02 Mar प्रवर्तन निदेशालय और भारत का संघीय स्वरुप
स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।
सामान्य अध्ययन – भारत की राजनीति और शासन व्यवस्था , भारत का संघीय स्वरुप , केंद्र – राज्य संबंध, प्रवर्तन निदेशालय, धन शोधन , काला धन ,धन शोधन कानून, 2002, बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम 2016, मद्रास उच्च न्यायालय , उच्चतम न्यायालय , केंद्र – राज्य संबंध।
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में भारत के उच्चतम न्यायालय ने भारत के केंद्रीय कानूनों के तहत तमिलनाडु राज्य को प्रवर्तन निदेशालय के जांच में सहयोग के लिए तमिलनाडु के कर्तव्य को रेखांकित करते हुए अपना फैसला सुनाया है।
- भारत के उच्चतम न्यायालय ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसके अनुसार पहले जिला कलेक्टरों को जारी समन स्थगित कर दिए गए थे।
- भारत के उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा जारी समन के पालन के लिए जिला कलेक्टर बाध्य हैं।
- हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तमिलनाडु के कलेक्टरों को बुलाकर यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि तमिलनाडु राज्य में अवैध बालू खनन भ्रष्टाचार के चलते है या इससे ‘हासिल धन’ का शोधन किया जा रहा है।
- धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) ईडी को विभिन्न राज्यों में पुलिस द्वारा पंजीकृत अपराधों के धन शोधन के पहलू की जांच करने की इजाजत देता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि, अनियंत्रित खनन के के आधार पर सरकारी खजाने को संभावित नुकसान के आकलन का ईडी का प्रयास उसके अधिकार-क्षेत्र में है।
- भारत के उच्चतम न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को ‘कानून की बिल्कुल गलत समझ’ बताया था। उसने जांच के लिए जरूरी कोई रिकॉर्ड पेश करने या सबूत देने के लिए किसी भी व्यक्ति को तलब करने की ईडी की शक्ति से जुड़ी पीएमएलए की धारा 50 का हवाला दिया है।
- भारत के उच्चतम न्यायालय ने इस बात का जिक्र किया कि प्रवर्तन निदेशालय की जांच तमिलनाडु में दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्टों पर आधारित है और इस मामलों में कुछ धाराएं पीएमएलए के तहत अनुसूचित अपराध हैं।
- भारत के उच्चतम न्यायालय ने मद्रास हाईकोर्ट के ‘‘विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत संघ’ (2022) मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पीएमएलए को सही ठहराने वाले निर्णय पर आधारित था को कोई महत्व नहीं दिया है ।
- भारत के केंद्र – राज्य संबंधों के अंतर्गत तमिलनाडु राज्य सरकार और संबंधित जिला कलेक्टरों ने केंद्रीय एजेंसी द्वारा राज्य की शक्तियों को ‘हथियाने’ और समनों की वैधता के खिलाफ रिट याचिकाएं दायर की थीं।
- मद्रास उच्च न्यायालय ने अपने 2022 के फैसले में कहा था कि ईडी मामलों को इस कल्पना या अपने धारणात्मक आधार पर, आगे नहीं बढ़ा सकती कि कोई अपराध हुआ है।
- अनुमति से अधिक या बिना किसी अनुमति के निकासी के जरिए, बेलगाम अवैध बालू खनन तमिलनाडु में काफी आम है।
प्रवर्तन निदेशालय :
- भारत में केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तन निदेशालय की स्थापना सन 1956 में किया गया था।
- यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन एक विशेष वित्तीय जांच एजेन्सी है जिसका मुख्यालय नयी दिल्ली में स्थित है।
