20 Mar भारत – भूटान द्विपक्षीय बहुआयामी संबंध
स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।
सामान्य अध्ययन – अंतर्राष्ट्रीय संबंध, भारत – भूटान द्विपक्षीय बहुआयामी संबंध, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते,, खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण, भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध, सतत् विकास।
ख़बरों में क्यों ?
- हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर जनवरी 2024 में भूटान के प्रधानमंत्री का पद संभालने वाले शेरिंग टोबगे ने 14 मार्च 2024 से शुरू होने वाली भारत की पांच दिवसीय पहली आधिकारिक यात्रा की।
- इस आधिकारिक य्यात्रा में भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे के साथ चार कैबिनेट मंत्रियों के साथ-साथ भूटान की शाही सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।
- भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे के बीच हुई इस आधिकारिक मुलाकात के अलावा उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से द्विपक्षीय और बहुआयामी संबंधों पर वार्ता की।
- शेरिंग टोबगे ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और भारत के अन्य गणमान्य व्यक्तियों से भी मुलाकात करने के बाद उन्होंने भारत से भूटान में निवेश बढ़ाने पर चर्चा करने के लिए व्यापारिक नेताओं से मिलने के लिए मुंबई की यात्रा भी की और और दोनों देशों ने कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी किया।
- यह यात्रा द्विपक्षीय एवं बहुआयामी सहयोग को मजबूत करने और आपसी चिंताओं को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण साबित हुआ। इस आधिकारिक मुलाकात ने भारत और भूटान दोनों देशों को अपनी साझेदारी में प्रगति की समीक्षा करने और सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया।
- दक्षिण एशिया में भारत और भूटान के बीच का यह चिरस्थाई मित्रता और आपसी संबंध एक – दूसरे के बीच पारस्परिक समृद्धि और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक मजबूत आधारशिला का कार्य करती है।
- भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट 2024-25 में भारत की ‘ नेबरहुड फर्स्ट’ नीति ’ के अनुरूप भूटान को आर्थिक रूप से सहायता पोर्टफोलियो का सबसे बड़ा हिस्सा प्रदान किया गया है। वर्ष 2023-24 में 2,400 करोड़ रुपए के आवंटन की तुलना में वर्ष 2024-25 में भूटान को 2,068 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
- भारत के वित्त मंत्रालय द्वारा भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 22,154 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
भूटान से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों का परिचय :
- भारत और चीन के बीच बसा हुआ है तथा चारों तरफ से “ भू-आबद्ध’ भूटान ’ दक्षिण एशिया का एक महत्वपूर्ण देश है।
- भूटान का क्षेत्रफल मात्र 8,394 वर्ग किलोमीटर है और उसकी आबादी मात्र 7.7 लाख ही है , जो भारत के किसी भी राज्य के किसी बड़े जिले के क्षेत्रफल और उसकी कुल जनसंख्या से भी काफी छोटा है , किन्तु भूटान एक संप्रभु राष्ट्र है।
- भूटान पहाड़ों और घाटियाँ की बहुलता से घिरा एक देश है।
- भूटान की राजधानी थिम्पू है।
- वर्ष 2008 में भूटान में प्रथम लोकतांत्रिक चुनाव होने के बाद वर्तमान में भूटान एक लोकतंत्रात्मक देश बन गया है।
- एक लोकतंत्रात्मक व्यवस्था वाला देश बनने के बावजूद भी भूटान के राजा ही उस राष्ट्र के प्रमुख हैं।
- भूटान का आधिकारिक नाम ‘ किंगडम ऑफ भूटान ‘ है, जिसे भूटानी भाषा में ‘ ड्रुक ग्याल खाप’ ‘ (Druk Gyal Khap) कहा जाता है, जिसका अर्थ है – ‘लैंड ऑफ थंडर ड्रैगन’।
भूटान की सबसे लंबी नदी :
- भूटान की सबसे लंबी नदी मानस नदी है जिसकी लंबाई 376 किमी. से अधिक है।
- मानस नदी दक्षिणी भूटान और भारत के बीच हिमालय की तलहटी में सीमा बनाती है।
भारत और भूटान के बीच द्विपक्षीय बहुआयामी संबंधों का महत्वपूर्ण क्षेत्र :
भारत और भूटान के बीच द्विपक्षीय बहुआयामी संबंधों का महत्वपूर्ण क्षेत्र निम्नलिखित है –
भारत और भूटान के बीच द्विपक्षीय खाद्य सुरक्षा सहयोग :
- भारत के खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण और भूटान के खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण ने आपस में परस्पर खाद्य सुरक्षा उपायों में सहयोग करने और एक दूसरे को मदद करने के लिए एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किया है ।
