ब्रह्मोस: संयुक्त उद्यम के 25 वर्ष

ब्रह्मोस: संयुक्त उद्यम के 25 वर्ष

सिलेबस: जीएस 3- विज्ञान और प्रोद्योगिकी 

संदर्भ-

  • भारत-रूस रक्षा संयुक्त उपक्रम ब्रह्मोस मिसाइल कार्यक्रम ने 25 वर्ष पूरे कर लिए हैं।

ब्रह्मोस के बारे में-

  • ब्रह्मोस का विकासब्रह्मोस कोर्पोरेशन के द्वारा किया जा रहा है। यह कम्पनी भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिशिया का सयुंक्त उपक्रम है।
  • इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है।
  • ब्रह्मोस संयुक्त उद्यम का गठन 1998 में किया गया था और मिसाइल का पहला सफल प्रक्षेपण 2001 में हुआ था।
  • कंपनी की स्थापना भारतीय पक्ष से 50.5% और रूसी पक्ष से 49.5% के साथ $250 मिलियन की अधिकृत पूंजी के साथ की गई थी।

प्रमुख बिन्दु-

चरण (Stage)-

यह दो चरणों वाली (पहले चरण में ठोस प्रणोदक इंजन और दूसरे में तरल रैमजेट) मिसाइल है।

  • इसका पहला चरण मिसाइल को सुपरसोनिक गति पर लाता है और फिर अलग हो जाता है।
  • तरल रैमजेट या दूसरा चरण तब मिसाइल को क्रूज चरण में ध्वनि की गति के तीन गुना करीब स्पीड प्रदान करता हैं।
  • यह “फायर एंड फॉरगेट/दागो और भूल जाओ” सिद्धांत पर काम करती है यानी लॉन्च के बाद इसे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती।

क्षमता (Capacity)- 

  • ब्रह्मोस एक मल्टीप्लेटफॉर्म मिसाइल है जिसे ज़मीन, हवा और समुद्र में बहुक्षमता वाली मिसाइल से सटीकता के साथ लॉन्च किया जा सकता है।
  • जो खराब मौसम के बावजूद दिन और रात दोनों में काम कर सकती है। और इसे लंबे समय से भारतीय सशस्त्र बलों में प्रयोग किया जा रहा है।
    • जहाज-आधारित संस्करण को 2005 में नौसेना में शामिल किया गया था, 2007 में सेना में भूमि-आधारित संस्करण, और 2020 में वायु सेना के वायु-लॉन्च संस्करण में शामिल किया गया था।

रेंज:-

  • ब्रह्मोस-2 की योजनाबद्ध परिचालन सीमा 290 किलोमीटर तक सीमित कर दी गई है क्योंकि रूस मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का एक हस्ताक्षरकर्ता सदस्य देश है, जो रूस को 300 किलोमीटर के ऊपर सीमाओं वाली मिसाइलों को विकसित करने में अन्य देशों की मदद से रोकता है।
  • जून 2016 में जब मिसाइल तकनीकी नियंत्रण और हस्तांतरण से जुड़े समूह मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) में भारत के शामिल होने के बाद इसकी रेंज में शुरुआत में सीमा को 450 किमी और बाद में 600 किमी तक बढ़ाने की योजना की घोषणा की गई थी।

गति (Speed)-

  • ब्रह्मोस मिसाइल सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइलों में से एक है जो वर्तमान में 8 मैक की गति जो ध्वनि की गति से लगभग 3 गुना है।

स्वदेशीकरण: (Indigenised)-

  • मिसाइलों में अब उच्च स्तर की स्वदेशी सामग्री को शामिल किया गया है और आयुध(ordnance) के विकास में भारतीय उद्योग की भागीदारी को अधिकतम करने के लिए कई प्रणालियों को भी स्वदेशी बनाया गया है।

नवीनतम घटनाक्रम (Latest developments)-

  • जनवरी 2023 में, रक्षा अधिग्रहण परिषद ने भारतीय नौसेना के लिए शिवालिक वर्ग के जहाजों और अगली पीढ़ी के मिसाइल वेसल्स (एनजीएमवी) के लिए ब्रह्मोस लॉन्चर और फायर कंट्रोल सिस्टम (एफसीएस) की खरीद की जाएगी।
  • जनवरी 2022 में, भारत के ब्रह्मोस और फिलीपींस एयरोस्पेस लिमिटेड ने फिलीपींस मरीन के लिए ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों की खरीद के लिए लगभग 375 मिलियन डॉलर का सौदा किया।
  • अप्रैल 2022 में भारतीय नौसेना तथा अंडमान और निकोबार कमांड द्वारा संयुक्त रूप सेब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के एक एंटी-शिप संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था।

