13 Feb बौद्ध सर्किट और भारतीय पर्यटन
बौद्ध सर्किट और भारतीय पर्यटन
संदर्भ- हाल ही में 108 दक्षिण कोरियाई बौद्ध 43 दिन व 1100 किमी की पैदल तीर्थ यात्रा पर निकले हैं। इस यात्रा के माध्यम से कोरिया के साथ भारत के संबंधों में मधुरता आएगी । तथा बौद्ध सर्किट में प्रमुख लुंबिनी नेपाल में होने के कारण भारत नेपाल पर्यटन को लाभ होगा।
बौद्ध धर्म
भारत में बौद्ध धर्म की उत्पत्ति लगभग 2500 वर्ष पूर्व हुई, इस धर्म का विस्तार भारत से बाहर चीन, जापान, कोरिया, थाइलैण्ड, कम्बोडिया, नेपाल, भूटान और श्रीलंका आदि देशों तक है। प्राचीनकाल के गुप्तयुग में यह धर्म यवन(ग्रीक), अफगानिस्तान और अरब के कई हिस्सों में फैल गया था।
महात्मा बुद्ध से संबंधित स्थलों के बौद्ध अनुयायी पवित्र तीर्थ स्थलों की यात्रा करते हैं। 2016 में परिकल्पित सर्किट के अंतर्गत बुद्ध के जन्म से लेकर महापरिनिर्वाण जैसी घटनाओं तक का जीवन शामिल है।
बौद्ध सर्किट- गौतम बुद्ध के जीवन की यात्राओं से संबंधित पथ को बौद्ध सर्किट का नाम दिया गया है। बुद्ध ने व्यापक रूप से यात्रा कर ज्ञान प्रप्त किया था और इस ज्ञान का प्रसार करने के लिए अनेक यात्राएं की थी।
प्रमुख स्थल – लुम्बिनी, बोधगया, (कपिलवस्तु, कौशाम्बी, कुशीनगर) , (सारनाथ, श्रावस्ती, संकिसा)
लुम्बिनी- दक्षिणी नेपाल में स्थित यह क्षेत्र बुद्ध का जन्म स्थल है। मौर्य शासक अशोक ने वहां एक अभिलेख स्थापित करवाया। तीसरी शताब्दी ई.पू.से पाँचवी शताब्दी ई. तक के बौद्ध विहारों के अवशेष और तीसरी शताब्दी ई. पू. से 15 वी शताब्दी ई. तक बौद्ध स्तूपों के अवशेष प्राप्त हैं। वर्तमान में इसे एक बौद्ध तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
बोधगया- बोधगया में फल्गु नदी के तट पर महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। बोधगया को बौद्ध धर्म का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। यहाँ स्थित महाबोधि विहार को 2002 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। इस विहार में गौतम बुद्ध की बहुत बड़ी मूर्ति स्थापित है।
सारनाथ – महात्मा बुद्ध ने गया में ज्ञान प्राप्त करने के बाद यहाँ सारनाथ में अपना पहला धर्मोपदेश दिया था जिसे धर्मचक्र प्रवर्तन भी कहा जाता है। महान धमेख स्तूप और उसके खण्डहर अभी भी सारनाथ में मौजूद हैं। प्रसिद्ध अशोक स्तंभ, जिसके सिंह शीर्ष को भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में स्वीकार किया गया है, यहीं स्थापित है।
श्रावस्ती- बहराइच से मात्र 10 किमी की दूरी पर श्रावस्ती स्थित है। श्रावस्ती कोशल राज्य की राजधानी थी। यहाँ के लोग जो बौद्ध धर्म पर विश्वास नहीं करते थे। बुद्ध ने उन्हें चमत्कारों द्वारा प्रभावित किया। इस क्षेत्र में बुद्ध ने अपने जीवन के 27 वर्ष गुजारे।
संकिसा- फर्रुखाबाद जिले के एक गांव से संबंधित है। किवदंतियों के अनुसार बुद्ध अपनी मां को स्वर्ग में उपदेश देने के बाद संकिसा में अवतरित हुए थे। सम्राट अशोक ने यहां एक स्तंभ भी बनवाया था।
कपिलवस्तु – यह प्राचीन शाक्यों की राजधानी थी। जहाँ सिद्धार्थ (बुद्ध) के पिता शुद्धोधन ने राज किया था। यहाँ सिद्धार्थ का बाल्यकाल बीता जिस कारण इसे पवित्र माना जाता है। सिद्धार्थ का गृह त्याग और ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ का 12 वर्षों के बाद आगमन से संबंधित घटनाओं के लिए यह स्थल विशेष माना जाता है।
कौशाम्बी- प्रयागराज से मात्र 60 किमी की दूरी पर स्थित यह स्थल बुद्ध की शिक्षाओं के लिए प्रसिद्ध है। बुद्ध द्वारा दिए गए कई धर्मोपदेश के कारण यह स्थल बौद्धों के शिक्षा केंद्र के रूप में स्थापित हुआ। उत्खनन में यहाँ से की बुद्ध के प्राचीन प्रतीकों के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
कुशीनगर – गोरखपुर से लगभग 50 किमी की दूरी पर कुशीनगर स्थित हैं यह बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल के रूप में जाता जाता है। 1876 में किए गए अन्वेषम के दौरान यहाँ से प्राप्त बुद्ध की एक विशाल मूर्ति को महापरिनिर्वाण मंदिर में स्थापित किया गया है।
बौद्ध धर्म की भारत में वर्तमान स्थिति
सातवी शताब्दी के बाद भारत में बौद्ध धर्म का प्रभाव कम हो गया था। 19 वी शताब्दी के अंत में श्रीलंकाई बौद्ध नेता धर्मपाल ने ब्रिटिश विद्वानों की सहायता से बौद्ध धर्म की पुनर्स्थापना करने का प्रयास किया। और बौद्ध मंदिरों या विहारों का पुनर्निर्माण किया।
20 वी शताब्दी में अम्बेडकर ने नव बौद्ध आंदोलन शुरु किया। इसमें अछूतों को जातिगत भेदभाव से बचाने का प्रयास किया गया था। वर्तमान भारत में लगभग 2% बौद्ध अनुयायी हैं। वैश्विक दृष्टि से सर्वाधिक बौद्ध अनुयायियों वाला देश चीन और फिर जापान है।
धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भारत नेपाल संबंध
धार्मिक पर्यटन के रूप में भारत की कोई भी यात्रा नेपाल यात्रा के बिना पूर्ण नहीं मानी जाती, नेपाल के धार्मिक पर्यटन स्थल हैं जैसे- पशुपतिनाथ मंदिर, जनकपुरी, लुम्बिनी आदि। इनकी मान्यता उतनी ही पुरानी है जितना भारत का इतिहास।
- रामायण सर्किट- भारत नेपाल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए रामायण सर्किट में जनकपुर की यात्रा को उतनी महत्ता दी है जितनी अयोध्या को। इसके तहत जनकपुर अयोध्या बस का उद्घाटन किया गया था।
- अयोध्या के राम मंदिर मेंं मूर्ति के निर्माण हेतु नेपाल के शालिग्राम पत्थरों का प्रयोग किया जाना है।
- बौद्ध सर्किट- बौद्ध सर्किट का सबसे महत्वपूर्ण स्थल लुम्बिनी, जहाँ महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था प्रमुख बौद्ध तीर्थ है।
Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 13th Feb
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