25 Jan भारत – मिस्र संबंध
भारत – मिस्र संबंध
संदर्भ- इस साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी को आमंत्रित किया गया है। 25 जनवरी को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन में मिस्र के राष्ट्रपति का स्वागत करेंगी।
गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि का महत्व– मुख्य अतिथि का चुनाव कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे रणनीतिक, कूटनीतिक, अंतर्राष्ट्रीय भूराजनीति व व्यावसायिक हितों को ध्यान में रखते हुए अतिथि का चुनाव किया जाता है। इस वर्ष अतिथि मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी को आमंत्रित किया गया है।
भारत मिस्र संबंध-
भारत और मिस्र परस्पर सिंधु घाटी सभ्यता के काल से व्यापार के द्वारा एक दूसरे से संबंधित हैं। द्विपक्षीय, क्षेत्रीय व वैश्विक सहयोग के इतिहास के आधार पर मिस्र व भारत में घनिष्ठ राजनीतिक संबंध है।
- राजदूत स्तर पर राजनयिक संबंधों की स्थापना की घोषणा 18 अगस्त 1947 में की गई थी। जिसके बाद भारत और मिस्र की लगातार राजनैतिक यात्रा होती रहती हैं।
- भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु व मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर ने दोनों देशों के बीच मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए। और यह भारत, मिस्र और यूगोस्लाविया द्वारा गुटनिरपेक्ष आंदोलन को प्रारंभ करने के लिए महत्वपूर्ण कदम था।
- भारत और मिस्र, द्विपक्षीय व्यापार समझौते से संबद्ध हैं।
वर्तमान में भारत मिस्र
- वर्तमान में मिस्र भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक सांझेदार है।
- 2011 में मिस्र की क्रांति के बाद मिस्र और भारत के बीच, बड़े स्तर पर नियमित आयात व निर्यात हो रहा है।
- 2016 में भारत व मिस्र के संयुक्त बयान के अनुसार देश परस्पर राजनीतिक सुरक्षा सहयोग, आर्थिक जुड़ाव और वैज्ञानिक सहयोग के साथ संबद्ध है।
- कोविड संकट(2020) के समय मिस्र में भारत के नागरिकों की सुरक्षा व कल्याण को सुनिश्चित किया गया।
- कोविड की दूसरी लहर के समया चिकित्सा आपूर्ति के लिए भारत ने मिस्र की रेमडेसिवियर को चुना। तीन लाख खुराक की खरीदी समय पर की गई।
- भारत व मिस्र आर्थिक रूप से एक दूसरे देशों के उत्पादों में निवेश कर रहे हैं और उनके उत्पादों के लिए देशों में बाजार का निर्माण कर रहे हैं।
द्विपक्षीय व्यापार समझौते में सदस्य देशों के बीच व्यापार पर ब्याज दरों में विशेष लाभ के साथ, सेवाओं, निवेश, और बौद्धिक सम्पदा में व्यापार के क्षेत्र में आर्थिक सहयोग किया जाता है।
- भारत और मिस्र 1978 से द्विपक्षीय व्यापार समझौते से संबद्ध हैं। जो मोस्ट फेवर्ड नेशन क्लॉज पर आधारित है।
- इण्डियन एक्सप्रैस के अनुसार पिछले दस वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार लगातार बढ़ा है,
- 2018-19 में यह व्यापार 4.55 अरब अमेरिकी डॉलर था और 2020-21 में यह 7.26 अरब अमेरिकी डॉलर में पहुँच गया।
कृषि सहयोग- रूस यूक्रेन युद्ध के कारण मिस्र लम्बे समय से खाद्यान्न की कमी से जूझ रहा है ऐसे में भारत ने गेहूँ उत्पादन में कमी के बावजूद मिस्र को 61 हजार टन गेहूँ निर्यात किया।
रक्षात्मक सहयोग- भारत और मिस्र के मध्य 1960 के दशक से प्रचलित है, देशों ने वायु सेना में सहायता, संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण आदि पर जोर दिया।
- भारतीय वायु सेना ने मिस्र के पायलटों को प्रशिक्षण दिया।
- 1998 में भारतीय वायु सेना प्रमुख ने मिस्र की यात्रा कर संयुक्त रक्षा समिति के गठन क विचार दिया और 2006 में भारत – मिस्र संयुक्त रक्षा समिति का गठन किया गया।
- हाल ही में 14 जनवरी 2023 से ‘अभ्यास साइक्लोन’ का प्रारंभ राजस्थान के जैसलमेर मं किया गया। इसका उद्देश्य दोनों देशों के रक्षात्मक सहयोग को बढ़ावा देना है। यह भारत और मिस्र का पहला संयुक्त अभ्यास है।
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