नेपोलियन और रूस

नेपोलियन और रूस

नेपोलियन और रूस

संदर्भ- हाल ही में यूक्रेन के खिलाफ रूस की हार का आवाहन करने के बाद रूस ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन को रूस के विरुद्ध नेपोलियन की हार याद दिलाई।

नेपोलियन– 

नेपोलियन, यूरोप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। नेपोलियन, फ्रांस की क्रांति में सेनापति 11 नवंबर 1799 से 18 मई 1804 तक काउंसलर इसके बाद फ्रांस के सम्राट का पद ग्रहण किया। 1803-1817 तक लगभग 60 युद्ध उसके द्वारा लड़े गए। आगंभ में उसकी लगातार विजय हुई किंतु रूस के साथ उसके युद्ध (1812) के बाद फ्रांस का पतन होना प्रारंभ हो गया।

फ्रांस रूस युद्ध की पृष्ठभूमि

नेपोलियन के नेतृत्व में फ्रांस ने यूरोप के लगभग सभी देशों को जीत लिया था। फलतः फ्रांस को पराजित करने के लिए तृतीय गुट जिसमें इंग्लैण्ड, रूस  व ऑस्ट्रिया जैसे देश थे, का उद्भव हुआ। इन प्रयासों को निष्फल करने के लिए नेपोलियन ने इंग्लैण्ड व ऑस्ट्रिया पर आक्रमण किया। ऑस्ट्रिया, जिसे रूस का समर्थन प्राप्त था, को पराजित किया किंतु इंग्लैण्ड की नौसेना से ट्रफलगार के युद्ध में पराजित हो गया। अब तृतीय गुट में केवल इंग्लैण्ड व रूस शेष थे जो नेपोलियन के विरुद्ध थे। 

8 जनवरी 1807 को नेपोलियन व रूस की सेना को मध्य आइलो नामक स्थान पर युद्ध हुआ, जिसे फ्रीडलैण्ड का युद्ध भी कहा जाता है। 14 जून 1807 को फ्रांस की सेना ने रूस को पराजित कर दिया। और 8 जुलाई 1807 को फ्रांस, रूस व प्रशा के मध्य टिलसिट की संधि हुई।

टिलसिट की संधि-

  • अपने प्रभाव के विस्तार के लिए फ्रांस को पश्चिमी क्षेत्र व रूस को पूर्वी क्षेत्र प्राप्त हुआ। इसमें रूस को तुर्की व फिनलैण्ड की ओर राज्य विस्तार की छूट प्राप्त हुई।
  • रूस को तुर्कों से छीनी गया बैसरेविया और दक्षिण पूर्व स्थित तुर्की के अधिकृत क्षेत्र भी रहने दिए गए।
  •  ग्रांड डची का अधिकांश क्षेत्र रुस को प्राप्त हो गया।
  • फ्रांस, रूस से कोई युद्ध क्षतिपूर्ति नहीं लेगा।
  • रूस के सम्राट जार अलैक्जेंडर ने, नेपोलियन द्वारा निर्मित राज्यों को मान्यता दे दी।.
  • जार ने रूस व इंग्लैण्ड के मध्य मध्यस्थता करने का वचन दिया। इंग्लैण्ड द्वारा समझौता करने में सहयोग न करने पर रूस फ्रांस के साथ मिलकर इंग्लैण्ड के विरुद्ध युद्ध करेगा।
  • डेनमार्क, स्वीडन व पुर्तगाल पर भी इंग्लैण्ड से युद्ध करने के लिए दबाव डाला जाएगा।
  • नेपोलियन तुर्की व रूस में परस्पर मतभेदों के निवारण में भागीदारी करेगा, तुर्की के सहयोग न करने की स्थिति में तुर्की साम्राज्य को विभाजित कर हस्तगत कर लिया जाएगा।
  • नेपोलियन की महाद्वीपीय नाकाबंदी को रूस द्वारा समर्थन देना।

नेपोलियन का पुनः रूस पर आक्रमण – महाद्वीपीय नाकाबंदी के कारण रूस की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँच रहा था। 1810 में रूस के जार ने फ्रांस के एकमात्र विरोधी इंग्लैण्ड के साथ मुक्त व्यापार शुरु किया। जिस कारण नेपोलियन ने अपनी आर्मी के 6 लाख सैनिकों को जार के विरुद्ध युद्ध करने के लिए भेजा। किंतु आक्रमण असफल रहा।

रूस के समक्ष नेपोलियन की असफलता के कारण

नेपोलियन को अपनी विश्वविजेता आर्मी पर भरोसा था, उसने 6 लाख की आर्मी को रूस आक्रमण करने हेतु भेजा। किंतु रूस की सेना ने कूटनीति से काम लिया और सेना पीछे हट गई। जिससे फ्रांसीसी सैनिकों को अधिक दूरी तय करने के लिए संघर्ष करना पड़ा, युद्ध क्षेत्र तक पहुँचने तक उनकी खाद्य सामग्री समाप्त हो चुकी थी। और स्थानीय क्षेत्र से खाद्य प्राप्त करने के लिए जार ने फसलों को जला दिया था। रूस के सड़कों की हालत बेहद खराब होने के कारण वे सामग्री प्राप्त करने में असमर्थ थे। 

नेपोलियन के सैनिक भूख, थकान व अतिसार जैसे रोगों से पीड़ित होने लगे। जब तक फ्रांसीसियों ने मास्को पर कब्जा किया तब तक 2 लाख से अधिक फ्रांसीसी सैनिक मर चुके थे व इससे भी अधिक सैनिक अस्पतालों में भर्ती में हो चुके थे।

भूख व रोगों के अतिरिक्त रूस की ठण्ड फ्रांसीसी सैनिक सहन न कर पाए ऐसे में लाखों सैनिक व घोड़ों की मृत्यु हो गई। फ्रांसीसी सैनिकों का संघर्ष रूस के सैनिकों से पहले परस्पर घोड़ों के मांस के लिए होता था। स्थिति भयानक हो गई थी।  

नेपोलियन की किसी भी वार्ता में जार ने सहयोग न दिया जिस कारण नेपोलियन को फ्रांसीसी सैनिकों को वापस लौटने का आदेश देना पड़ा। इसे फ्रांस की असफल विजय भी कहा जाता है।

असफलता के परिणाम

रूस पर नेपोलियन की असफल विजय ने शेष यूरोप को उसके विरुद्ध एकजुट कर दिया। 1813 में, ऑस्ट्रिया, प्रशा, रूस, स्पेन, यूनाइटेड किंगडम, पुर्तगाल, स्वीडन और कई जर्मन राज्य अपनी सेना में शामिल हो गए और फ्रांस के खिलाफ युद्ध में चले गए। यह छठे गठबंधन के युद्ध के रूप में जाना जाता है, नेपोलियन की हार के साथ समाप्त हुआ। जिसके बाद नेपोलियन निर्वासन में चला गया।

वह 1815 में फ्रांस में थोड़े समय के लिए सत्ता में लौटे, लेकिन सातवें गठबंधन के युद्ध के दौरान वाटरलू की लड़ाई हारने के बाद उन्हें दूसरी बार अपना सिंहासन छोड़ना पड़ा। नेपोलियन को अटलांटिक के दूरस्थ द्वीप सेंट हेलेना में निर्वासित कर दिया गया था, जहां 1821 में उसकी मृत्यु हो गई।

स्रोत

Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 20th Feb

इण्डियन एक्सप्रैस

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