- प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख कार्यों में; फेमा, 1999 के उल्लंघन से संबंधित मामलों, “हवाला” लेन देनों और विदेशी विनिमय नियमों का उल्लंघन और फेमा के तहत अन्य प्रकार के उल्लंघन से संबंधित मामलों की जांच करना शामिल है।
- भारत में धन शोधन पहले विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 के नियमों के तहत कार्यवाही करता था लेकिन बाद में इसे फेरा को फेमा के द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया था।
प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालय की संरचना :
- भारत में प्रवर्तन निदेशालय के कुल 10 क्षेत्रीय कार्यालय है। इन क्षेत्रीय कार्यालयों में से प्रत्येक क्षेत्रीय कार्यालय में एक उप – निदेशक होते हैं और इनका 11 उप – क्षेत्रीय कार्यालय हैं, जिनमें से प्रत्येक उप – क्षेत्रीय कार्यालय का नेतृत्व एक सहायक निदेशक करता है।
भारत में प्रवर्तन निदेशालय के क्षेत्रीय कार्यालयों के नाम निम्नलिखित है –
- मुंबई
- दिल्ली
- चेन्नई
- कोलकाता
- चंडीगढ़
- लखनऊ
- कोचीन
- अहमदाबाद
- बैंगलोर
- हैदराबाद
प्रवर्तन निदेशालय के मुख्य कार्य :
प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख कार्य निम्नलिखित है –
भारत में प्रवर्तन निदेशालय फेमा के प्रावधानों के तहत संदिग्ध मामलों के उल्लंघन से संबंधित मामलों की जांच करता है। भारत में संदिग्ध मामलों के उल्लंघन से संबंधित मामलों में निम्नलिखित मामलों को शामिल किया गया है –
- निर्यात मूल्य को अधिक आंकना और आयात मूल्य को कम आंकना।
- हवाला के तहत किया गया लेनदेन।
- भारत के बहार विदेशों में संपत्ति को खरीदना।
- विदेशी मुद्रा का भारी मात्रा में अवैध रूप करना से संग्रह करना।
- विदेशी मुद्रा का अवैध रूप से व्यापार करना।
- विदेशी विनिमय नियमों का उल्लंघन और फेमा के तहत अन्य प्रकार के उल्लंघन से संबंधित मामला।
- भारत में प्रवर्तन निदेशालय (ED) सबसे पहले फेमा के 1999 के कानूनों के तहत उल्लंघन किए जाने वाले मामले के संबंध में खुफिया जानकारी एकत्र करता है, और फिर उसे भारत में उस मामले से संबंधित एजेंसियों के साथ उसे साझा करता है। भारत में प्रवर्तन निदेशालय को केंद्र और उस राज्य से संबंधित की खुफिया एजेंसियों के माध्यम से शिकायतों आदि से खुफिया और गुप्त जानकारी प्राप्त होती है।
- भारत में प्रवर्तन निदेशालय के पास फेमा के उल्लंघन के दोषी पाए गए दोषियों की संपत्ति को कुर्की करने या जब्त करने का अधिकार है।
- धन शोधन अधिनियम [धारा 2 (1) (D)] के अध्याय III के तहत “संपत्ति की कुर्की” का अर्थ है – संपत्ति की जब्ती, संपत्ति का अन्य व्यक्ति को हस्तांतरण करना या रूपांतरण करना और उक्त संपति को बेचने पर रोक लगाना शामिल है।
- धन शोधन अधिनियम के तहत इस नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ; खोज, जब्ती, गिरफ्तारी, और अभियोजन की कार्रवाई आदि करना भी शामिल है।
- मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के अंतर्गत धन शोधन के अपराधी के हस्तांतरण के लिए संबंधित राज्यों से कानूनी रूप से प्रत्यार्पण करवाना और . इसके अलावा अपराधियों के हस्तांतरण से संबंधित कार्यवाही पूरी करना शामिल है ।
- भारत में प्रवर्तन निदेशालय (ED)को भारत में पूर्व के FERA कानून 1973 और उसके बाद FEMA, 1999 के उल्लंघन के मामलों को निपटाने और निपटान कार्यवाही के समापन पर लगाए गए दंड का निर्णय करने का अधिकार प्राप्त है।
