19 Jan भारत – ब्रिटेन रक्षा संबंधों में एक नए चरण की शुरुआत
स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।
सामान्य अध्ययन – अंतर्राष्ट्रीय संबंध, अंतर्राष्ट्रीय संगठन, ब्रिटेन-भारत रक्षा सीईओ गोलमेज सम्मेलन., एशियाई विकास बैंक और विश्व व्यापार संगठन, ’जेनरेशन यूके-इंडिया कार्यक्रम ’ रक्षा एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा साझेदारी’, मुक्त व्यापार संधि ।
खबरों में क्यों ?
- हाल ही में भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और ब्रिटेन के रक्षामंत्री ग्रांट शाप्स लंदन में ब्रिटेन-भारत रक्षा सीईओ गोलमेज सम्मेलन में शामिल हुए थे। श्री सिंह ने कहा कि भारत ब्रिटेन के साथ सहयोग, सह-निर्माण और सह-नवाचार के लिए एक साझेदारी बढाना चाहता है, जिससे दोनों देश मिलकर बड़े काम कर सकते हैं। ब्रिटेन से निवेश और प्रौद्योगिकी सहयोग का स्वागत करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि भारत कुशल मानव संसाधन, एक मजबूत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और कारोबारी माहौल तथा एक बडे बाजार के साथ तैयार है क्योंकि भारत वर्ष 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने की राह पर आगे बढ़ रहा है। वहीं ब्रिटेन के रक्षामंत्री ग्रांट शाप्स के अनुसार दोनों देशों के संबंध सामान्य व्यापार संबंधों से परे हैं और दोनों देश का आपस में मूल रूप से एक रणनीतिक साझेदारी है।
भारत – ब्रिटेन संबंधों का नया अध्याय आरंभ :
- वर्तमान समय में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में भारतीय मूल के व्यक्ति ऋषि सुनक का होना, भारत और ब्रिटेन के लिए वैश्विक मुद्दों पर एक साथ मिलकर काम करने एवं द्विपक्षीय संबंधों हेतु रोडमैप 2030 को लागू करने का एक सुनहरा अवसर है।.
- भारत और ब्रिटेन के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते से आयात और निर्यात प्रवाह में वृद्धि, निवेश प्रवाह (बाहरी तथा आवक दोनों) में वृद्धि, संसाधनों के अधिक कुशल आवंटन के माध्यम से उत्पादकता में वृद्धि और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा के लिए अधिक खुलेपन से आर्थिक विकास एवं समृद्धि में वृद्धि होने की उम्मीद है।
- मुक्त व्यापार करार के तहत व्यापार में दो भागीदार देश आपसी व्यापार वाले उत्पादों पर आयात शुल्क में अधिकतम कटौती करते हैं, जिसका फायदा दोनों देशों को मिलता है. चूंकि भारत ने हमेशा से ब्रिटेन को यूरोपीय संघ के देशों के साथ व्यापार के मामले में एक ‘मुख्य द्वार’ के रूप में देखा है, ऐसे में मुक्त व्यापार समझौता न केवल ब्रिटेन बल्कि भारत के लिए भी फायदे का सौदा होगा।
- .ब्रिटेन ने 2004 में भारत के साथ एक रणनीतिक साझेदारी शुरू की थी । इस रणनीतिक साझेदारी के तहत ब्रिटेन आतंकवाद, परमाणु गतिविधियों और नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम में भारत के साथ है। अब यह ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक पर निर्भर करता है कि आपसी संबंधों की नई रणनीतिक साझेदारी को कितनी गंभीरता से लेते हैं. अगर ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ट्रेड समझौते के साथ-साथ माइग्रेशन और मोबिलिटी पार्टनरशिप समझौते पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाते हैं तो भारत के प्रशिक्षित लोगों को ब्रिटेन जाने और वहां नौकरी या व्यापार करने में आसानी होगी।
भारत – ब्रिटेन द्विपक्षीय संबंध का व्यापक संदर्भ :
- भारत और .ब्रिटेन (यूनाइटेड किंगडम) के बीच ऐतिहासिक संबंधों की एक आधुनिक और मजबूत साझेदारी रही हैं।
