01 Dec प्रोजैक्ट ग्रेट इण्डियन बस्टर्ड
प्रोजैक्ट ग्रेट इण्डियन बस्टर्ड
संदर्भ- सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेट इण्डियन बस्टर्ड की सुरक्षा के लिए प्रोजैक्ट का सुझाव दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या प्रोजैक्ट टाइगर की तर्ज पर प्रोजैक्ट जीआईबी शुरु किया जा सकता है।
ग्रेट इण्डियन बस्टर्ड
- यह भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाला एक विशालकाय पक्षी है। इसे स्थानीय रूप से गोदावन व सोन चिरैया भी कहा जाता है।
- यह सबसे भारी उड़ने वाले पक्षियों में से एक है।
- यह अपने आवास के रूप में घास के मैंदानों को ही अधिक पसंद करते हैं।
- इनका भोजन कीड़े छिपकली व घास के बीज हैं।
- इन्हें एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का प्रमुख अंग माना जाता है।
- प्रारंभ में यह भारत के 11 राज्यों समेत पाकिस्तान में बी पाए जाते थे।
- वर्तमान में यह केवल राजस्थान व गुजरात में ही रह गए हैं।
वर्तमान स्थिति
- विश्व में इसकी कुल जनस्ख्या 200 है, सर्वाधिक बस्टर्ड का निवास स्थान भारत के राजस्थान राज्य में है।
- राजस्थान में डेजर्ट नेशनल पार्क, इसका संरक्षण सुनिश्चित करता है।
- गुजरात में यह अब्दासा और मांडवी के घास के मैंदानों में ये पाए जाते हैं।
- कच्छ के नलिया राष्ट्रीय उद्यान में इनकी संख्यामात्र 6 रह गई है।
- मध्य प्रदेश के करेरा राष्ट्रीय अभ्यारण्य में भी पाए जाते थे किंतु अब यहां से ये पक्षी विलुप्त हो गए हैं।
विलुप्तप्राय स्थिति के कारण
- मुगलों व अंग्रेजों क समय इसे स्वादिष्ट व्यंजन के रूप में प्रयोग किया जाता था।
- कृषि विस्तार व मशीनीकरण के कारण, घास के मैंदानों में आ रही कमी।
- ओवरहैड पावर ट्रांसमिशन लाइन
- पक्षियों का निकट दृष्टि दोष,जिससे वे दूर की बाधा को नहीं देख पाते।
संरक्षण के प्रयास
प्रोजैक्ट ग्रेट इण्डियन बस्टर्ड 2013- इसके द्वारा बस्टर्ड के लिए अन्य आवास का पता लगाने, मानव घुसपैठ को रोकने का प्रयास किया गया।
जीआईबी प्रजाति पुनर्प्राप्ति अभियान 2015– इसमें डब्ल्यूआईआई और राजस्थान ने संयुक्त रूप से प्रजनन केंद्र स्थापित किए।
सुप्रीम कोर्ट का 2021 का आदेश- आदेश के अनुसार राजस्थान व गुजरात में जीआईबी के निवास के समीप सभी स्थलों में ओवरहैड वायर को भूमिगत किया जाए।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा एक शमन योजना प्रारंभ करना अनिवार्य किया गया। जैसे- बिजली कंपनियाँ उनका रखरखाव करती रहेंगी, जिससे पक्षियों को नुकसान न हो।
प्रवासी प्रजातियों का कन्वेंशन- ग्रेट इण्डियन बस्टर्ड को भारत द्वारा प्रस्ताव रखने पर प्रवासी प्रजाति कन्वेंशन के परिशिष्ट 1 में रखा गया है।
भारतीय वन्यजीव अधिनियम 1972 की सूची में सूचीबद्ध है, जिसमें जीवों की सुरक्षा के प्रावधान हैं।
भारत सरकार द्वारा इनके संरक्षण के प्रति जागरुकता बढ़ाने हेतु एक स्टाम्प भी जारी किया गया।
गुजरात के गांधीनगर में आयोजित CMS COP13 के शुभंकर के लिए ग्रेट इण्डियन बस्टर्ड को चुना गया।
संरक्षण में चुनौतियाँ
प्राकृतिक चुनौती-
- ग्रेट इण्डियन बस्टर्ड का औसत जीवन काल 15 -16 वरष ही होता है, इसके साथ ही इनके जीवन में प्रजनन काल क समय भी 3-4 वर्ष का ही होता है जिससे इनकी जनसंख्या का विस्तार करना प्राकृतिक रूप से विषम है।
- जंगली जानवरों से इन्हें सुरक्षित रख पाना एक अन्य चुनौती है।
अन्य चुनौतियाँ-
- समय रहते इनके संरक्षण में अनदेखी, जैसे विलुप्तप्राय होने के बाद भी राज्यों की पक्षियों के संरक्षण को लेकर प्रतिबद्धता का अभाव।
- पक्षियों का अवैध शिकार।
स्रोत
https://www.wwfindia.org/about_wwf/priority_species/threatened_species/great_indian_bustard/
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