18 May प्रधानमंत्री की हिरोशिमा यात्रा
प्रधानमंत्री की हिरोशिमा यात्रा
संदर्भ- भारत के प्रधानमंत्री जी 7 शिखर सम्मेलन के लिए हिरोशिमा की यात्रा कर रहे हैं। भारत के प्रथम पोखरण परीक्षण के बाद भारत के किसी भी प्रधान मंत्री द्वारा यह प्रथम जापान यात्रा है। इसके बाद देश के प्रधानमंत्री FIPIC में शामिल होंगे, यह भारतीय प्रधानमंत्री की पापुआ न्यू गिनी में पहली यात्रा होगी।
हिरोशिमा की त्रासदी-
- हिरोशिमा, जापान में स्थित एक नगर है। यह इतिहास में परमाणु बम त्रासदी के लिए जाना जाता है।
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर(1945) में परमाणु बम गिराया था।
- परमाणु बम के कारण सम्पूर्ण शहर नष्ट हो गया था जिसका प्रभाव आज भी जापान में देखने को मिलता है।
- इस विभीषिका के बाद जापान में परमाणु हथियारों के निषेध से संबंधित नीति अपनाई।
जापान की परमाणु अप्रसार नीति
- 1945 में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा पर गिराए बम के विनाशकारी प्रभाव के कारण जापान ने 1968 में परमाणु अप्रसार नीति पर हस्ताक्षर किए थे तथा यह 1970 में प्रवर्तन में आय़ा।
- अप्रसार नीति देशों को परमाणु ऊर्जा का प्रयोग हथियार के रूप में न करने के लिए प्रेरित करती है।
- अप्रसार नीति को 190 देशों ने स्वीकार किया है।
- नीति को स्वीकार करने वाले देशों में 5 देशों के पास नाभिकीय ऊर्जा वाले हथियार हैं।
- इस नीति में भारत, इजराइल, पाकिस्तान, दक्षिणी सूडान और उत्तर कोरिया देश शामिल नहीं हैं।
परमाणु अप्रसार नीति के मुख्य बिंदु
- परमाणु अस्त्र सम्पन्न राज्य, अस्त्र विहीन राज्यों को परमाणु प्रशिक्षण व तकनीक न दें।
- निरस्त्रीकरण नीति
- परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग
अप्रसार नीति में भारत
- भारत, अप्रसार नीति को भेदभाव मूलक मानता है।
- भारत के अनुसार, अप्रसार नीति में शस्त्रों के उपयोग पर रोक नहीं लगाई गई है। इसके कारण परमाणु हथियार रहित देशों के साथ भेदभाव हो सकता है।
- संधि के अनुच्छेद 1 में परमाणु हथियार सम्पन्न राज्यों को परमाणु के उपयोग व निर्माण को वैध माना है। जो परमाणु हथियार विहीन राज्यों के साथ भेदभाव को दर्शाता है। इसके द्वारा केवल 1967 में परमाणु शक्ति से सम्पन् राज्यों के पास ही परमाणु हथियार होंगे। जिससे वे अन्य देशों की शक्ति को कमजोर कर सकते हैं।
- नीति को अस्वीकार करने का एक कारण यह भी है कि 1962 में भारत चीन युद्ध में भारत की अत्यधिक अपमानजनक हार के बाद सीमा सुरक्षा के लिए परमाणु हथियारों को भारत के लिए आवश्यक माना जाने लगा।
भारत प्रशांत द्वीप सहयोग फोरम समिट
- इस सम्मेलन में भारत और 14 प्रशांत द्वीप समूह देश शामिल हैं। FIPIC को 2014 में प्रारंभ किया गया था।
- प्रशांत द्वीप समूह -फिजी, पापुआ न्यू गिनी, टोंगा, तुवालु, किरिबाती, समोआ, वानुअतु, नीयू, माइक्रोनेशिया के संघीय राज्य, मार्शल आइलैंड्स गणराज्य, कुक आइलैंड्स, पलाऊ, नाउरू और सोलोमन इस्लैंडस।
- इस समिट का उद्देश्य शिखर सम्मेलन नेताओं को भारत-प्रशांत क्षेत्र में विकास के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करने और मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत के लिए अपनी दृष्टि को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।
जी 7 देश
- जी 7 की स्थापना 25 मार्च 1973 को की गई थी।
- यह सात देशों का समूह है- कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका आदि।
- इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा, वैश्विक आर्थिक शासन और ऊर्जा नीति से संबंधित मामलों पर चर्चा कर उनका समाधान करना है।
- यह संगठन, दुनियां की अर्थव्यवस्था का 62% कवर करते हैं।
- जी 7 सम्मेलन प्रेसीडेंसी के द्वारा आयोजित किया जाता है और सदस्य राज्य बारम्बारता से इसकी अध्यक्षता करते हैं।
- जर्मनी में लीडर्स समिट के दौरान G7 देशों ने आधिकारिक रूप से ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (PGII) के लिए पार्टनरशिप लॉन्च की।
जी 7 और भारत
- 2019 में रूस ने चीन, तुर्की और भारत को संगठन में शामिल करने के लिए समर्थन किया था।
- 2020 में अमेरिका ने भी भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील व दक्षिण कोरिया को शामिल करने के लिए समर्थन किया था।
- इस वर्ष भारत को जापान ने इस समिट में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था।
yojna daily current affairs hindi med 18th May 2023
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