- बदलते समय के साथ भारत और ब्रिटेन के बीच के बहुआयामी द्विपक्षीय संबंध 2004 में हुए रणनीतिक साझेदारी समय के साथ और अधिक प्रगाढ़ और मजबूत ही हुए हैं ।
- ‘भारत- ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों के बीच एक नई और गतिशील साझेदारी के लिए संयुक्त रूप से वार्षिक शिखर सम्मेलन और नियमित बैठकों की परिकल्पना की गई है।
- रक्षा, परमाणु ऊर्जा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, नागरिकों की सुरक्षा आतंकवाद से मुकाबला, आर्थिक संबंध,, शिक्षा और संस्कृति भारत और ब्रिटेन के बीच के आपसी सहयोगात्मक संबंधों के महत्वपूर्ण क्षेत्र रहे हैं।
- ब्रिटेन, भारत का यूएनएससी में स्थायी सदस्यता के लिए भारत के प्रस्ताव का हमेशा से समर्थन करता रहा है और यूरोपीय संघ ( ईयू ),जी-8 और जी-20 समूहों के बीच वैश्विक संदर्भों में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण वार्ताकार भी रहा है।
भारत – ब्रिटेन संबंधों में नवीनतम विकास :
- भारत और यूके महत्वपूर्ण रणनीतिक प्रौद्योगिकियों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक अग्रणी साझेदारी बनाने के लिए बातचीत कर रहे हैं। इस प्रस्तावित साझेदारी में अर्धचालक, दूरसंचार, महत्वपूर्ण खनिजों और रणनीतिक निहितार्थ वाली अन्य प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है।
- दूरसंचार के क्षेत्र में 5G तकनीकी और अन्य महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करने वाली ब्रिटेन में स्थित अत्याधुनिक अनुसंधान सुविधाओं के साथ भारतीय कंपनियों को जोड़ने पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा।
- दोनों देशों के बीच अनुसंधान प्रतिभाओं को स्थानांतरित करने के लिए और इसकी गतिशीलता में और अधिक तीव्रता प्रदान करने के लिए मार्ग प्रशस्त करने की अत्यंत आवश्यकता है।
- भारत – ब्रिटेन के बीच हुए समझौते के तहत प्रमुख सहयोगों के रास्ते में आने वाली लालफीताशाही को दूर करेगा। यह जलवायु परिवर्तन और महामारी की तैयारियों से लेकर एआई और मशीन लर्निंग तक दुनिया के सामने आने वाले कुछ सबसे बड़े मुद्दों पर प्रगति प्रदान करने के उद्देश्य से नई संयुक्त अनुसंधान योजनाओं की शुरुआत करेगा।
- इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच विज्ञान पर त्वरित एवं गहन सहयोग को सक्षम करना है, जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास में मदद करना, कुशल कामगारों के लिए नौकरियां पैदा करना और ब्रिटेन और भारत के साथ ही साथ दुनिया भर के लोगों के जीवन – स्तर में सुधार करना है।
भारत – ब्रिटेन के बीच राजनीतिक संबंध :
- ब्रिटेन (यूनाइटेड किंगडम) का नई दिल्ली में एक उच्चायोग और मुंबई, चेन्नई, बैंगलोर, हैदराबाद और कोलकाता में पांच उप उच्चायोग हैं। वहीं भारत का भी लंदन में एक उच्चायोग और बर्मिंघम और एडिनबर्ग में दो वाणिज्य दूतावास हैं।
- भारत और ब्रिटेन के बीच इतिहास और संस्कृति से जुड़े मजबूत संबंध रहा हैं।
- ब्रिटेन में भारतीय प्रवासी देश के सबसे बड़े जातीय अल्पसंख्यक समुदायों में से एक है, 2011 की जनगणना के अनुसार ब्रिटेन में भारतीय मूल के लगभग 1.5 मिलियन लोग हैं, जो कुल आबादी का लगभग 1.8 प्रतिशत है और देश की जीडीपी में 6% का योगदान करते हैं।
- भारत और ब्रिटेन एशियाई विकास बैंक और विश्व व्यापार संगठन के भी सदस्य हैं।
- भारत के तीन राष्ट्रपतियों ने क्रमशः जून 1963 में सर्वपल्ली राधाकृष्णन, अक्टूबर 1990 में रामास्वामी वेंकटरमन, और 2009 में प्रतिभा पाटिल ने यूनाइटेड किंगडम का राजकीय दौरा किया था ।
