प्राथमिक कृषि साख समितियाँ

प्राथमिक कृषि साख समितियाँ

प्राथमिक कृषि साख समितियाँ

संदर्भ- हाल ही में आए बजट ने ग्रामीण स्तर पर सहकारी कृषि ऋण समितियों को 2500 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया है। जो त्रिस्तरीय सहकारी ऋण संरचना में अंतिम कड़ी के रूप में कार्य करती है।

केंद्रीय बजट ने आगामी 5 वर्षों में 63000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों(PACS) के कम्प्यूटरीकरण के लिए 2516 करोड़ की राशि आबंटित करने की घोषणा की है। जिसका उद्देश्य उनके संचालन में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही लाना और उन्हें अपने व्यवसाय में विविधता लाने और गतिविधियाँ करने में सक्षम बनाना है।

प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ PACS –

  • PACS ग्राम स्तर की सहकारी समितियाँ हैं जो राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंकों की अध्यक्षता वाली त्रि स्तरीय सहकारी ऋण संरचना में अंतिम कड़ी के रूप में कार्य करती है।
  • इसके द्वारा देश के छोटे व मध्यम किसानों को कृषि गतिविधियों के लिए कृषि ऋण आबंटित किया जाता है।
  • भारत में ऐसी पहली कृषि समिति का गठन 1904 में किया गया था।
  • देश में सभी संस्थाओं द्वारा दिए गए केसीसी ऋणों में पैक्स का हिस्सा 41% का है। 
  • फसल चक्र प्रारंभ होने से पूर्व बैंक पैक्स के लिए ऋण जारी करते हैं, जो फसल की बुआई, बीज आदि के लिए आबंटित किए जाते हैं।

पैक्स की विशेषताएं

  • न्यूनतम कागजी कार्यवाही से ऋण प्राप्त किया जा सकता है।
  • न्यूनतम ब्याज – बैंक इस ऋण को 7 % ब्याज पर देते हैं जिसमें केंद्र सरकार द्वारा 3% और राज्य सरकार द्वारा 2% की सब्सिडी दी जाती है। अतः किसानों को केवल 2% ब्याज पर ऋण उपलब्ध हो जाता है।
  • असंगठित क्षेत्रों को मजबूत करना- ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब किसान साहूकारों से ऋण लेते हैं और उनके चंगुल में फंस जाते हैं। इस असंगठित क्षेत्रों को इसके द्वारा कम किया जा सकता है।
  • कम अथवा मध्यम अवधि के लिए ऋण प्रदान किए जाते हैं। 

पैक्स के कार्य

  • पैक्स के सदस्यों के आर्थिक हितों को बढ़ावा देता है।
  • किसानों की बचत की आदतों को बढ़ावा देता है।
  • यह कृषि आदानों जैसे बीज, उर्वरक की आपूर्ति कराता है।
  • यह कृषि उत्पादों की बिक्री के लिए विपणन सुविधाएं उपलब्ध कराता है।
  • यह घरेलू आवश्यकताओं की आपूर्ति भी कराता है।

पैक्स का प्रबंधन

  • सामान्य निकाय एक प्रबंध समिति का चुनाव करता है जिसमें 5 से 9 सदस्य होते हैं।
  • समाज के कामकाज की देखभाल के लिए एक अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष का चुनाव किया जाता है। सभी पदाधिकारी मानद सेवा प्रदान करते हैं। 
  • आरबीआई ने प्रत्येक सोसायटी के खातों को बनाए रखने के लिए पूर्णकालिक भुगतान सचिव नियुक्त करने का निर्देश दिया है।
  • गाँव के सभी कृषक, खेतिहर मजदूर, कारीगर और छोटे व्यापारी समाज के सदस्य बन सकते हैं।
  • PACS विशेष समाज के आधार पर छोटे मूल्य प्रत्येक सदस्य को 10 रुपये और 50 रुपये के साधारण शेयर जारी करता है।
  • शेयरों का स्वामित्व धारक के अधिकार और समाज के प्रति दायित्वों को तय करता है

पैक्स के लिए चुनौतियाँ

आंतरिक चुनौतियाँ

  • आंतरिक नियंत्रण प्रणाली में शिथिलता
  • कमजोर प्रबंधन सूचना पर्णाली
  • कर्मचारियों के रुचि व भागीदारी में कमी
  • ऋणग्राही की अनुचित पहचान
  • सरकारी एजेंसियों के साथ पर्याप्त तालमेल का अभाव
  • ऋण स्वीकृति में देरी
  • ऋण का दुरुपयोग आदि

बाह्य चुनौतियाँ

  • नीतिगत माहौल में बदलाव
  • आर्थिक स्थिति में परिवर्तन
  • तकनीकि में बदलाव
  • राजनीतिक हस्तक्षेप
  • सरकार के अधीन लक्ष्य केंद्रित कार्यक्रम
  • कानूनी प्रक्रिया
  • पारदर्शिता की कमी
  • पेशेवर प्रबंधन की कमी
  • गैर सरकारी व सदस्य शिक्षा की कमी

आगे की राह- 

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  • पैक्स को आधुनिक तकनीकि से जोड़कर इसके नियंत्रण प्रणाली को मजबूत किया जा सकता है। इसके डिजीटलीकरण द्वारा पैक्स की कार्यप्रणाली में अधिक पारदर्शिता लाई जा सकती है।
  • सरकार के लक्ष्यों में कृषि को प्राथमिकता देना पैक्स व किसानों के लिए लाभप्रद हो सकता है।

स्रोत

इण्डियन एक्सप्रैस

https://globaljournals.org/GJMBR_Volume17/4-Role-of-Primary-Agricultural.pdf

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