फुजियान

फुजियान

चीन द्वारा अपने पहले नई पीढ़ी के स्वदेशी विमान-वाहक पोत (Indigenous Aircraft Carrier), टाइप 003, फुजियान (Type 003, Fujian) का अनावरण किया गया ।

  • चीन अमेरिका के बाद अब  सबसे अधिक विमान-वाहक पोत वाला देश है।
  • इस विमान-वाहक पोत का नाम फुजियान चीन के पूर्वी तटीय प्रांत के नाम पर रखा गया है जो ताइवान के पास स्थित है।
  • चीन द्वारा संचालित दो अन्य वाहकों शेड़ोंग (टाइप 001) और लियाओनिंग (टाइप 002) के साथ फुजियान को शामिल किया गया, शेडोंग (टाइप 001) को वर्ष 2019 में कमीशन किया गया तथा दूसरा लियाओनिंग (टाइप 002), जिसे वर्ष 1998 में यूक्रेन से सेकेंड-हैंड खरीदा गया।
    • शेडोंग और लियाओनिंग की तुलना में टाइप 003 विमान-वाहक पोत तकनीकी रूप से इन दोनों से अधिक उन्नत है।
  • फुजियान की विशेषताएँ:

    • फुजियान 80,000 टन के कुल भार के साथ चीनी वाहकों की तुलना में बहुत अधिक है और अमेरिकी नौसेना के विमान-वाहक पोतों के बराबर है।
    • फुजियान को  इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम (Electromagnetic Aircraft Launch System– EMALS) नवीनतम लॉन्च तकनीक से सुसज्जित किया गया है, जो सबसे पहले अमेरिकी नौसेना द्वारा विकसित किया गया था।
    • फुजियान में टेक-ऑफ और लैंडिंग हेतु एक सीधा फ्लैट-टॉप फ्लाइट डेक भी मौजूद है।
      • फुजियान में विमान के टेक ऑफ के लये दो मौजूदा जहाज़ स्की जंप-स्टाइल रैंप (Ski Jump-Style Ramp) मौजूद हैं। स्की-जंप एक ऊपर की ओर घुमावदार रैंप होता है जिसका उपयोग विमान द्वारा रनवे के रूप में किया जाता है तथा यह विमान के आवश्यक टेक-ऑफ रोल से छोटा होता है।
  • विमान का महत्त्व:

    • ताइवान को चीनी मुख्य भूमि से अलग करने वाले जलडमरूमध्य में शक्ति के प्रदर्शन के रूप में चीन ने नौसेना तैनात की चीन ने लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा किया है।
    • दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य में काम करने के लिये फुजियान के साथ चीन को और अधिक जगह मिलने की संभावना है।
    • हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की एक बड़ी उपस्थिति होने के बावजूद फुज़ियान की क्षमताएँ चीन को भारत के क्षेत्र में जाने का रास्ता प्रदान करती हैं, जहाँ चीन अपनी उपस्थिति बढ़ा रही है।
    • चीन ने रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका, राष्ट्र जिबूती में अपने नौसैनिक अड्डे का विस्तार किया, इससे पहले श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह को कर्ज के एवज में लीज़ के तौर पर हासिल कर लिया है, और चीन अरब सागर पर पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का आधुनिकीकरण कर रहा है।
    • वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका 11 परमाणु-संचालित जहाज़ों के साथ विमान वाहक के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी है, इसके बाद चीन, ब्रिटेन और इटली का स्थान है। इसके बावजूद चीन अपनी सैन्य शक्ति का निरंतर विस्तार कर रहा है परंतु फिर भी यू.एस. से बहुत पीछे है।

 

भारत में विमानवाहक पोत की स्थिति:

  • आईएनएस विक्रमादित्य:

    •  रूसी नौसेना के सेवामुक्त एडमिरल गोर्शकोव/बाकू से परिवर्तित युद्धपोत भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा विमान-वाहक पोत है।
    • आईएनएस विक्रमादित्य नवंबर 2013 में सेवा में अधिकृत किया गया था, यह एक संशोधित कीव-श्रेणी का विमान-वाहक पोत है।
    • यह एक कोणीय स्की-जंप के साथ शॉर्ट टेक-ऑफ लेकिन अरेस्ट रिकवरी या STOBAR तंत्र पर काम करता है।
      • STOBAR एक विमान वाहक के डेक से विमान के प्रक्षेपण और पुनर्प्राप्ति के लिए उपयोग की जाने वाली प्रणाली है, जो “कैटापल्ट-असिस्टेड टेक-ऑफ लेकिन गिरफ्तार रिकवरी” के साथ “शॉर्ट टेक-ऑफ और वर्टिकल लैंडिंग” के तत्वों को जोड़ती है। टेक-ऑफ में सहायता के लिए स्की-जंप का उपयोग करके अपनी शक्ति के तहत विमान का प्रक्षेपण किया जाता है।
  • आईएनएस विक्रांत:

    • आईएनएस विक्रांत, भारत का दूसरा विमान-वाहक पोत है, जिसे इस साल के अंत में चालू किया जाना है, विमान को लॉन्च करने के लिये CATOBAR प्रणाली का उपयोग करेगा।
    • आईएनएस विक्रांत के निर्माण ने भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया, जिनके पास अत्याधुनिक विमान-वाहक बनाने की क्षमता है।
    • भारतीय नौसेना के अनुसार, वह युद्धपोत मिग-29K लड़ाकू जेटकामोव-31 हेलीकॉप्टरMH-60R बहुभूमिका हेलीकॉप्टर और स्वदेशी रूप से निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (ALH) संचालित करेगा।

 

Yojna IAS Daily Current Affairs Hindi med 8th July

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