- इस प्रकार प्रवर्तन निदेशालय (ED) की स्थापना के मुख्य उद्येश्यों में शामिल है कि देश में मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करना जिसमें उनकी संपत्ति जब्त करना शामिल है।
धन शोधन / मनी लॉन्ड्रिंग का अर्थ :
- ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ शब्द की उत्पत्ति संयुक्त राज्य अमेरिका में माफिया समूह से उत्पन्न हुई थी. माफिया समूहों ने जबरन वसूली, जुआ इत्यादि से भारी मात्रा में कमाई की और इस पैसे को वैध स्रोत (जैसे लाउन्डोमेट्स) के रूप में दिखाया गया था। संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 1980 के दशक में मनी लॉन्ड्रिंग एक चिंता का विषय बन गया था।
- भारत में, “मनी लॉन्ड्रिंग” को लोकप्रिय रूप में हवाला लेनदेन के रूप में जाना जाता है. भारत में यह सबसे ज्यादा लोकप्रिय 1990 के दशक के दौरान हुआ था जब इसमें कई नेताओं के नाम उजागर हुए थे।
- मनी लॉन्ड्रिंग का तात्पर्य अवैध तरीके से कमाए गए काले धन को वैध तरीके से कमाए गए धन के रूप में दिखाने से होता है। मनी लॉन्ड्रिंग अवैध रूप से प्राप्त धनराशि को छुपाने का एक तरीका है।
- धन शोधन के माध्यम से प्राप्त धन को ऐसे कामों या ऐसे निवेश में लगाया जाता है कि जाँच करने वाली एजेंसियां भी धन के मुख्य स्त्रोत का पता नही लगा पातीं है।
- अवैध तरीके से प्राप्त धन शोधन की प्रक्रिया में जो व्यक्ति धन की हेरा फेरी करता है उसको “लाउन्डरर” कहा जाता है।
- धन शोधन की प्रक्रिया में अवैध माध्यम से कमाया गया काला धन सफ़ेद होकर अपने असली मालिक के पास वैध मुद्रा के रूप में लौट आता है।
धन शोधन की प्रक्रिया में निम्नलिखित तीन चरण शामिल होते हैं –
- प्लेसमेंट (Placement)
- लेयरिंग (Layering)
- एकीकरण (Integration)
प्लेसमेंट (Placement) :
- धन शोधन की प्रक्रिया में पहले चरण के अंतर्गत नकदी के बाजार में आने से है। इसमें लाउन्डरर अवैध तरीके से कमाए गए धन को वित्तीय संस्थानों जैसे बैंकों या अन्य प्रकार के औपचारिक या अनौपचारिक वित्तीय संस्थानों में नकद रूप में जमा करता है।
लेयरिंग (Layering) :
- धन शोधन की प्रक्रिया में दूसरा चरण ‘लेयरिंग’ धन छुपाने से सम्बंधित है. इसमें लाउन्डरर लेखा किताब में गड़बड़ी करके और अन्य संदिग्ध लेनदेन करके अपनी असली आय को छुपा लेता है। लाउन्डरर, धनराशि को निवेश के साधनों जैसे कि – बांड, स्टॉक, और ट्रैवेलर्स चेक या विदेशों में अपने बैंक खातों में जमा करा देता है. यह खाता अक्सर ऐसे देशों की बैंकों में खोला जाता है जो कि भारत की मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी अभियानों में सहयोग नही करते हैं।
एकीकरण (Integration) :
- धन शोधन की प्रक्रिया का अंतिम चरण एकीकरण का है। इस प्रकिया के माध्यम से भारत के बाहर भेजा पैसा या देश के अन्दर में ही खपाया गया पैसा वापस लाउन्डरर के पास वैध धन के रूप में आ जाता है। ऐसा धन अक्सर किसी कंपनी में निवेश या अचल संपत्ति खरीदने या लक्जरी सामान खरीदने आदि के माध्यम से अपने मूल मालिक के पास वापस आ जाता है।
धन शोधन में शामिल की गई गतिविधियाँ :
- धन शोधन करने के कई तरीके हो सकते हैं जिनमे सबसे महत्वपूर्ण है – “ फर्जी कंपनी बनाना ” जिन्हें “ शैल कंपनियां ” भी कहा जाता है।
- शैल कंपनियां एक वास्तविक कंपनी की तरह एक कम्पनी होती है लेकिन वास्तव में इसमें कोई संपत्ति नही लगी होती है और ना ही इनमें वास्तविक रूप में कोई उत्पादन कार्य ही होता है।