- यह द्विपक्षीय समझौता खाद्य सुरक्षा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित कर और खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुपालन लागत को कम करके दोनों देशों के बीच के द्विपक्षीय व्यापार को और अधिक आसान और सुविधाजनक बनाएगा।
भारत और भूटान के बीच पेट्रोलियम समझौता :
- भारत और भूटान दोनों देशों ने हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में आर्थिक सहयोग और विकास को बढ़ावा देने के लिए तथा भारत से भूटान को विश्वसनीय तथा निरंतर ईंधन आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति से संबंधित एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किया है, जिससे भूटान और भारत के बीच का द्विपक्षीय एवं बहुआयामी संबंध और भी अधिक सुदृढ़ हुआ है ।
ऊर्जा दक्षता और उसके संरक्षण के लिए द्विपक्षीय समझौता पर हस्ताक्षर :
- भारत और भूटान दोनों देशों ने आपस में ऊर्जा दक्षता में वृद्धि करने के लिए और उसके संरक्षण के लिए भी एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है, जो दोनों ही देशों के बीच के परस्पर संबंधों के तहत सतत् विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- इस समझौता ज्ञापन के तहत भारत का लक्ष्य भूटान मेंअवस्थित घरों में ऊर्जा दक्षता को बढ़ाने, भूटान में उर्जा के क्षेत्र में कुशल उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने और मानकों तथा लेबलिंग योजनाओं को विकसित करने में भूटान की हर स्तर पर सहायता करना शामिल है।
क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए और डोकलाम क्षेत्र सीमा विवाद का समाधान करने में अत्यंत महत्वपूर्ण होना :
- भारत में भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे का यह पहला आधिकारिक यात्रा भूटान और चीन के बीच के सीमा विवाद को सुलझाने के लिए चल रही वार्ता से भी जुड़ा हुआ है। जिसका मुख्य उद्देश्य दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सुरक्षा को स्थापित करना, विशेषकर डोकलाम क्षेत्र के सीमा विवाद को सुलझाने में, अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- चीन और भूटान ने अपनी आपसी सीमा विवाद का समाधान करने हेतु वर्ष 2023 के अगस्त महीने में एक योजना पर सहमति व्यक्त किया था।
- वर्ष 2017 में चीन द्वारा डोकलाम क्षेत्र से संबद्ध क्षेत्र में सड़क बनाने के प्रयास के कारण शुरू हुए भारत और चीन के बीच जारी संघर्ष के बाद यह समझौता इसके चार साल बाद वर्ष 2021 के अक्तूबर महीने में एक समझौते पर दोनों देशों के बीच औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किया गया था।
गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी में भूटान का क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र का होना :
- गेलेफू में भूटान का एक क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र के होने से यह भूटान के क्षेत्रीय विकास के लिए भी और कनेक्टिविटी की दिशा में भी एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- दिसंबर 2023 में भूटान के राजा द्वारा शुरू की गई इस परियोजना का लक्ष्य 1,000 वर्ग किलोमीटर में फैले “गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी” की स्थापना करना है।
- गगनचुंबी इमारतों की विशेषता वाले पारंपरिक वित्तीय केंद्रों के विपरीत, गेलेफू आईटी, शिक्षा, आतिथ्य एवं स्वास्थ्य देखभाल जैसे गैर – प्रदूषणकारी उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सतत् विकास को प्राथमिकता प्रदान करता है ।
- भारत की “एक्ट ईस्ट नीति’ तथा दक्षिण – पूर्व एशिया एवं भारत – प्रशांत क्षेत्र में उभरती कनेक्टिविटी पहल के चौराहे पर स्थित, गेलेफू आर्थिक एकीकरण तथा व्यापार सुविधा को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक महत्त्व रखता है।
भारत के लिए भूटान का बहुआयामी रूप से महत्वपूर्ण होना :
पर्यावरणीय महत्त्व :
- भूटान विश्व के उन कुछ देशों में से एक है जिसने कार्बन-तटस्थ रहने का संकल्प लिया है एवं भारत, भूटान को इस लक्ष्य को प्राप्त कराने में प्रमुख सहायक रहा है।
- भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा, वन संरक्षण एवं सतत् पर्यटन जैसे क्षेत्रों में भूटान को सहायता प्रदान की है।
भारत और भूटान के बीच का सांस्कृतिक महत्त्व :
