प्रेस का राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव

प्रेस का राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव

प्रेस का राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव

संदर्भ – हाल ही में केंद्र सरकार ने मलयालम समाचार चैनल मीडिया वन के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया था। केंद्र सरकार के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लाइसेंस के नवीनीकरण की मंजूरी से इंकार किया है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को नवीनीकरण से जोड़ने के फैसले को रद्द किया है। इसके साथ ही में केंद्र सरकार ने केरल उच्च न्यायालय के फैसले को भी रद्द कर दिया है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय में प्रेस की लोकतंत्र में भूमिका पर प्रकाश डाला गया।

लोकतंत्र में प्रेस की भूमिका-

  • भारत में प्रेस या मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है।
  • प्रेस राज्य व केंद्र सरकार के कार्य पर प्रकाश डालती है, तथा जनता को कठोर तथ्यो से अवगत कराती है। 
  • प्रेस लोगों को प्रत्येक स्थिति की जानकारी से अवगत कराता है ताकि लोग उचित निर्णय ले सकें।
  • यह लोगों को लोकतंत्र के बारे में शिक्षित कर जनता को जागरुक करता है जिससे जनता सरकार को सुझाव देने व नई नीतियों की आवश्यकताओं से अवगत करा सकें। 

संविधान में प्रेस की स्वतंत्रता

  • रोमेश थापर बनाम मद्रास राज्य केस के अनुसार किसी भी लोकतंत्र की नीव, प्रेस की स्वतंत्रता पर आधारित है।
  • संविधान के अनुच्छेद 19 में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लेख किया गया है। अतः भारत में विचारों की अभिव्यक्ति एक मौलि अधिकार है।
  • भारतीय प्रेस परिषद अधिनियम की धारा 4 में भी प्रेस की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। और सरकार सहित किसी भी अन्य प्राधिकरण द्वारा हस्तक्षेप करने पर, प्रेस उस संबंध में टिप्पणी कर सकती है। 

प्रैस की स्वतंत्रता के दुरुपयोग से बचाव

संविधान के अनुच्छेद 19(2) में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध भी लगाया गया है जैसे-

  • भारत की सुरक्षा व संप्रभुता को नुकसान
  • राष्ट्रविरोधी या मानहानि
  • विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध पर प्रभाव
  • सार्वजनिक व्यवस्था, शिष्टाचार या सदाचार पर प्रभाव
  • न्यायालय की अवमानना।

 केबल टेलीविज़न नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत सभी चैनलों को प्रोग्राम कोड का पालन करना आवश्यक है।

सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 डिजीटल समाचार प्रकाशकों के लिए कार्यक्रमों के संचालन में इस आचार संहिता का पालन आवश्यक होगा।

राष्ट्रीय सुरक्षा- राष्ट्रीय सुरक्षा से अभिप्राय देश की सुरक्षा से है, इसके अंतर्गत संस्थाओं, नागरिकों व राष्ट्र की अर्थव्यवस्था की सुरक्षा आती है। राष्ट्र की सुरक्षा को सरकार का कर्तव्य समझा जाता है जिसके आधार पर सरकार ने मीडिया वन के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाया था। 

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980

यह एक निवारक अधिनियम है। इसके तहत-

  • वह व्यक्ति को दोषी पाया जाएगा जो भारत की विदेशी क्रियाकलापों को प्रभावित करती है।
  • किसी विदेशी व्यक्ति द्वारा भारत की सुरक्षा संबंधी मामलों या किसी भी मामलों जिसमें देश के हितों को प्रभावित किया जा रहा हो, को दोषी मानकर प्रतिबंधित किया जाएगा।
  • अधिनियम के तहत यदि केंद्र या राज्य सरकार संतुष्ट है कि किसी व्यक्ति या समूह द्वारा केंद्र या राज्य के लोकप्रशासन को प्रभावित किया जा रहा है तो वे उसे प्रतिबंधित करने की शक्ति रखते हैं।

प्रेस का राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव- 

  • अत्य़धिक लाभ कमाने की प्रेरणा से प्रेस का दुरुपयोग
  • सोशल मीडिया के प्रचार से भ्रामक सूचनाओं की बढ़ोतरी।
  • भड़काउ भाषणों से समाज में हिंसा जैसी गतिविधियों की बढ़ोतरी
  • युद्ध की स्थिति में सैनिकों का मनोबल कम करने की कोशिश की जा सकती है।
  • विदेशी उत्पादों के प्रचार और देशी उत्पादों के दुष्प्रचार से देश की आर्थिक व्यवस्था पर प्रभाव डाल सकते हैं।

आगे की राह

  • प्रैस की स्वतंत्रता के अधिकार को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़े जाने के लिए ठोस आधार दिया जा सकता है।
  • नागरिक अधिकारों को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधित मामलों में विवाद की स्थिति में दोनों अधिकारों का सम्मान करते हुए ही केंद्र या राज्य सरकार को प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए।
  • पत्रकारिता और सरकार हमेशा आमने सामने रहती हैं। जिससे कई बार पत्रकारिता की सुरक्षा दाव पर रहती है। पत्रकारों की सुरक्षा के लिए उपबंध किए जा सकते हैं।

स्रोत

Indian Express

live law

No Comments

Post A Comment