हिमालय की श्रृंखलाओं में सर्दियों और अतिवृष्टि के समय होती हैं। भारतीय हिमालयी क्षेत्र 12 भारतीय राज्यों (अर्थात् जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, असम के दो जिलों अर्थात् दीमा हसाओ और कार्बी एंगलोंग तथा पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग और कालिम्पोंग) में 2500 किमी की लंबाई और 250 से 300 किमी की चौड़ाई में फैला हुआ है। अकेले भारतीय हिमालयी क्षेत्र (आईएचआर) में लगभग 50 मिलियन लोग निवास करते हैं। कुछ घटनाएं जिसमें मानव संसाधनों को अधिक हानि पहुँचती है, इसे व्हाइट डेथ कहा जाता है। हिमस्खलन की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र-

  • जम्मू कश्मीर में कुलगाम, पहलगाम,अनंतनाग और शोपिया, त्राल के पर्वतीय क्षेत्र हिमस्खलन की दृष्टि से अति संवेदनशील माने जाते हैं। इसके साथ ही गुलमर्ग, यसमर्ग,जोजिला,बाल्टाल,राजदान पास और उत्तरी कश्मीर में LOC से जुड़े क्षेत्रों में प्रतिवर्ष हिमस्खलन के कारण जनधन की हानि हो जाती है।
  • हिमांचल प्रदेश में चम्बा, कुल्लू व किन्नौर घाटी के उच्च पर्वतीय क्षेत्र हिमस्खलन की दृष्टि से अति संवेदनशील माने जाते हैं।
  • उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग व चमोली जिलों के पर्वतीय क्षेत्र हिमस्खलन की घटनाओं के प्रमुख केंद्र हैं। 
  • सिक्किम भूस्खलन संबंधी घटनाओं के लिए संवेदनशील है।

हिमस्खलन के कारण-

  • अतिवृष्टि या अतिहिमपात के कारण हिमपैक पर अधिक भार पड़ता है, जिससे हिमस्खलन की घटना घटित होती है। 
  • पर्वतीय क्षेत्र में प्राकृतिक या भूकंप के कारण हिम स्लैब टूट सकते हैं। मशीनों व विस्फोटकों द्वारा उत्पन्न गति व कंपन भी हिमस्खलन के मानवजनित कारक हो सकते हैं।
  • बर्फीले तूफान के कारण भी हिमस्खलन की घटना हो सकती है।
  • तात्कालिक कारणों के अतिरिक्त, जलवायु परिवर्तन भी भूस्खलन की घटनाओं में वृद्धि हुई है। जो मानव जनित कृत्यों का परिणाम है, 2011 से 2020 के मध्य वैश्विक तापमान में वृद्धि देखी गई है। जो हिमालयी बर्फ को पिघलने में मदद करता है।
  •  नम स्खलन- सर्दियों के अंत में जब दिन के तापमान में वृद्धि होती है, नम हिमस्खलन की घटनाओं में वृद्धि हो जाती है। नम हिमस्खलन लंबे समय तक ठोस हो जाने के कारण अधिक खतरनाक होते हैं। 
  • वनों की कटाई भी हिमस्खलन का कारण बनती है।

हिमस्खलन बचाव कार्य-  भारत में आपदा प्रबंधन का कार्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण करती है। जिसके तहत-

  • राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल NDRF
  • राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल SDRF
  • भारत तिब्बत सीमा पुलिस 
  • भारतीय सेना

चुनौतियाँ

  • हिमस्खलन जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान अब तक संभव नहीं हो पाया है, जिससे पहले से बचाव अभियान जारी करना संभव नहीं हो पाता।
  • हिमस्खलन की घटनाएं हिमानी पर्वतों में होती हैं जो विकास की दृष्टि से दुर्गम होने होती हैं। जिससे आपदा प्रबंधन की गतिविधियाँ काफी कठिन रहती हैं।
  • ये क्षेत्र पर्यटकों को बहुत आकर्षित करते हैं, हिमस्खलन जैसी आपदा के समय पर्यटक स्वयं को बचाने में असमर्थ महसूस करते हैं।
  • मौसम जनित हिमस्खलन में पर्यटकों की आवाजाही आपदा को भयानक बना सकती है।

सुरक्षात्मक उपाय

  • हिमालयी क्षेत्र जो भूकंप, भूस्खलन व हिमस्खलन जैसी घटनाओं के लिए संवेदनशील है अतः इन घटनाओं से निपटने के लिए स्थानीय निवासियों व पर्यटकों को प्रशिक्षण दिया जा सकता है। जिससे वे सहायता आने तक स्वयं की सहायता करने में सक्षम हों।
  • मौसम जनित हिमस्खलन(नम स्खलन) के समय पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगाई जा सकती है।
  • हिमस्खलन शमन दीवार का निर्माण किया जा सकता है।
  • हिमस्खलन की भविष्यवाणी संबंधी फोरकास्ट के लिए मौसम विज्ञान संस्थान को प्रोत्साहित किया जा सकता है, जिससे वे मौसम विज्ञान की सटीक भविष्यवाणी की तरह हिमस्खलन के पूर्वानुमान दे सकें।
  • हिमस्खलन संभावित क्षेत्रों में विकास क्रियाओं हेतु मशीनों व विस्फोटकों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। 

स्रोत

Yojna IAS daily current affairs hindi med 5th April 2023

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