- भारत और भूटान दोनों ही देशों में मुख्य रूप से बौद्ध धर्म को मानने वाली जनसंख्या निवास करती हैं । अतः भारत और भूटान के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दोनों ही रूप से एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संबंध है, जो दोनों ही देशों के बीच के साझी संस्कृतियों को परस्पर मजबूती प्रदान करते हैं।
- भारत ने भूटान को उसकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में भी महत्वपूर्ण सहायता प्रदान किया है।
- उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए कुछ भूटानी छात्र भी हमेशा से भारत भी आते रहें हैं।
भारत के लिए भूटान का सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होना :
- भूटान की सीमाएँ भारत और चीन दोनों ही देशों के साथ लगती हैं तथा इसकी भौगोलिक अवस्थिति इसे भारत की बाह्य सीमा सुरक्षा के लिए इसे रणनीतिक रूप से एक महत्त्वपूर्ण बफर राज्य या बफर केंद्र बनाती है।
- भारत ने भूटान को रक्षा, बुनियादी ढाँचे एवं संचार जैसे क्षेत्रों को विकसित करने में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की है, जिससे भूटान को अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखने में सहायता प्राप्त हुई है।
- भारत ने भूटान को अपनी रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करने तथा अपनी क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए सड़क और पुल जैसे सीमावर्ती बुनियादी ढाँचे के निर्माण तथा रखरखाव में भी महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की है।
- भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध के दौरान वर्ष 2017 में, भूटान ने चीनी घुसपैठ का विरोध करने के लिए भारतीय सैनिकों को अपने क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अतः भूटान भारत के लिए सामरिक एवं सुरक्षात्मक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण देश है।
भारत के लिए आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होना :
- भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार तथा भूटान का प्रमुख निर्यात गंतव्य देश है। दोनों ही देशों में परस्पर आयात और निर्यात दोनों ही रूप से गहरा संबंध है।
- भूटान की जलविद्युत क्षमता उसके राजस्व का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है साथ ही भारत ने भूटान की जलविद्युत परियोजनाओं को विकसित करने में भी तकनीकी और आर्थिक दोनों ही रूप से महत्वपूर्ण सहायता प्रदान किया है।
भारत और भूटान के बीच की बहुआयामी संबंधों की महत्वपूर्ण चुनौतियाँ :
भारत – चीन सीमा विवाद और डोकलाम गतिरोध :
- भारत तथा भूटान के बीच 699 किलोमीटर की लंबी सीमा – रेखा है, जो वर्तमान समय तक शांतिपूर्ण ही रहा है। हालाँकि, हाल के कुछ वर्षों में चीनी सेना द्वारा इसकी सीमा पर घुसपैठ की कुछ घटनाएँ भी हुई हैं।
- भारत – चीन – भूटान ट्राइ-जंक्शन में डोकलाम गतिरोध वर्ष 2017 तक आपसी टकराव का एक प्रमुख केंद्र या विषय था। अतः वर्तमान समय में भी ऐसे किसी भी प्रकार के सीमा से संबंधित विवाद के बढ़ने से भारत और भूटान के बीच के आपसी संबंधों में तनाव उत्पन्न हो सकता है।
भूटान के अन्दर चीन का बढ़ता प्रभाव :
- भूटान में, विशेषकर भूटान और चीन के बीच विवादित सीमा पर चीन की बढ़ती उपस्थिति ने सामरिक दृष्टिकोण से भारत के लिए चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
- भारत भूटान का सबसे करीबी सहयोगी रहा है और उसने भूटान की संप्रभुता तथा भूटान की सुरक्षा की रक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- भूटान और चीन में अभी तक किसी भी प्रकार का कोई भी राजनयिक या रणनीतिक संबंध स्थापित नहीं हुआ हैं, लेकिन उन दोनों देशों के बीच आपस में उन्होंने मैत्रीपूर्ण संबंधों के तहत आपसी आदान – प्रदान का संबंध बनाए रखा है। जो भारत के लिए भविष्य में चिंता का एक विषय बन सकता है।
भूटान की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ के रूप में जलविद्युत परियोजनाओं का होना :
- भूटान का जलविद्युत क्षेत्र इसकी अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है और भारत इसके विकास में एक प्रमुख भागीदार रहा है। हालाँकि, भूटान में कुछ जलविद्युत परियोजनाओं की शर्तों को लेकर चिंताएँ हैं, जिन्हें भारत के लिए बहुत ही अनुकूल माना जाता है।
- भारत के लिए बहुत ही अनुकूल माने जाने वाली कुछ जलविद्युत परियोजनाओं की शर्तों के कारण भूटान में इस क्षेत्र में भारतीय भागीदारी का भूटान के कुछ नागरिकों ने विरोध भी किया है।
व्यापारिक दृष्टि से संबंधित मुद्दे :
- भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश है, जिसका भूटान के कुल आयात और निर्यात में 80% से अधिक का योगदान है। हालाँकि, व्यापार असंतुलन को लेकर भूटान में कुछ चिंताएँ तो जरूर है, लेकिन भूटान भारत से निर्यात करने की तुलना में भारत से अधिक से अधिक वस्तुओं का आयात ही करता है।
- भूटान अपने उत्पादों के लिए भारतीय बाज़ार तक अधिक पहुँच की मांग हमेशा से करता रहा है, जिससे उसे अपने व्यापारिक घाटे को कम करने में मदद मिल सकती है।
निष्कर्ष / समाधान :
- भारत और भूटान दोनों देशों के लोगों की वीज़ा – मुक्त आवागमन उप-क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत कर सकती है।
- भारत बुनियादी ढाँचे के विकास, पर्यटन और अन्य क्षेत्रों में निवेश करके भूटान को उसकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। इससे न केवल भूटान को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी बल्कि वहाँ के लोगों के लिये रोज़गार के अवसर भी उत्पन्न होंगे।
- भारत और भूटान एक-दूसरे की संस्कृति, कला, संगीत तथा साहित्य की अधिक समझ एवं सराहना को बढ़ावा देने के लिये सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों को बढ़ावा दे सकते हैं।
- भारत और भूटान साझा सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिये अपने रणनीतिक सहयोग को मज़बूत कर सकते हैं। वे आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिये मिलकर काम कर सकते हैं।
- भारत – भूटान संबंधों की विशेषता ऐतिहासिक संबंधों, रणनीतिक सहयोग और साझा मूल्यों का एक अनूठा मिश्रण है। इन दोनों देशों के बीच की स्थायी मित्रता समय की कसौटी पर खरी उतरी है। यह सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक बहुआयामी साझेदारी के रूप में विकसित हुई है। जैसे-जैसे भारत और भूटान 21वीं सदी की जटिलताओं से निपट रहे हैं, उन्हें अपनी पिछली उपलब्धियों को आगे बढ़ाना होगा। उन्हें सहयोग और जुड़ाव के लिए नए रास्ते तलाशने होंगे। आर्थिक विकास को बढ़ावा देकर, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देकर और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करके, भारत और भूटान शांति, समृद्धि और पारस्परिक सम्मान के अपने साझा दृष्टिकोण को साकार कर सकते हैं।
- भारत और भूटान के बीच लगातार उच्च स्तरीय आदान-प्रदान ने भारत और भूटान की विकास साझेदारी के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है।
- भारत और भूटान के बीच इस द्विपक्षीय एवं बहुआयामी बैठकों के दौरान, भूटान के पीएम टोबगे ने दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और समान साझेदारी पर प्रकाश डालते हुए पीएम मोदी को भूटान की यात्रा के लिए आमंत्रित किया है।
- भूटान के पीएम शेरिंग टोबगे की इस अधिकारिक यात्रा ने भारत और भूटान के बीच के विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने, दीर्घकालिक संबंधों को मजबूत करने और एक साथ मिलकर उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने की प्रतिबद्धता को मजबूत किया है। जो भारत के लिए सामरिक, रणनीतिक. सांस्कृतिक, आर्थिक और व्यापारिक दृष्टिकोण से दोनों ही देशों के बीच के उज्जवल भविष्य का संकेत है।
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1 .भारत और भूटान के बीच द्विपक्षीय एवं बहुआयामी संबंधों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश है, जिसका भूटान के कुल आयात और निर्यात में 50% से अधिक का योगदान है।
- भूटान का आधिकारिक नाम ‘ किंगडम ऑफ भूटान ‘ है, जिसे भूटानी भाषा में ‘ ड्रुक ग्याल खाप’ ‘ कहा जाता है, जिसका अर्थ है – ‘लैंड ऑफ थंडर ड्रैगन’।
- वर्तमान में भूटान एक लोकतंत्रात्मक देश है, जिसका प्रमुख भूटान के प्रधानमंत्री होते हैं।
- भारत के अंतरिम बजट 2024-25 में भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति’ के अनुरूप भारत द्वारा भूटान को आर्थिक रूप से सहायता पोर्टफोलियो का सबसे बड़ा हिस्सा प्रदान किया गया है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
(A) केवल 1 और 3
(B) केवल 2 और 4
(C) केवल 1 और 4
(D) केवल 2 और 3
उत्तर – (B)
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति’ के संदर्भ में भारत और भूटान के बीच के द्विपक्षीय एवं बहुआयामी संबधों के विभिन्न पहलूओं को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध का समाधान क्या हो सकता है ? तर्कसंगत समाधान प्रस्तुत कीजिए।
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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