20 Oct बारबरा मेटकॉफ : सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार विजेता।
बारबरा मेटकॉफ : सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार विजेता।
संदर्भ- हाल ही में अमेरिकी इतिहासकार बारबरा मेटकॉफ को सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- यह पुरस्कार उन्हें दक्षिण एशियाई इतिहास व इस्लाम के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित कार्य के लिए दिया गया।
- पुरस्कार अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी द्वारा सर सैयद अहमद खां की 205 वी जयंती पर दिया गया।
बारबरी मेटकॉफ-
- मेटकॉफ ने स्नात्तकोत्तर अध्ययन के दौरान दक्षिण एशिया के उलेमा के इतिहास में रुचि विकसित की।
- मेटकॉफ ने कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय से अपनी पीएचडी की डिग्री पूर्ण की।
- उनका डॉक्टरेट शोध प्रबंध देवबंद के मुस्लिम धार्मिक विद्वानों या उलेमा के इतिहास पर था, जो 19 वीं शताब्दी के अंत में स्थापित उत्तर भारत में एक सुधारवादी धार्मिक मदरसा था।
- अमेरिकन हिस्टोरिकल एसोसिएशन के अनुसार, उलेमा के उर्दू लेखन पर उनके काम से पता चलता है कि वे “परंपरावादी” या “कट्टरपंथी” नहीं थे, जैसा कि अक्सर चित्रित किया जाता है, बल्कि एक अधिक जटिल बौद्धिक और संस्थागत दुनिया में रहते थे।
- उन्होंने तब्लीगी जमात पर भी काम किया है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न धार्मिक सुधार के अंतर्राष्ट्रीय सुन्नी मिशनरी आंदोलन है।
बारबरा एडन मेटकॉफ की पुस्तकें-
- इस्लाम इन साउथ एशिया इन प्रैक्टिस,
- अ कन्साइस हिस्टारी ऑफ मॉडर्न इंडिया,
- इस्लामिक कन्सैस्टेशन :ऐसे ऑन मुस्लिम इन इण्डिया एण्ड पाकिस्तान,
- इस्लामिक रिवाइवल इन ब्रिटिस इण्डिया : देओबंद(1860-1900)
- अ कंसाइज हिस्ट्री ऑफ मॉडर्न इंडिया
- अ कंसाइज हिस्ट्री ऑफ इंडिया
- मेकिंग मुस्लिम स्पेस इन नॉर्थ अमेरिका एंड यूरोप : वॉल्यूम 22
सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार क्या है-
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वार्षिक पुरस्कार प्रदान करता है। जिसे सर सैयद अहमद खां के जन्मदिवस पर आयोजित किया जाता है। पुरस्कार निम्न मुद्दों पर दिया जाता है-
- सर सैय्यद अहमद खां अध्ययन
- दक्षिण एशियाई अधिययन
- मुस्लिम मुद्दे
- साहित्य व मध्यकालीन इतिहास
- समाज सुधार
- साम्प्रदायिक क्षेत्र मेंं सद्भाव कार्य
- पत्रकारिता
- अंतर धार्मिक संवाद
सर सैयद अहमद खां-
सैयद अहमद कां का जन्म 17 अक्टूबर दिल्ली के सैयद परिवार में हुआ था। उन्होंने 1830 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी में लिपिक के पद पर कार्य किया। कुछ वर्षों के बाद 1841 में मैनपुरी में न्यायाधीश के पद पर कार्य किया। अपनी श्रेषअठ सेवाओं के कारण ब्रिटिस सरकार ने उन्हे ‘सर’ की उपाधि दी। 1857 की क्रांति के बाद मुस्लिम समाज सुधार के कार्यों में लिप्त हो गए-
अध्ययन केंद्रों की स्थापना-
- 1858 में मुरादाबाद में आधुनिक मदरसे की स्थापना की।
- 1863 में गाजीपुर में स्कूल की स्थापना की।
साइंटिफिक सोसायटी- इसकी स्थापना 1863 में की गई, इसके द्वारा-
- मुस्लिम समुदाय में वैज्ञानिक प्रवृत्ति उत्पन्न हो तथा भारतीयों को उनकी अपनी ही भाषा में पश्चिमी विज्ञान उपलब्ध कराया।
- पश्चिमी पुस्तकों का स्ठानीय भाषा में अनुवाद किया। अलीगढ़ अंस्टीट्यूट गजट समाज की पहली बहुभाषी पत्रिका थी जो 1866 में सर सैयद अहमद खां द्वारा प्रकाशित की गई थी।
- सुधारों के प्रति विरोध के बावजूद सर सैयद खां ने तहजीब-उल-अखलाक पत्रिका प्रकाशित की गई। मुस्लिम समाज सुधार के लिए यह एक महत्वपूर्ण पत्रिका थी।
यूरोपीय पद्धति के कॉलेज की स्थापना-
- अलीगढ़ में 1875 में मदरसतूलउलूम की स्थापना की, और कैम्ब्रिज व ऑक्सफोर्ड की तर्ज पर विश्वविद्यालय बनाने की योजना तैयार की। 7 जनवरी 1877 को मुहम्मडन एंग्लो ओरिएंटेड कॉलेज की स्थापना की गई।
- उनका उद्देश्य इस्लामी मूल्यों के साथ ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली का विश्वविद्यालय बनाना था।
- रुढ़िवादी विरोध के बावजूद 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।
स्रोत-
https://amu.ac.in/about-us/history
No Comments