- भारत के प्रधान मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी सहित भारतीय प्रधानमंत्रियों ने भी अपने कार्यकाल के दौरान ब्रिटेन का दौरा किए थे।
- नवंबर 1963, अप्रैल 1990 और अक्टूबर 1997 में यूनाइटेड किंगडम की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने भी भारत का राजकीय दौरा की थी।
- वर्ष 2004 में रणनीतिक साझेदारी के तहत प्रधान मंत्री स्तर पर यात्राओं का नियमित आदान-प्रदान हुआ है।
भारत – ब्रिटेन के बीच आर्थिक संबंध :
- आर्थिक और वाणिज्य मामलों को भारत- ब्रिटेन संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति, आर्थिक और वित्तीय वार्ता और भारत- यूके वित्तीय साझेदारी के संस्थागत संवादों के आधार पर निर्देशित किया जाता है।
- ब्रिटेन के व्यापार और अर्थव्यवस्था में भारत की बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने बहुत योगदान दिया है । 2019 तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार ब्रिटेन में भारतीय कंपनियों ने 48 बिलियन पाउंड से अधिक का उत्पादन किया था।
भारत और ब्रिटेन के बीच शैक्षणिक संबंध :
- वर्ष 2005 में शिक्षा और अनुसंधान पहल (यूकेआईईआरआई) यूनाइटेड किंगडम और भारत द्वारा उच्च शिक्षा और अनुसंधान, स्कूलों और पेशेवर एवं तकनीकी कौशल पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य के साथ शुरू की गई थी।
- शिक्षा पर संयुक्त कार्य समूह, न्यूटन-भाभा फंड और छात्रवृत्ति योजनाएं द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने के लिए दोनों देशों द्वारा की गई कुछ अन्य शैक्षणिक पहल हैं।
- भारत के केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई कौशल भारत मिशन का समर्थन यूके भी करता है और £12 मिलियन तक की नई प्रतिबद्धता की घोषणा किया है।
- नवंबर 2015 में भारत के प्रधान मंत्री की यूके यात्रा के दौरान, शिक्षा से संबंधित निम्नलिखित घोषणाएँ की गईं थी –
- 2016 को शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के यूके-भारत वर्ष के रूप में घोषित किया गया था।
- युवाओं को सक्षम बनाने के लिए स्कूल स्तर पर वर्चुअल साझेदारी शुरू की गई ताकि एक देश के लोग दूसरे देश की स्कूली शिक्षा प्रणाली का अनुभव कर सकें। इसके साथ ही साथ आपस में एक – दूसरे देश की संस्कृति, परंपराओं और सामाजिक और पारिवारिक प्रणालियों की समझ विकसित कर सकें।
- वर्ष 2020 तक यूनाइटेड किंगडम ‘’जेनरेशन यूके-इंडिया कार्यक्रम ’ के माध्यम से 25,000 यूके छात्रों को भारत भेजने की योजना है, जिसमें 2020 तक भारत में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के साथ 1000 यूके इंटर्नस भी शामिल हैं।
- यूके इंडिया एजुकेशन एंड रिसर्च इनिशिएटिव के तीसरे चरण का शुभारंभ भी किया जा चूका है ।
भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच सांस्कृतिक – संबंध :
- भारत और ब्रिटेन ने जुलाई 2010 में सांस्कृतिक सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है ।
- लंदन में 1992 में स्थापित नेहरू सेंटर (टीएनसी), ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग का सांस्कृतिक परिसर है। यह अपने परिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला का आयोजन करता है।
- भारत की आजादी के 70 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 14-15 अगस्त, 2017 की मध्यरात्रि में भारतीय उच्चायोग द्वारा लंदन में मिडनाइट फ्रीडम रन का आयोजन किया गया था।
भारत – ब्रिटेन रक्षा – संबंध :