निर्यात क्षमता (Export Potential)-

  • ब्रह्मोस परियोजना की शुरुआत के बाद से, इसे एक बड़े निर्यात अवसर के रूप में परिकल्पित किया गया है।
  • वर्षों से कई देशों ने मिसाइल में रुचि दिखाई है और मिसाइल विशेष रूप से दक्षिण अमेरिका, मध्य पूर्व, एशिया प्रशांत और अफ्रीकी क्षेत्रों से बहुत अधिक वैश्विक ध्यान आकर्षित कर रही है।
  • 2022 में इंडोनेशिया, सऊदी अरब और यूएई के साथ संभावित डील की खबरें आई थीं।

महत्व-

  • ब्रह्मोस संयुक्त उद्यम ने भारत को अपने सैन्य-औद्योगिक परिसर को विकसित करने में मदद की है।
  • फिलीपींस और ब्रह्मोस के बीच सौदा दुनिया के सबसे बड़े रक्षा निर्यातकों में से एक बनने के भारत के प्रयासों में एक मील का पत्थर है।
    • इसके अलावा, यह भारत के सार्वजनिक और निजी रक्षा क्षेत्रों की बढ़ती क्षमताओं को भी दर्शाता है।
  • यह देश को रक्षा क्षेत्र में रणनीतिक स्वायत्तता प्राप्त करने में मदद करता है, जो देश के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
  • ब्रह्मोस निर्यात कुछ हद तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेकिंग इन इंडिया, मेकिंग फॉर द वर्ल्ड’ के दृष्टिकोण को पूरा करने में मदद कर सकता है, जिससे 2025 तक 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रक्षा हार्डवेयर निर्यात लक्ष्य प्राप्त हो सकता है।
  • ब्रह्मोस मिसाइल भारत को पड़ोसियों के सामने रणनीतिक वायु शक्ति प्रदान करती है।

प्रतियोगी और चुनौतियां (Competitors and Challenges)-

  • दुनिया की सबसे प्रमुख क्रूज मिसाइलों में से एक टॉमहॉक है, जिसे अमेरिका द्वारा विकसित किया गया है। विशेष रूप से, यह सबसोनिक है और 0.8 मैक के आसपास गति  है।
    • इसकी रेंज लगभग 1,600 किमी है, जो ब्रह्मोस की तुलना में बहुत अधिक है, लेकिन इसकी गति इसे अपेक्षाकृत धीमी और कुछ हद तक इंटरसेप्ट करने में आसान बनाती है।
  • फ्रांसीसी अपाचे श्रृंखला की मिसाइलें भी एक प्रमुख क्रूज मिसाइल है, जिसकी शीर्ष गति 1 मैक है।
    • इसे फ्रांस के अलावा यूएई, ग्रीस, सऊदी अरब, ब्रिटेन और इटली ने शामिल किया है।
  • चीन ने YJ-1814 को 2014 में पीएलए में शामिल किया था। इसकी सीमा 220-540 किमी है और टर्मिनल चरण में सुपरसोनिक गति में तेजी लाने से पहले सबसोनिक गति पर क्रूज करता है।
  • रूसी पी -800 ओनिक्स एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसकी विशिष्टताएं कुछ हद तक ब्रह्मोस के समान हैं और 2.2 मैक की शीर्ष गति से उड़ती है।
  • ब्रह्मोस मिसाइल P-800 ओनिक्स से बहुत अलग नहीं है, इसकी कीमत दोगुनी है। इसे शायद रूस में एक अधिक विकसित सैन्य औद्योगिक आधार जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन की लागत अधिक हैं।

आगे का रास्ता-

  • ब्रह्मोस के अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत कम प्रतिस्पर्धी हैं और 2022 फिलीपींस सौदे से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के अतिरिक्त निर्यात को बढ़ावा मिलना चाहिए।
  • हालाँकि, भारत द्वारा रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक बाजार में स्थापित खिलाड़ियों के समान विपणन और प्रचार नेटवर्क को अधिक सक्रिय रूप से विकसित करने की आवश्यकता है।

मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR):-

  • मिसाइलों, मानव रहित हवाई वाहनों और संबंधित प्रौद्योगिकी अप्रसार में समान हितों वाले राज्यों का एक अनौपचारिक, गैर-संधि संगठन है जिसका उद्देश्य मिसाइल प्रौद्योगिकियों के प्रसार को सीमित करना है जिनका उपयोग रासायनिक, जैविक और परमाणु हमलों के लिए किया जा सकता है।
  • अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, एमटीसीआर गैर-एमटीसीआर सदस्यों को मिसाइलों और कुछ प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण को प्रतिबंधित करता है। भारत 2016 में इसका सदस्य बना था।

स्त्रोत- मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान 

 

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