प्रारंभ मिशन

प्रारंभ मिशन

प्रारंभ मिशन

संदर्भ- भारत का पहला निजी प्रक्षेपण यान लांच के लिए तैयार है, इसे श्री हरिकोटा के प्रक्षेपण केंद्र से 12 से 16 नवंबर के बीच लांच किया जाएगा। प्रारंभ नाम के मिशन में विक्रम एस अपनी उपकक्षीय उड़ान में तीन उपग्रहों को ले जाएगा।

प्रारंभ मिशन

यह मिशन भारत के अंतरिक्ष में निजी क्षेत्र का प्रथम मिशन है। यह मिशन कंपनी को अपने सिस्टम का परीक्षण करने के लिए मदद करेगा। 

विमान की गति- उपकक्षीय विमान, कक्षीय वेग से धीमी गति से प्रचालित होते हैं। अतः यह अंतरिक्ष में पर्याप्त वेग से पहुँच सकते हैं किंतु पृथ्वी के चारों ओर चक्कर चलाने के लिए इनकी गति बहुत धीमी होती है।

उपग्रह का वजन- इस मिशन में तीन उपग्रह डिजाइन किए जा रहे हैं। 290 व 560 किग्रा वजन के उपग्रहों को ध्रुवीय कक्षाओं में ले जाने के लिए ठोस व क्रायोजेनिक ईंधन का प्रयोग किया जा रहा है। इसकी तुलना में भारत का पीएसएलवी 1750 किग्रा तक के उपग्रहों को ऐसी कक्षाओं में ले जाने में सक्षम है।

उपग्रह लांच कंपनी- 

  • निजी उपग्रह मिशनों के लिए, इसरो के सबसे भारी प्रक्षेपण यान मार्क III ने 36 वनवेब उपग्रहों को लॉन्च किया (भारत की भारती एक हितधारक है)। अंतरिक्ष एजेंसी कंपनी के लिए 36 उपग्रहों का एक और बेड़ा भी लॉन्च करेगी। इसके अलावा, अंतरिक्ष एजेंसी ने छात्रों द्वारा बनाए गए कम से कम चार उपग्रह भी लॉन्च किए हैं।
  • स्काईरुट अपना रॉकेट लांच करने वाली पहली कंपनी होगी। 
  • स्काई रुट के साथ अंतरिक्ष क्षेत्र में कार्य कर रही अन्य कंपनी ग्निकुल कॉसमॉस के सेमी-क्रायोजेनिक एग्निलेट इंजन का परीक्षण मंगलवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (TERLS), तिरुवनंतपुरम में वर्टिकल टेस्टिंग फैसिलिटी में 15 सेकंड के लिए किया गया था। 
  • इसरो के छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) के भी जल्द ही निजी कंपनियों द्वारा निर्मित और संचालित किए जाने की संभावना है।

अंतरिक्ष में निजी क्षेत्र की भूमिका

  • इसरो केंद्र से वित्त पोषित है जिसका वार्षिक बजट 14-15 हजार करोड़ होता है जो अंतरिक्ष क्षेत्र में रक्षा के लिए बहुत कम है, अतः निजी क्षेत्र का अंतरिक्ष क्षेत्र में आना महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
  • अब तक इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र का योगदान अंतरिक्ष के पुर्जे बनाने तक सीमित था।
  • इसका उद्देश्य निजी उद्योगों को रॉकेट व सैटेलाइट के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन देना है। संयुक्त राष्ट्र, रूस व यूरोप आदि देशों में बोइंग, स्पेसएक्स, एयर बस, वर्जिन गैलेक्टिक आदि निजी क्षेत्रों में प्रमुख हैं।
  • यह वास्तव में भारत की रक्षा प्रणालियों और विनिर्माण को बढ़ावा दे सकता है। 

प्रक्रिया- बीएचईएल एक ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी रॉकेट) के निर्माण के लिए विभिन्न कंपनियों का एक संघ बनाएगा और इसरो पहले वाहन को वित्तपोषित करेगा, जो प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए होगा। सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र मे अधिक से अधिक निजी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक नए संगठन भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन व प्राधिकरण केंद्र को मंजूरी दी है।

भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन व प्राधिकरण केंद्र शैक्षिक अनुसंधान सहित निजी क्षेत्र की जरुरतों की जानकारी रखने व इसरों की सहायता से इनकी आवश्यकताओं को समायोजित करने के तरीकों का पता लगाता है।

अंतरिक्ष क्षेत्र मे भारतीय निजी उद्योंगों की भागीदारी- 

  • वर्तमान भारत में रॉकेट व उपग्रह प्रक्षेपण के निर्माण का एक बड़ा हिस्सा निजी क्षेत्र द्वारा सम्पन्न किया जाता है।
  • तेजी से बढ़ती वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारतीय उद्योगो की हिस्सेदारी 3% है। इस पूरे बजट का 2 प्रतिशत रॉकेट व उपग्रह प्रक्षेपण के लिए उपयोग किया जाता है।
  • भारतीय उद्योगों के पास अमेरिकी कंपनी स्पेसएक्स जैसी तकनीकि सुविधाएँ नहीं हैं। भारत के भीतर भी अंतरिक्ष आधारित सेवाओं जैसे मौसम विज्ञान, कृषि विज्ञान में इसकी मांग बढ़ रही है और वर्तमान में इसरो उसकी आपूर्ति करने में असमर्थ है।
  • वर्तमान में इसरो के सर्वाधिक संसाधनों की आपूर्ति नियमित गतिविधियों द्वारा की जाती है। जिससे इसके रणनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति होने में देरी होती है।

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के निजी क्षेत्र के लिए भारत सरकार के प्रयास-

  •  न्यू स्पेस इण्डिय़ा लिमिटेड की स्थापना- इसका मुख्य उद्देश्य इसरो द्वारा विकसित की गई प्रौद्योगिकी का उपभोक्ताओं में विपणन करना या उद्योगों को प्रौद्योगिकी हस्तानांतरित करना है। सरकार का यह प्रयास भारतीय उद्योगों को उच्च प्रौद्योगिकी युक्त गतिविधियों को करने हेतु सक्षम बनाने के लिए किया गया है।
  • भारतीय अंतरिक्ष संघ की स्थापना(ISpA)- इस संगठन में सरकारी निकाय जैसे इसरो के साथ निजी क्षेत्र के निकाय भारती एयरटेल की वन वेब, टाटा समूह की नेल्कॉम, एलएंडटी, मैपमाईइंडिया की भागीदारी है। इसका गठन भारत सरकार ने अंतरिक्ष आधारित वाणिज्यिक क्षेत्र में भारत को शीर्ष स्थान पर लाने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर किया गया है। 

स्रोत-

https://indianexpress.com/article/upsc-current-affairs/upsc-essentials/upsc-essentials-one-word-a-day-prarambh-the-space-mission-8257706/

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