- रक्षा क्षेत्र में सहयोग द्विपक्षीय सहयोग का एक और महत्वपूर्ण स्तंभ है। नवंबर 2015 में प्रधान मंत्री की यूके यात्रा के दौरान, दोनों देश रणनीतिक क्षेत्रों में क्षमता साझेदारी स्थापित करके अपने रक्षा संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ करने के मुद्दे पर सहमत हुए।
- भारत और ब्रिटेन दोनों ही देशों द्वारा तीनों सेनाओं के स्तर पर, तीनों सेनाओं के बीच संयुक्त अभ्यास और व्यापक आदान-प्रदान नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं।
- भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बाज़ार हिस्सेदारी और रक्षा दोनों ही विषयों में यूनाइटेड किंगडम के लिए एक प्रमुख रणनीतिक भागीदार है जो वर्ष 2015 में भारत तथा यूनाइटेड किंगडम के बीच ‘रक्षा एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा साझेदारी’ (Defence and International Security Partnership) पर हस्ताक्षर द्वारा रेखांकित भी हुआ। है।
- ब्रिटेन के लिये भारत के साथ सफलतापूर्वक FTA का संपन्न होना ‘ग्लोबल ब्रिटेन’ की उसकी महत्त्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देगा क्योंकि UK ‘ब्रेक्जिट’ (Brexit) के बाद से यूरोप से परे भी अपने बाज़ारों के विस्तार की आवश्यकता तथा इच्छा रखता है।
- ब्रिटेन एक महत्त्वपूर्ण वैश्विक अभिकर्त्ता के रूप में वैश्विक मंच पर अपनी जगह सुदृढ़ करने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र की विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में अवसरों का लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है।
- भारत के लिए. हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में यूनाइटेड किंगडम एक क्षेत्रीय शक्ति है क्योंकि इसके पास ओमान, सिंगापुर, बहरीन, केन्या और ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र में नौसैनिक सुविधाएँ हैं।
- यूनाइटेड किंगडम ने भारत में अक्षय ऊर्जा के उपयोग का समर्थन करने के लिये ब्रिटिश अंतर्राष्ट्रीय निवेश निधि के 70 मिलियन अमेरिकी डॉलर की भी पुष्टि की है, जिससे इस क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा बुनियादी ढाँचे के निर्माण एवं सौर ऊर्जा के विकास में मदद मिलेगी।
- भारत ने मत्स्य पालन, फार्मा और कृषि उत्पादों के लिये बाज़ार तक आसान पहुँच के साथ-साथ श्रम-गहन निर्यात के लिए शुल्क रियायत की भी मांग की है।
भारत – ब्रिट्रेन के बीच वर्तमान प्रमुख द्विपक्षीय मुद्दे :
भारतीय आर्थिक अपराधियों का प्रत्यर्पण :
- भारतीय आर्थिक अपराधियों का ब्रिटेन द्वारा प्रत्यर्पण का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है जो वर्तमान में ब्रिटेन की शरण में हैं और अपने लाभ के लिए विदेशी कानूनी प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं। भारतीय आर्थिक आपराधिक मामले, जिनमे प्रत्यर्पण करना शामिल है, दर्ज़ होने के बावजूद विजय माल्या, नीरव मोदी और अन्य अपराधियों ने लंबे समय से ब्रिटिश कानून व्यवस्था की शरण लिया हुआ है।
वाइट – ब्रिटिश नागरिकों की गैर-स्वीकृति :
- वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के विकास को वाइट ब्रिटेन द्वारा अस्वीकार करना, विशेष कर मीडिया द्वारा, यह भी भारत के लिए एक अन्य चिंता का कारण है।
- वर्तमान प्रधानमंत्री के नेतृत्त्व में भारत ने GDP के मामले में ब्रिटेन को पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में पीछे छोड़ दिया है और निरंतर आगे बढ़ रहा है।
- नस्ल के आधार या ब्रिटिश साम्राज्य की शाही विरासत के मामले में एक आधुनिक और आत्मविश्वासी भारत एवं एक ब्रिटिश औपनिवेशिक भारत के बीच कोई अंतर नहीं है।
भारतीय संसदीय – प्रणाली और ब्रिटिश – संसदीय प्रणाली में प्रमुख अंतर :
