पोन्नियन सेल्वन

पोन्नियन सेल्वन

पोन्नियन सेल्वन

संदर्भ- हाल ही में कल्कि कृष्णमूर्ति द्वारा रचित पोन्नियन सेल्वन नामक तमिल उपन्यास पर आधारित फिल्म थिएटर्स पर पहुँच चुकी है। फिल्म पर भारत के महान चोल साम्राज्य के राजकुमार का विवरण दिया गया है।

पोन्नियन सेल्वन- तमिल भाषा में पोन्नि को कावेरी नदी के लिए इंगित किया गया है। और सेल्वन का अर्थ होता है पुत्र। पोन्नियन सेल्वन का शाब्दिक अर्थ है कावेरी का पुत्र। कल्कि कृष्णमूर्ति ने अपने उपन्यास में यह उपमा चोल राजकुमार अरिमोलिवर्मन को दी है।

अरिमोलिवर्मन- नवी शती में चोलों के अंधकारमय इतिहास में फिर से चोल साम्राज्य की सत्ता स्थापित करने का कार्य तो विजयालय ने किया किंतु चोल साम्राज्य को फिर से प्रतिष्ठा दिलाने का कार्य परांतक द्वितीय के पुत्र अरिमोलिवर्मन ने किया। अरिमोलिवर्मन 985 ई. में राजाराज प्रथम के नाम से गद्दी पर बैठा और साम्राज्य विस्तार कर सम्पूर्ण दक्षिण का वैभवशाली राजा बनकर उभरा।

राजराज प्रथम की उपलब्धियाँ-

साम्राज्य विस्तार

  • सर्वप्रथम उसने केरल के राजा रविवर्मन को परास्त किया।
  • तिरुवालगाडु ताम्रपत्र से उसके पाण्ड्य राजा अमरभुजंग राजा को परास्त करने के प्रमाण मिलते हैं।
  • राजराज ने केरल, पाण्ड्य व सिंहल के संघ को तोड़ने के लिए सिंहल पर भी आक्रमण किया तथा सिंहल राजा महेंद्र पंचम को परास्त कर अनुराधापुरम को ध्वस्त कर दिया।
  • सिंहल विजय के बाद उसने मैसूर के पश्चिमी गंगों को जीता, कर्नाटक के एक लेख में उसे चोल नारायण कहा गया है, जो उसके मैसूर विजय की पुष्टि करता है।
  • कल्याणी के चालुक्यों पर विजय, जिसका उल्लेख तिरुवालंगाडु, करंदै और होट्टर अभिलेखों में मिलता है, इस विजय में चोलों को अतुल सम्पदा प्राप्त हुई थी।
  • राजराज ने वेंगी के चालुक्यों के गृहयुद्ध का लाभ उठाकर वेंगी के राजकुमारों को शरण दी। तथा वेंगी की गद्दी में बैठे चोडभीम को पराजित कर राजकुमार शक्तिवर्मन को राजगद्दी देकर वेंगी को संरक्षित राज्य बना लिया।
  • इसमें सिंहल, मालदीव तथा दक्षिण भारत को पराजित कर विशाल चोल साम्राज्य की प्रतिष्ठा स्थापित की।

प्रशासन व्यवस्था

  • चोल प्रशासन केंद्रीय प्रशासन था। केंद्र प्रशासन का प्रमुख राजा होता था। साम्राज्य मण्डल में बँटा था, मण्डल, वलनाडु में और इसी प्रकार वलनाडु , नाडु में विभाजित था। प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी।   
  • विभिन्न मण्डलों में योग्य मंत्रियों की नियुक्ति की।
  • सुनियोजित नौसेना का गठन किया, जिससे उसने सिंहल व मालदीव जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को पराजित किया।
  • भूमि मापन के अनुसार उचित कर निर्धारण करवाया।
  • सोने, ताँबे व चांदी के सिक्के जारी किए जो उसके राज्य की सम्पन्नता को प्रदर्शित करते हैं।

कला व साहित्य-

वह शिव का अनन्य भक्त था उसने राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया। जिसे वृहदेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। यह चोल स्थापत्य कला सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है। यह ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित द्रविड़ शैली का विशाल मंदिर है। 

भारत में ऐतिहासिक कहानियों पर आधारित फिल्म- समाज और सिनेमा एक दूसरे के पूरक हैं जो एक दूसरे से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते। भारतीय इतिहास के योद्धाओं को भारतीय सिनेमा ने बखूबी निर्देशित किया गया है।

  • भारतीय इतिहास पर आधारित फिल्मों में प्रथम फिल्म राजा हरिशचन्द्र थी। यह पहली मूक फिल्म होने के साथ पहली ऐतिहासिक फिल्म थी। अतः भारतीय सिनेमा का प्रारंभ ही भारतीय ऐतिहासिक साहित्य पर आधारित था।
  • इसी प्रकार मध्यकालीन इतिहास पर प्रकाश डालती सिकंदर व रजिया सुल्ताना जैसी भारतीय फिल्में मध्यकालीन इतिहास व समाज को समधने में मदद करती है।
  • इसी प्रकार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रभावित करती गांधी, द लिजेंड ऑफ भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर प्रकाश डालती हैं। 
  • वर्तमान में भारतीय इतिहास के योद्धाओं पर प्रकाश डालती फिल्में बनाई जा रही हैं, जो पारंपरिक भारतीय इतिहास लेखन में छूट गए हैं, इन फिल्मों में भारतीय योद्धाओं के साथ इतिहास में भारतीय नारियों की स्थिति को भी उकेरा जा रहा है। जैसे- पद्मावत, मणिकर्णिका : झांसी की रानी और पोन्नियन सेल्वन।
  • चोल साम्राज्य में महिलाओं की स्थिति-
  1. चोल साम्राज्य में उच्च वर्गीय महिलाएं देवी के समान पूजनीय थी। 
  2. समाज में देवदासी प्रथा प्रचलित थी। जिसका उल्लेख अरब यात्री अबुजैद अल हसन ने किया है।
  3. समाज में निम्न वर्गीय महिलाओं की स्थिति का स्तर गिर गया था।

 

स्रोत-https://indianexpress.com/article/explained/ponniyin-selvan-focus-on-the-cholas-rule-8190064/

http://www.patnacollege.org/pdf/apr2020

https://www.google.com/url?sa=i&url=https%3A%2F%2Ftimesofindia.indiatimes.com

 

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