- ये शैल कंपनियां केवल कागजों पर ही अस्तित्व में होती हैं वास्तविकता में इसका कोई अस्तित्व नही होता है, लेकिन लाउन्डरर इन कंपनियों की बैलेंस शीट में बड़े – बड़े लेन – देनों को दिखाता है।
- लाउन्डरर इन कंपनियों कंपनी के नाम पर लोन लेता है और सरकार से टैक्स में छूट भी लेता है, लेकिन आयकर रिटर्न नही भरता है और इन सब फर्जी कामों के माध्यम से वह बहुत सा काला धन जमा कर लेता है।
- यदि कोई थर्ड पार्टी उसके वित्तीय अभिलेखों की जांच करना चाहती है, तो तीसरे पक्ष को धन के स्रोत और स्थान के रूप में जाँच को भ्रमित करने के लिए झूठे दस्तावेजों को दिखा दिया जाता है।
- मनी लॉन्ड्रिंग के अन्य तरीकों में शामिल है – किसी बड़े मकान, दुकान या मॉल को खरीदना लेकिन कागजों पर उसकी कीमत कम करके दिखाना जबकि उस खरीदी गयी संपत्ति की वास्तविक बाजार कीमत कहीं ज्यादा होती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि उसे सरकार को कम ‘ कर ’ देना पड़े. इस प्रकार ‘ कर चोरी ’ के माध्यम से भी काला धन जुटाया जाता है।
- धन शोधन का एक अन्य तरीका यह होता है जब लाउन्डरर कई माध्यमों से अपना धन ऐसे देशों के बैंकों में जमा करा देता हैं जहाँ उसके खाते की जाँच का अधिकार भारत सरकार या किसी अन्य देश की सरकार को नही होता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्विट्ज़रलैंड है जहाँ पर बड़ी संख्या में भारतीयों का काला धन जमा है जो कि धन शोधन करके कमाया गया है।
भारत में धन शोधन के लिए धन शोधन कानून, 2002 :
- भारत में धन शोधन कानून, 2002 में अधिनियमित किया गया था, लेकिन इसमें 3 बार संशोधन (2005, 2009 और 2012) किया जा चुका है। वर्ष 2012 में इसमें हुए आखिरी संशोधन को जनवरी 3, 2013 को राष्ट्रपति की अनुमति मिली थी और यह कानून 15 फरवरी 2013 से पूरे भारत लागू हो गया था। पीएमएलए (संशोधन) अधिनियम, 2012 ने अपराधों की सूची में धन को छुपाना (concealment), अधिग्रहण (acquisition) कब्ज़ा (possession) और धन का आपराधिक कामों में उपयोग करना (use of proceeds of crime) इत्यादि को शामिल किया गया है।
- PMLA, 2002 में आरबीआई, सेबी और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) को पीएमएलए के तहत लाया गया है और इसलिए इस अधिनियम के तहत के सभी प्रावधान सभी वित्तीय संस्थानों, बैंकों, म्यूचुअल फंडों, बीमा कंपनियों और उनके वित्तीय मध्यस्थों पर लागू होते हैं।
बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम 2016 :
- इस अधिनियम ने मूल अधिनियम बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 में संशोधन किया और इसका नाम बदलकर बेनामी संपत्ति लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 1988 कर दिया।अधिनियम ने बेनामी लेनदेन को एक लेन देन के रूप में परिभाषित किया गया है जहाँ:एक संपत्ति किसी व्यक्ति के पास होती है या उसे हस्तांतरित की जाती है लेकिन किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रदान या भुगतान की जाती है। फर्जी नाम से किया गया लेन – देन मालिक को संपत्ति के स्वामित के बारे में जानकारी नहीं होती है, संपत्ति के लिए दावा प्रस्तुत करने वाला व्यक्ति जाँच करने योग्य नहीं होता है।
अपीलीय न्यायाधिकरण :
- इस अधिनियम में न्याय निर्णायक प्राधिकारी द्वारा पारित किसी भी आदेश के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई के लिए एक अपीलीय न्यायाधिकरण का प्रावधान है।
- अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में भी अपील की जा सकती है।
- विशेष न्यायालय को शिकायत दर्ज करने की तारीख से छह महीने के भीतर मुकदमे की सुनवाई पूरी करनी होगी।
निष्कर्ष / आगे की राह :
- धन शोधन की प्रक्रिया काफी जटिल और चालाकी भरी है जिसको रोकने के लिए भारत सरकार को ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से भुगतान के लिए भारत में वित्तीय इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करना चाहिए।
- भारत में धन शोधन के खिलाफ वर्तमान में ऐसे कानून है कि यह भारत के संघीय स्वरुप और संघीय सिद्धांतों के संभावित उल्लंघन के रूप में हमारे सामने आता है। भारत में धन शोधन के खिलाफ कानूनों को और अधिक कठोर , पारदर्शी और न्यायसंगत बनाने की जरूरत है ताकि भारत में काले धन को संग्रह करने के खिलाफ रोक लगाया जा सके।
- प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के द्वारा तमिलनाडु के कलेक्टरों को तलब करने के पीछे जो भी वजह रहा हो , किन्तु यह भारत के प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के स्वतंत्र अस्तित्व और उसकी निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है। अतः यह आवश्यक है कि भारत के प्रवर्तन निदेशालय को बिना किसी दबाव या गलत मंशा के बगैर उसे अपना कार्य स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से करना चाहिए ।
- भारत के विभिन्न राज्यों द्वारा केंद्र में सत्तासीन सरकार द्वारा अपने राजनीतिक विरोधियों द्वारा शासित राज्यों के खिलाफ केन्द्रीय जाँच एजेंसियों का दुरुपयोग करने , विपक्षी राजनीतिक दलों को डराने या पक्षपाती होने का आरोप लगाया जाता रहा है। ऐसी परिस्थिति में केन्द्रीय जाँच एजेंसियों को भी निष्पक्ष , स्वतंत्र और तटस्थ रहने की जरूरत है और भारत के संविधान द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र के तहत प्राप्त शक्तियों को बिना किसी पक्षपात एवं निष्पक्ष रूप से क्रियान्वित करने की जरूरत है ताकि भविष्य में भारत में केंद्र – राज्य संबंधों के बीच गतिरोध की स्थिति उत्पन्न नहीं हो।
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. प्रवर्तन निदेशालय के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- भारत में केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तन निदेशालय की स्थापना सन 1996 में किया गया था।
- यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन एक विशेष वित्तीय जांच एजेन्सी है जिसका मुख्यालय कोलकाता में स्थित है।
- भारत में प्रवर्तन निदेशालय के कुल 29 क्षेत्रीय कार्यालय है।
- भारत में प्रवर्तन निदेशालय के पास फेमा के उल्लंघन के दोषी पाए गए दोषियों की संपत्ति को कुर्की करने या जब्त करने का अधिकार है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
(A) केवल 1 और 3
(B) केवल 2
(C) केवल 3 और 4
(D) केवल 4
उत्तर – (D)
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत के प्रवर्तन निदेशालय की संरचना और मुख्य कार्यों को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि क्या भारत में केंद्र – राज्य संबंधों के तहत किसी भी केन्द्रीय जाँच एजेंसी का दुरूपयोग करना भारत के लोकतांत्रिक स्वरुप के अनुकूल है ? तर्कसंगत व्याख्या कीजिए।

Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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