- ब्रिटेन में राज्य के प्रमुख (राजा या रानी) को वंशानुगत पद प्राप्त होता है ,जबकि भारत में राज्य का प्रमुख (राष्ट्रपति) चुना जाता है। भारत में ब्रिटिश राजतंत्रीय व्यवस्था के स्थान पर एक गणतांत्रिक व्यवस्था है।
- ब्रिटिश प्रणाली संसद की संप्रभुता के सिद्धांत पर आधारित है, जबकि भारत में संसद सर्वोच्च नहीं है और लिखित संविधान, संघीय प्रणाली, न्यायिक समीक्षा एवं मौलिक अधिकारों के कारण सीमित तथा प्रतिबंधित शक्तियों का उपयोग करती है।
- भारत में प्रधानमंत्री संसद के दोनों सदनों में से किसी का भी सदस्य हो सकता है। जबकि ब्रिटेन में प्रधानमंत्री को संसद के निचले सदन (हाउस ऑफ कॉमन्स) का सदस्य होना चाहिए।
- भारत में व्यक्ति जो संसद का सदस्य नहीं है, उसे भी अधिकतम छह महीने की अवधि के लिए मंत्री के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, जबकि ब्रिटेन में केवल संसद सदस्यों को ही मंत्री के रूप में नियुक्त किया जाता है।
- ब्रिटेन में मंत्री की कानूनी ज़िम्मेदारी की व्यवस्था है, जबकि भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। ब्रिटेन के विपरीत भारत में मंत्रियों को राज्य के प्रमुख के आधिकारिक कृत्यों पर प्रतिहस्ताक्षर करने की आवश्यकता नहीं होती है।
- छाया कैबिनेट’ ब्रिटिश कैबिनेट प्रणाली की एक अद्वितीय संस्था है। इसका गठन विपक्षी दल द्वारा सत्तारूढ़ कैबिनेट को संतुलित करने और अपने सदस्यों को भविष्य के मंत्रिस्तरीय कार्यालय के लिए तैयार करने हेतु किया जाता है। भारत में ऐसी कोई संस्था नहीं है।
- भारत में सरकार की संसदीय प्रणाली काफी हद तक ब्रिटिश संसदीय प्रणाली पर आधारित है, लेकिन यह कभी भी ब्रिटिश प्रणाली की प्रतिकृति नहीं बनी है।
निष्कर्ष / आगे की राह :
- संस्कृति, इतिहास और भाषा के गहरे संबंध पहले से ही यूके को एक संभावित मज़बूत आधार प्रदान करते हैं जिससे भारत के साथ संबंधों को और गहरा किया जा सकता है।
- पूरी तरह से नई परिस्थितियों के साथ भारत और ब्रिटेन को यह समझना चाहिये कि दोनों को अपने बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये एक-दूसरे की आवश्यकता है।
- बदलते वैश्विक परिदृश्य में आतंकवाद से निपटने, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का समर्थन, पर्यावरण, रक्षा उपकरणों व अत्याधुनिक हथियारों का साझा उत्पादन तथा अफगानिस्तान के हालात जैसे कई अन्य मसलों पर दोनों देशों का सोच एक जैसा है. कई वैश्विक मंचों के जरिए दोनों देश इन मसलों पर अपने-अपने विचार साझा कर चुके हैं. अगर फ्री ट्रेड समझौते पर दोनों देश कंधा जोड़ते हैं, तो दोनों देशों के आर्थिक भागीदारी को नई ऊंचाई मिलेगी. इससे द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि होगी और बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिलेगा. फ्री ट्रेड समझौते पर ब्रिटेन का भारत के साथ आना इसलिए उम्मीद जगाता है कि आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बन चुका है. दुनियाभर में भारतीय अर्थव्यवस्था का डंका बज रहा है. आज की तारीख में भारत ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश का तमगा हासिल कर चुका है. आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि वर्ष 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन सकता है. एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, अर्थव्यवस्था के आकार में भारत 2027 में जर्मनी से और 2030 में जापान से आगे निकल जाएगा. संभवतः यही वजह है कि ब्रिटेन भारत के साथ ट्रेड डील को लेकर बेहद गंभीर है.
- जहां तक द्विपक्षीय व्यापार का सवाल है तो ब्रिटेन भारत का विश्व में दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी देश है. गौरतलब है कि दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार जो 2018-19 में 16.7 अरब डॉलर, 2019-20 में 15.5 अरब डॉलर था, वह अब बढ़कर 40 अरब डॉलर यानी चार लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. इससे दोनों देशों के तकरीबन 5 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है. गौर करें तो ब्रिटेन में लगभग 800 से अधिक भारतीय कंपनियां हैं, जो आईटी क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं. इस संदर्भ में टाटा इंग्लैंड में नौकरियां उपलब्ध कराने वाली सबसे बड़ी भारतीय कंपनी का दर्जा हासिल कर चुकी है. भारतीय कंपनियों का विदेशों में कुल निवेश 85 मिलियन अमेरिकी डॉलर के पार पहुंच गया है. दूसरी ओर ब्रिटेन से भारत के बीपीओ क्षेत्र में आउटसोर्सिंग का काम भी बहुत ज्यादा आ रहा है. आउटसोर्सिंग दोनों देशों के लिए लाभप्रद है. एक ओर यह ब्रिटिश कंपनियों की लागत कम करता है, वहीं लाखों शिक्षित भारतीयों के लिए रोजगार का अवसर उपलब्ध कराता है.
- ब्रिटेन में बड़ी तादाद में अनिवासी भारतीयों की मौजूदगी है. यह संख्या लगभग 2 मिलियन तक पहुंच चुकी है. भारतीय लोग दुनिया के अन्य देशों की तरह ब्रिटेन की आर्थिक व राजनीतिक व्यवस्था को भी शानदार गति दे रहे हैं. तो पिछले दो दशकों में आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के लिए दोनों देशों ने कई तरह की पहल की है. नतीजा ब्रिटेन में परियोजनाओं की संख्या के मामले में भारत दूसरे सबसे बड़े निवेशकर्ता देश के रूप में उभरा है. दूसरी ओर ब्रिटेन भी वर्तमान भारत में कुल पूंजीनिवेश करने वाले देशों में बढ़त बनाए हुए है. आयात-निर्यात पर नजर डालें तो भारत मुख्य रूप से ब्रिटेन को तैयार माल एवं कृषि एवं इससे संबंधित उत्पादों का निर्यात करता है. इसके अतिरिक्त वह अन्य सामान मसलन तैयार वस्त्र, इंजीनियरिंग सामान, चमड़े के वस्त्र व वस्तुएं, रसायन, सोने के आभूषण, जूते-चप्पल, समुद्री उत्पाद, चावल, खेल का सामान, चाय, ग्रेनाइट, जूट, दवाइयां इत्यादि का भी निर्यात करता है.
- भारत इंग्लैंड /ब्रिटेन से मुख्यतः पूंजीगत सामान, निर्यात संबंधी वस्तुएं, तैयारशुदा माल, कच्चा माल व इससे संबंधित अन्य सामानों का आयात करता है। दोनों देश वैश्विक निर्धनता की समाप्ति, वैश्विक संगठनों में सुधार और आतंकवाद के खात्मा के लिए परस्पर मिलकर काम कर रहे हैं.। भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने के मामले में पाकिस्तान ब्रिटेन के निशाने पर है। पाकिस्तान पर भारत की एयर स्ट्राइक का ब्रिटेन द्वारा समर्थन किया जा चुका है.। सबसे अच्छा पहलू यह है कि दोनों देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों पर भी सहमत हैं, ताकि 21 वीं शताब्दी की वास्तविकताओं को अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिबिम्बित किया जा सके।
Download yojna daily current affairs hindi med 19 January 2024
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q. 1 . भारत – ब्रिटेन संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- ब्रिटेन यूरोपीय संघ ( ईयू ),जी-8 और जी-20 समूहों के बीच वैश्विक संदर्भों में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण वार्ताकार रहा है।
- ब्रिटेन में भारतीय मूल के लगभग 1.5 मिलियन लोग हैं, जो कुल आबादी का लगभग 1.8 प्रतिशत है और देश की जीडीपी में 6% का योगदान करते हैं।
- भारत और ब्रिटेन एशियाई विकास बैंक और विश्व व्यापार संगठन के भी सदस्य हैं।
- लंदन में 1992 में स्थापित नेहरू सेंटर (टीएनसी), ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग का सांस्कृतिक परिसर है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
(A ) केवल 1, 2 और 3
(B ) केवल 2 , 3 और 4
(C) इनमें से कोई नहीं।
(D) इनमें से सभी ।
उत्तर – (D)
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q. 1. भारत – ब्रिटेन मुक्त व्यापार संधि के विभिन्न आयामों की विस्तृत चर्चा करते हुए भारत – ब्रिटेन संबंधों के विभिन्न पहलूओं की व्याख्या कीजिए।
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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